उत्कर्ष दंभ का दमन होता चमचमाती चमक में आंखें खोतारावण हो या ध्रतराष्ट्र फिर...
हिंदी कविता
छुड़ाये कैसे इनसे जान आस्तीन में नाग छिपे हैंकैसे हो पहचान छुड़ाएं कैसे इनसे...
छुअन की चुभन ये छूना भी अलग-अलग होता है क्या,स्कूल में थी तब मुझे...
अशोक वाटिका टिफिन के बाद पांचवें पीरियड मेंघुसते ही प्रश्न किया हिंदी के टीचर...
अनुक्रमणिका कविताएं / ग़ज़ल : चाँद की रंजिश जनसेवक भैया जी (व्यंग) बंदर देखे...
नारी तुम सबला बन जाओ… डॉ.आशुतोष त्रिपाठी, रायपुर तोड़ो, अपनी कारा तोड़ो,छुप-छुप यूं ना...
बँटवारा – गिरिधर राय, कोलकाता पश्चिम की नकल ने माँ-बाप को दर किनार कर बीवी-बच्चों को ही खास...
उठने के पहले ही मैं, मैं अनगिन बार गिरा हूँ – राकेश शंकर त्रिपाठी,...
नियत और नियती ...
कैद हैं… ( ग़ज़ल ) डॉ. कनक लता तिवारी,मुंबई ख़ूबसूरत यादें अब तो पत्थरों...