“जनमैत्री” पत्रिका का प्रकाशन एक कल्पना के साकार होने जैसा लगता है, जिसके नाम में ही कार्यों कि सार्थकता निहित है। इस पत्रिका को माध्यम बना कर हम अपने सामजिक, आध्यात्मिक, पौराणिक, पारिवारिक एवं सांस्कृतिक विचारधारा को न सिर्फ प्रसारित बल्कि सहेज कर भी रख सकते हैं। पत्रिका में व्यक्त विचारों को सुनियोजित ढंग से सहेज कर रखने के लिए संस्था एक वेब साइट पर भी कार्यरत है जो कि सभी रचनाकारों की रचनाओं को दीर्घकाल तक सुरक्षित रखने में सक्षम रहेगी। इस पत्रिका के माध्यम से जन – जन को जोड़ने का पुनीत कार्य किया गया है जो कि अनवरत, अपने त्रैमासिक प्रकाशन के जरिये जारी रहेगा। पत्रिका के प्रवेशांक में अनेक रचनाकारों नें इसे अपनी उत्कृष्ट रचनाओं से सुसज्जित किया है, जो कि धन्यवाद के अधिकारी हैं। इस पत्रिका के मूल उद्देश्यों में एक यह भी है कि इसे दो पीढ़ियों को जोड़ने का कार्य भी करना है, जो कि सिर्फ रचनाकारों के विचारों को सहेजने और समयोचित आगामी पीढ़ी तक पहुंचाने से संभव है।