सम्मोहक गीतकार आत्म प्रकाश शुक्ल (10th Edition)
“कंठ में जिसके गरल है वही गा पाता है” सम्मोहक गीतकार आत्म प्रकाश शुक्ल वो जो अन्दर से तरल है,
“कंठ में जिसके गरल है वही गा पाता है” सम्मोहक गीतकार आत्म प्रकाश शुक्ल वो जो अन्दर से तरल है,
समानता का अधिकार समानता का अधिकार,कहिए, क्या है आपका विचार ?क़ानून और रिवाज का घमासान,समझो देश एक परिवार समान।धर्म -जात
संध्यावंदन और गायत्री मंत्र “ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्”संध्यावंदन में, गायत्री मंत्र का जाप
निदेशक की कलम से “भारत कोई भूमि का टुकड़ा नहीं है, यह जीता जागता राष्ट्रपुरुष है” कई बार आपने सुना
सम्पादक की ओर से जनमैत्री के बढ़ते सफर और लेखकों, रचनाकारों के आत्मीय सहयोग के साथ उद्देश्य की पूर्ति भी
निदेशक की कलम से अमित त्रिपाठी इच्छाओं का अनंत व्योम, उस पार हुआ जाना मुश्किल; इक पूरी ज्यों हुई त्वरित,
सम्पादक की ओर से पाठकों के लगाव और कलमकारों की आत्मीयता के बल पर ‘जनमैत्री’ अपने उद्देश्यों के साथ अविरल
देशी मुहावरे आँख का तारा, आँख की पुतली घर घाट एक करना पासा पलटना दीवारों के कान होना टाँग अड़ाना
प्रगति के अवशेष समेटो अमित मिश्रा, सरायकेला प्रगति उतनी ही आवश्यक है जितना कि देश। भारत की आजादी के पश्चात