जेब और प्रेस्टीज -(9th Edition )
जेब और प्रेस्टीज मेरी ज़ेब कट गई। शुभचिंतक कहते हैं – गनीमत है, ज़ेब ही कटी गर्दन नही। ज़ेब के
जेब और प्रेस्टीज मेरी ज़ेब कट गई। शुभचिंतक कहते हैं – गनीमत है, ज़ेब ही कटी गर्दन नही। ज़ेब के
निर्वाचन और शासकीय सेवक की मनःस्थिति.. दिनेश गंगराड़े इंदौर चुनाव याने चुनना अन्धों में एक काणे को, महान नेता को जो
कबाडी राकेश शंकर त्रिपाठीकानपुर प्रत्येक सुबह का सूरज सदैव एक आस, एक विश्वास, नयी ऊर्जा, नयी चेतना, नये जोश एवं
अधजल गगरी छलकत जाय योगेश कुमार अवस्थी कोलकाता कहने को तो यह एक मुहावरा है “अधजल गगरी छलकत जाय” किन्तु
सम्पन्नता और फिजूलखर्ची यह कटु सत्य है कि मनुष्य के जीवन में धन की आवश्यकता आधारभूत है, इसके बिना जीवन
आप से भी खूबसूरत आप के अंदाज़ हैं मैं बहुत ईमानदार हूँ बल्कि मुझे पता लगा है कि मैं और
झुकना ज़रूरी है अल्हड़ उम्र में मैं अक्सर अपने भविष्य को को लेकर लापरवाह हो जाया करती। वो बाबूजी ही
पुस्तक की व्यथा मै आज भी उसी स्थान पर बैठी हूँ, जब मैं पहली बार इस घर में आयी थी
टेलीफोन ईस घोर कलियुग में टेलीफोन का नाम लेने पर कुछ लोग उसी प्रकार की एक्टिंग करते पाए जाते हैं
अतीत के झरोखे से आपने कभी प्रकृति पर गौर फरमाया है कि वह किस तरह जीवनदायिनी शक्तियों के प्रति गहरे