बलिदान ठांय ठांय ! सुनसान जंगल पैरों की आवाज से गूंज उठा। चिदंबरम के...
कनक तिवारी
आय लव यू मॉम घड़ी की सुइयों ने सात बजाये। काँची ने एक सरसरी...
कैद हैं… ( ग़ज़ल ) डॉ. कनक लता तिवारी,मुंबई ख़ूबसूरत यादें अब तो पत्थरों...