काश (9th Edition )
काश शालिनी त्रिपाठीमुंबई उसे सिद्धिविनायक मंदिर के बाहर खड़े देखा। दूर से लग रहा था कि वही है, पास जाकर
काश शालिनी त्रिपाठीमुंबई उसे सिद्धिविनायक मंदिर के बाहर खड़े देखा। दूर से लग रहा था कि वही है, पास जाकर
त्योहार मीनू त्रिपाठी नोएडा “मानसी उठो भई, कुछ चाय-वाय पिलाओ…” नवीन ने ऊँघते हुए बगल में सो रही पत्नी को आवाज
बदलाव स्कूल स्टाफ की मीटिंग के बाद चेयरमैंन अनुराग ने लेखा को रुकने के लिए कहा तो लेखा को थोड़ा
हस्ताक्षर भों ……… मिल के साईरन की आवाज़ से कमरा भर उठा। सरिता ने चौंक कर घड़ी की तरफ देखा-
साधना रू… हां यही तो नाम दिया था उसने। आज अचानक यूँ रमेश की तस्वीर देख मन कुछ अनमना सा
आँगन हुल मोबाइल पकड़े चलकदमी कर रहे थे। भावभंगिमा गंभीर और हाँ-हूँ में सिमटे जवाब को सुन निधि कुछ सतर्क
मुकम्मल जहाँ… “एक और लीजिये न…” कविता ने गर्मागर्म घी चुपड़ी रोटी पति के बॉस शुभम सक्सेना की थाली में
जुनून कानपुर, उत्तर प्रदेश में एक छोटा और खुशहाल परिवार रहता था। परिवार में माँ-बाप के बीच बस एक बच्चा
मूल्यांकन “मम्मी जी, नेहा दीदी का फोन है…” स्वरा ने मोबाइल सास की ओर बढ़ाया। ‘हेलो’ कहते ही नेहा की