पुरुषार्थ
नारी के सम्मान में है.!
अपने पुरुषार्थ को स्तापिथ करने का ?
ये कैसा व्यवहार है ?
दबा ना सके जो नारी की वाणी..
क्या इसका हल दुराचार है ?
कुकर्मी इसको अधिकार ना समझे !
दुष्कर्म को अपना हथियार ना समझे !
भूले ना नारी में बसती माँ दुर्गा..
गलती से भी उन्हें लाचार ना समझे !
नर और नारी का हो समतल स्तर..
ना नारी है अबला और ना नर बेहतर..
एक धागा तो दूजा मोती है..
दोनों घातक है दोनों है नश्वर !
बराबरी का केवल नारा नहीं,
समानाधिकार देना होगा !
हम अपने घर ये अमल करेंगे..
प्रण आज हमें ये लेना होगा !
परस्पर आदर समाज बदलेगा..
इसके परिपालन से जुर्म घटेगा..
नर जो कर ले नारी की इज़्ज़त..
हर पीड़िता को न्याय मिलेगा !
मौन रहना और अन्याय को सहना
हमें बनाता है इसका प्रतिभागी..
सही दिशा जो मिले युवा को, वो..
बन जाएँगे इस क्रांति में सहभागी !
बेमानी शोर इक दिन शांत हो जाएँगे..
ये खोखले भाषण हमें सिर्फ़ भड़कायेंगे..
पर हमारे बदलाव का ये प्रयास ही हमें..
एक और अन्याय से भविष्य में बचाएंगे..