पंचायत

एक गाना है – “पतझड़ सावन बसन्त बहार, एक बरस के मौसम चार, मौसम चार; पाँचवा मौसम प्यार का, इन्तजार का”। ठीक उसी प्रकार से मनुष्य के जीवन में नौ प्रकार के रस तो पाये ही जाते हैं किन्तु एक दसवाँ रस भी पाया जाता है। जिस प्रकार प्रत्येक रस का एक स्थायी भाव होता है उसी प्रकार इस रस का भी स्थायी भाव है। जैसे करुण रस का स्थायी भाव दया है, हास्य रस का हास, रौद्र रस का क्रोध आदि। ठीक उसी प्रकार इस रस का स्थायी भाव है समीक्षा। समीक्षा किसी भी विषय, वस्तु या व्यक्ति के सकारात्मक या नकारात्मक पहलू को उजागर करती है और यह समीक्षा जिस रस से उत्पन्न होती है उसे हम पंचायत कहते हैं।
जिस तरह से शोखियों में फूलों के शबाब को घोलने पर एक नया नशा तैयार होता है उसी प्रकार जीवन के सारे रसों को अगर एक साथ घोलें तो जो नया रस तैयार होगा वह होगा पंचायत। पंचायत है तो संसार है और जब तक संसार है तब तक पंचायत है। बिना पंचायत जीवन नीरस है। बिन पंचायत सब सून। जब हम पंचायत में मशगूल होते हैं तब एक प्रकार का रासायनिक पदार्थ हमारे शरीर में उत्पन्न होता है और उस पदार्थ के कारण ही हमारे चेहरे की आभा व चमक-दमक देखते ही बनती है। उस समय अगर हम अपनी सेल्फी लें तो एक जबरदस्त फोटोग्राफ मिलेगा और उसे फेसबुक, इंस्टाग्राम पर अपलोड करें, रील बनायें तो काफी संख्या में लाइक्स आ सकती हैं और हम अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर सकते हैं।
जब तक हम पंचायत में शामिल न हों तब तक पाचन क्रिया अपना काम सुचारु रूप से कार्य करती ही नहीं। हमारे समाज की सबसे छोटी ईकाई परिवार होती है। प्रत्येक परिवार में पंचायत का जबरदस्त बोलबाला होता है। किसी भी मांगलिक अवसर पर जब सब इकठ्ठे होते हैं तब पंचायत का जो सुख प्राप्त होता है वह असीम है। परिवार के बाद ग्राम पंचायत से लेकर दिल्ली तक पंचायत का सिलसिला चलता रहता है। सबसे बड़ी पंचायत तो संसद है। सम्पूर्ण विश्व पंचायत पर ही चल रहा है। विश्व पटल पर अगर हम नजर डालें तो हम पाते हैं कि प्रत्येक देश पंचायत में ही तल्लीन है। इनके नेता गण सब व्यस्त हैं। अलग-अलग पंचायत के लिये अलग अलग प्रकार की समितियों का गठन भी विश्व स्तर पर किया गया है। जैसे कि अमीर देशों के संगठन, गरीब देशों के संगठन, क्षेत्रीय एवं धार्मिक आधार पर पंचायतों के प्लेटफॉर्म्स आदि आदि। विश्व स्तर की पंचायत के लिये किसी विशेष प्रकार के कौशल की आवश्यकता नही है अगर हम अपने परिवार पर, मोहल्ले पर ही नजर डालें तो सम्पूर्ण विश्व वहीं मिल जायेगा। यहीं पर हमें अपने शत्रु देश और मित्र देश दोनों मिल जायेंगे जो एक दूसरे से कूटनीतिक चालें चल रहें होते हैं।
पंचायत में चौधरी की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है। चौधरी की ठसक, मिजाज और निर्णय का अपना एक स्टाइल होता है। कभी किसी को गिराया, किसी को उठाया और किसी को किसी के समकक्ष खड़ा कर देना। अभी एक देश को सम्पूर्ण विश्व में पंचायत करने का और चौधरी बनने का शौक चर्राया हुआ है। हर जगह अपनी टाँग अड़ाने का, श्रेय लेने का और स्वयंभू बनने का कार्य सुचारु रूप से चल रहा है। यह अलग बात है कि कोई उसकी बात माने या ना माने। हाँ ! यह जरूर निश्चित है कि अपने मित्रों को ही घुड़की देकर, अपना रोब जमाना और दो कदम आगे और चार कदम पीछे कर काम चलाया जा रहा है। जैसा कि अभी दो देशों के युद्ध में अपने मित्र से ही नाराजगी व्यक्त कर दी।
लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि किसी भी पंचायत का परिणाम सदैव सुखद ही रहता है। पंचायत में अगर हम किसी भी विषय के सकारात्मक पहलुओं पर चर्चा कर रहे होतें हैं तो हम उसे और अच्छा करने के लिये प्रेरित कर रहे होते हैं। यदि हम किसी भी विषय के नकारात्मक पहलुओं पर चर्चा कर रहे होतें हैं तो उसे हम सही दिशा में चलने के लिये रास्ता दिखा रहे होतें हैं, हम निंदक नियरे राखिये के सिद्धांत को प्रतिपादित कर रहे होते हैं। दोनों ही स्थितियों में हम सकारात्मक कार्य कर रहे होते हैं और यह कार्य व्यक्ति को, समाज को, देश को, विश्व को दिशा देने में एक अहम भूमिका का निर्वहन करता है। इसलिये पंचायत एक महत्वपूर्ण यज्ञ है जिसमें शामिल होकर, एक आहुति प्रदान कर पुण्य लाभ प्राप्त कर, हम अपना और अपने लोगों के उत्थान में योगदान प्रदान कर सकते हैं ।