आशनाई
राजा जैन, कोलकाता
इन दिनों मैं पारसाई कर रहा हूँ
दिल की मैं अपने सफ़ाई कर रहा हूँ
हर तरफ़ से दर्दो-ग़म मिलने लगे हैं
आज कल मैं ये कमाई कर रहा हूँ
घर चले जाता हूँ उसके बिन बुलाए
ख़ुद ही अपनी जग-हँसाई कर रहा हूँ
सब किताबें छोड़ कर ऐ जाने-जानाँ
तेरे चेहरे की पढ़ाई कर रहा हूँ
दोस्तों को जानने के बाद ‘राजा’
दुश्मनों से आशनाई कर रहा हूँ..