पंद्रह अगस्त सैंतालीस को, दिवस कैलेंडर था शुक्रवार। मिली हमें आजादी इस दिन, खुला अपने सपनों का द्वार।।
आजादी के साथ देश ने, बंटवारे का दर्द भी झेला। आजादी खातिर गोरों ने, खून की होली हमसे खेला।
आजादी की चाहत दिल में, सत्तावन में दहक उठी थी। कलकत्ता के बैरकपुर में, मंगल की गोली बोली थी।।
उन्नीस सौ सैंतालीस के पहले, अपनी भी बड़ी लाचारी थी। ब्रिटिश सरकार जुल्म ढहाती, फिरंगी सरकार दुष्टाचारी थी।।
सत्ताइस फरवरी इकतीस को, आजाद ने खुदपर पिस्टल ताना। पच्चीस साल का नव-युवक, आजादी का था दीवाना ।।
उन्नीस सौ उन्तीस में पूर्ण स्वराज्य की मांग किया। अगस्त बयालीस में गांधी ने, ‘भारत-छोड़ो’ का एलान किया।
कई शहादत के बाद हमने, आज तिरंगा लहराया। नमन वीरों के कुर्बानी पर, जिससे देश आजादी पाया।
जय हिन्द !