ईश्वर एक दिव्य शक्ति
राहुल चनानी, नवी मुंबई
तुम विघ्नहर्ता.. तुम संकटमोचन..
तुम हो तो ये संसार है..
तेरे सेवक है हम भगवन..
तुम से ही तो परिवार है..
तुम ही संरक्षक.. तुम ही अभिरक्षक..
तुमसे ही ये प्रकाश है..
तुम हो दिन और तुम ही रात हो..
तुमसे ही मेरा विकास है..
तुमसे ही सृष्टि..तुमसे ही वृष्टि..
तुमसे ही तीनो लोक है..
तुम रामायण..तुम महाभारत..
तुमसे गीता का हर श्लोक है..
तुम ही सत्य हो..तुम ही जीवन हो..
तुमसे ही ये ब्रह्मांड है..
तुम आदि हो तुम ही अंत हो..
तेरी महिमा तो प्रकांड है..
तुम दुख में हो.. तुम सुख में हो..
तुमसे भू का आकार है..
तुम यथार्थ हो.. तुम आराध्य हो..
तुमसे मिटता हरविकार है..
करके अपना आत्म समर्पण..
कर दें निज अस्तित्व ही अर्पण..
तेरी कृपा का कर आलिंगन..
करते रहें सदा आत्म निरीक्षण
