निदेशक की कलम से……..

आज के वातावरण में जब हमारी मातृ-भाषा अपने ही देश में प्रतिस्पर्धा के मार्ग से गुजर रही हो, तब एक हिंदी की पत्रिका के प्रकाशन का निश्चय करना अपने आप में एक चुनौतीपूर्ण कदम है। परन्तु, यह सब बेहद आसान लगता है, जब आपको चारों ओर से सहयोग मिलने लगे। इस कड़ी में उल्लेख करना अनिवार्य हो जाता है कि अपनी ऊर्जा को संचित कर चुनौतियों का सामना करने का हुनर मुझे मेरी माँ से ही मिला, जिनकी प्रेरणा और मेरे बहनोई श्री नितिन गोपालकृष्ण जी अवस्थी की दूरगामी सोंच ने उनके प्रति श्रंद्धाजलि स्वरुप "शशि स्मृति फॉउण्डेशन" का न सिर्फ सृजन किया बल्कि उनकी वैचारिक ऊर्जा और लोगों से जुड़ाव की भावना के प्रचार एवं प्रसार हेतु "जनमैत्री" पत्रिका के प्रकाशन का भी निर्णय लिया। इस पत्रिका को माध्यम बना कर मातृ-भाषा के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के साथ ही अपनी सांस्कृतिक धरोहरों को भी अगली पीढ़ी तक पहुँचाने का संकल्प लिया गया है।

प्रयास हमारे वश में होता है पर, परिणाम हमारे अधिकार क्षेत्र से बाहर है। अत: पत्रिका के माध्यम से जन-मानस से जुड़ने व उन्हें एक दूसरे से जोड़ने का अनुपम प्रयास किया जा रहा है। पत्रिका के प्रकाशन में विषय की विविधिताओं का विशेष ख्याल रखा गया है, ताकि हर वर्ग के पाठकों तक आसानी से पहुंचा जा सके और इसे स्वस्थ वैचारिक लाभ प्रदान करने का माध्यम बनाया जा सके।

यकीन मानिये, पत्रिका एवं इसके मूल मकसद को पाना एक कल्पना सा लगता है, यदि हमें संपादक मंडल, जो कि अपने क्षेत्र के अतिविशिष्ट व्यक्तित्व हैं का साथ न मिलता। उनकी सहमति एवं मार्गदर्शन अपने आप में हमारे प्रति प्रेम दर्शाता है, जिसका जितना भी आभार व्यक्त किया जाए कम है। मैं अपने पूरे सहयोगी दल की तरफ से उन सभी लोगों का ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ, जिन्होंने मात्र मेरी मंशा जानकर ही पत्रिका के लिए अपनी शुभकामनाएं प्रेषित कीं। साथ ही पत्रिका के प्रथम प्रति में ही अपना विश्वास जताते हुए, जिन्होंने अपने लेखन से इस प्रति को सुसज्जित किया है, उन्हें भी अंतर्मन से धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ।

हमारी कल्पना का साकार स्वरुप "जनमैत्री" एवं इसका अनवरत प्रकाशन आपके सहयोग के बगैर संभव नहीं है। अतः आपका हमसे सदैव जुड़े रहना ही हमारा सम्बल है, चाहे वह पाठक के रूप में हो या फिर लेखक अथवा कवि के रूप में। आशा है आप हमारे इस अनुरोध का स्वतः संज्ञान ले हर संभव जुड़ने का प्रयास करेंगे।

सधन्यवाद
अमित त्रिपाठी