सोंठ-गुड़ के लड्डू

आज मैं आपको उत्तर प्रदेश के खास प्रकार के लड्डू बनाने की विधि बताने जा रही हूं, जो स्वाद के साथ आपकी सेहत का भी ध्यान रखेगा।

गुड़ - १ किलो
गोंद - १०० ग्राम
पिसी सोंठ - एक कटोरी
काजू - आधी कटोरी
बादाम - आधी कटोरी
नारियल - आधी कटोरी (कद्दूकश किया हुआ)
मखाना - एक बड़ी कटोरी
शुद्ध देशी घी - एक बड़ी कटोरी

विधि :

सबसे पहले गोंद को कढ़ाही में सुखा भून लीजिए। जब फूल जाए तो उसमें तीन - चार चम्मच घी डाल कर भूनिए। गोंद जब अच्छे से भुन जायेगा तो हल्का हो जायेगा। इसे अलग बर्तन में निकाल दीजिए। कढ़ाही में दो चम्मच घी डाल कर सभी ड्राई फ्रूट्स को भूनकर अलग निकाल लीजिए (काजू बादाम एक साथ व नारियल मखाना अलग अलग भूनें)। कढ़ाही में 2 कप पानी डालिए उसमे गुड़ को तोड़ कर डालिए जब गुड़ पानी में मिल जाए तो उसे दस मिनट तक पकाइए। अब इसमें सभी ड्राई फ्रूट्स व पिसी सोंठ मिलाकर गैस बंद करने के बाद उसमें गोंद डाल कर अच्छे से चलाइए। अब हाथ में घी लगाकर लड्डू बना लीजिए।

आप भी खाइए दूसरों को भी खिलाइए स्वाद के साथ तारीफ मुफ्त पाइए।

नोट : गुड़ सोंठ के लड्डू उत्तर प्रदेश के लगभग हर घर में बनते हैं, इसे सोठैला भी कहते हैं। ये विशेषकर सर्दियों के मौसम में बनता है। ये सर्दी खांसी के लिए तो फायदेमंद है ही इसके साथ ही आपकी इम्युनिटी बढ़ाने में भी सहायक होता है। तो है ना ! दोहरा फायदा सेहत के साथ स्वाद भी।

प्रियंका शुक्ला, पुरी

बुकनू

सोंठ - २५० ग्राम
गांठ वाली हल्दी - २०० ग्राम
अजवाइन - ५० ग्राम
हरड़ (छोटी - बड़ी मिलाकर) - १०० ग्राम
बहेड़ा - ५० ग्राम
वायविडंग - १० ग्राम
आंवला - ५० ग्राम
मरोड़फली - २५ ग्राम
जीरा - ५० ग्राम
सौंफ - ५० ग्राम
हींग - १० ग्राम
पिपरी - १० ग्राम
जायफल - २
काला नमक - २५०ग्राम
सादा नमक - २५० ग्राम
सरसों का तेल - २५० ग्राम

विधि -

अजवाइन, जीरा, सौंफ व हींग को बिना तेल के कड़ाही में सूखा भून लें। बाकी सभी मसालों को तेल में अलग - अलग मध्यम आंच में तलें (नमक को छोड़कर)। हल्दी पकने के बाद फूल जाती है। हल्दी कड़ी होती है, धीमे भूनने से अच्छी तरह पकेगी। जब ठंडा हो जाए तो सभी को अच्छे से खलबट्टे में कूट लें। जब सभी मसाले अच्छे से टूट जाए, तो मिक्सी में नमक के साथ महीन पीस लें। छलनी या सूती कपड़े से महीन छान लें। अगर ज्यादा मात्रा में बना रहे हैं तो आप बाहर, चक्की से भी पिसवा सकते हैं।

नोट : बुकनू एक विशेष प्रकार का मसाला है जो सालों ख़राब नहीं होता और उत्तर भारत के लगभग हर घर में मिलेगा। तीज - त्यौहार, शादी - ब्याह में इसके बगैर थाली अधूरी लगती है। ये स्वादिष्ट होने के साथ पाचक गुणों से भी भरपूर होता है। पूड़ी - पराठा के साथ इसका विशेष उपयोग होता है। तेल की जगह आप इसे घी में भी भून सकते है।

प्रियंका शुक्ला, पुरी