भक्त शिरोमणि​

हनुमान जी

कर्नल प्रवीण त्रिपाठी
नोएडा/उन्नाव

जन्म लिया तिथि पूनम को अति पावन है शुभ चैत्र महीना।
मारुत के गृह थे जनमे बजरंग समान न और बली ना।
अंजनि मातु दुलार करें उनसा अति चंचल और कहीं ना।
बुद्धि व ज्ञान किया जब अर्जित नाम मिला हनुमान प्रवीना।1

ग्यारहवें अवतार धरे हनुमान बने शिव शंभु पधारे।
भक्त करें जब याद प्रभू सबके सगरे नित काज सँवारे।
मंगल को बस मंगल हो हर भक्त सदा हनुमंत पुकारे।
नाश करो हर एक विपत्ति बनो जग रक्षक हे प्रभु प्यारे।2

जय हनुमान जपें मन से वह संकट भक्तन के सब टारे।
जो दिल में सियराम रखें उन को कहते हम रामदुलारे।
दूर विपत्ति करें सब ज्यों रघुनायक के हर काज सँवारे।
नैनन मूँद जपें नित नाम पड़े बन साधक द्वार तुम्हारे।3

मंगल को करते सब मंगल मंगलमूरति हो कहलाते।
भक्ति करे दिल से उसके बिगड़े सब कारज आप बनाते।
भक्ति असीम भरी मन में सुत मारुत रामहि शीश नवाते
संकट दूर सभी करते नित राम लला प्रभु के मन भाते।4

मंगल को शुभ ही शुभ हो बजरंग बली अति मंगल दाता।
संकट वो सब दूर करें बन के सबके प्रभु भाग्य विधाता।
नाम बड़ा अति पावन जै हनुमान निरंतर प्रीति जगाता।
भक्त सभी गुणगान करें उनको जग में कुछ और न भाता।5

दूर विपत्ति करें हनुमान सदा बिगड़े हर काम बनाते।
मूर्छित शेषवतार हुए तब औषधि लाकर प्राण बचाते।
संकट घोर कभी घिरता गह हाथ महाबल राह दिखाते।
राम बसें उनके दिल में वह भक्त शिरोमणि हैं कहलाते।6

नाम जपें हनुमान सभी जन जीवन जो करता सुखकारी।
ध्यान धरें नित पाठ करें दिल में रख के बस भक्ति तुम्हारी।
अष्टक, बाण, चलीस पढ़ें पढ़ना जिनका अति है गुणकारी।
मंगल को उपवास रखें दिन है सबके प्रति मंगलकारी।7

राम भजे हनुमान तभी वह भक्त शिरोमणि हैं कहलाते।
अंजनि पुत्र बड़े बलवान विपत्ति सभी प्रभु दूर भगाते।
जीवन नाव फँसे मझधार महाबल आकर पार लगाते।
शीश नवा नित ध्यान धरें बजरंग बली मन से गुण गाते।8

मारुति नंदन कष्ट निकंदन जीवन में खुशियाँ भर देना।
मानव को ग्रस ले यदि संकट दूर तभी उसको कर देना।
भक्त कुमार्ग चले जब भी तब बुद्धि विवेक पुनः भर देना।
विघ्नविनाशक हस्त सदा हर मस्तक पे प्रभु जी धर देना।9

हे बजरंगबली सुन लो विनती हर लो सब पाप धरा से।
संकट मोचक हे बलबीर हरो विपदा हर आप धरा से।
बाण चला बजरंग महातम नष्ट करोसंताप धरा से।
त्रस्त हुई जिनसे जनता सब दूर करो अभिशाप धरा से।10

नाम बड़ा हनुमान सुपावन संकट में उपकार करो ना।
घोर विपत्ति दिखे हर ओर लगा कर युक्ति तुरंत हरो ना।
संकट मोचक हे बजरंग दुखी जन में नव आस भरो ना।
मंगल वार तथा शनि वार अशीष भरा तुम हाथ धरो ना।11

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