राखी भेजवा देना
अंकुर सिंह, जौनपुर
बहन, राखी भेजवा देना,
अबकी मैं ना आ पाऊंगा।
काम बहुत हैं ऑफिस में,
मैं छुट्टी ना ले पाऊंगा।।
कलाई सुनी ना रहे मेरी,
तुम याद ये रख लेना।
अपने भाई के पते पर,
राखी तुम भेजवा देना।।
ये महंगाई है सबपे भारी,
फिर भी राखी भेजवाना।
गर पूछे भांजी भांजा तो,
उन्हें मामा का प्यार कहना।।
राखी पर ना मेरे आने से,
तुम मुझसे ना रूठ जाना।
हाथ जोड़ कर रहा निवेदन,
राखी जरूर भेजवा देना।
भेज रहा राखी उपहार संग,
चिट्ठी में प्यार के दो बोल।
माफ करना अपने भाई को,
मना न सका पर्व अनमोल।।
राह देख अबकी तुम मेरी,
राखी थाली सजा ना लेना।
मेरे छुट्टी का है बड़ा झंझट,
भेज राखी तुम फर्ज निभाना।