शादी का मेनू बन रहा था तभी नीलेश ने कहा,"मैं शादी सादगीपूर्ण ढंग से करूंगा। कम से कम डेकोरेशन और खाने में भी चार नमकीन और दो तरह का मीठा बनेगा।"
यह सुनकर उसकी माँ नाराज होकर बोली, "शादी ऐसे गरीबों की तरह करेंगे तो चार लोग बातें बनाएंगे। तुम्हारी शादी को लेकर हमारे भी कुछ सपने हैं।"
अपनी माँ को नाराज देखकर नीलेश स्नेह से उनके हाथों को थामते हुए बोला, "अच्छा नाराज मत हो, जैसा आप कहेंगी वैसे ही शादी का इंतजाम होगा।"
माँ का चेहरा खिल गया। वह चहककर बोली, "दिल्ली वाली सुलभा जीजी ने अपने बेटे की शादी कितने शानों-शौक़त से की थी। तेरी शादी में शानों-शौक़त वैसी ही होगी।"
यह सुनकर नीलेश मुस्करा कर बोला, "शादी के स्टेज में कौन से फूलों की सजावट की गई थी" ?
"फूल कौन से थे किसे याद है। मेरे लिए गेंदा गुलाब ट्यूलिप आर्किड सब एक बराबर हैं।"
"अच्छा ये तो बताओ, टेंट शामियाना कैसा था।"
माँ ने दिमाग पर जोर डाला फिर बोलीं,
"अरे, अब ये सब किसे याद रहता है।"
"फिर यही बता दो खाने में क्या क्या बना था?"
यह सुनकर वह हंस कर बोली, "शादी में खाया-पिया और लिया-दिया कब किसी को याद रहता है ?"
"बस माँ, यही तो आपको समझाने की कोशिश कर रहा हूँ।"
यह सुनकर माँ कुछ देर मौन रही फिर गंभीरता से बोली, "तू ठीक कहता है, लोगों की याददाश्त बड़ी कमज़ोर होती है। चार नमकीन और दो मीठे में क्या बनवाया जाए यह तुम लोग सोच लो।"