भूटान
खुशियो का देश

हर व्यक्ति का सपना होता है कि जीवन में एक बार विदेश यात्रा पर अवश्य जाए। कोई पेरिस जाना चाहता है तो कोई अमेरिका…,लेकिन फ्लाइट का टिकट बुक कर लेने से विदेश यात्रा नहीं हो जाती है। इन देशों में घूमने के लिए चाहिये होते हैं बहुत सारे पैसे…, शायद यही कारण है कि अंतिम समय पर आप अपना प्लान कैंसिल कर देते हैं या पोस्टपोन…
हालाँकि आप विदेश घूमना चाहते हैं और अधिक पैसे खर्च नहीं करना चाहते हैं और साथ में वीजा वगैरह की औपचारिकता पूरी नहीं करना चाहते हैं तो ऐसे कई देश हैं जहां आप बिना वीजा के जा सकते हैं। उन्हीं में से एक देश है “भूटान”।
भारतीयों के लिए “भूटान“ जाना ऐसे ही है जैसे भारत के अन्य राज्यों में जाना है क्योंकि “भूटान” जहाँ भारतीयों को बगैर वीजा जाने की अनुमति है। यहाँ की संस्कृति और परंपरायें अन्य देशों से बिल्कुल अलग हैं, जो दुनिया के सभी प्रकृति प्रेमियों को आकर्षित करती हैं।
यहाँ की सरकार जी. डी.पी. अर्थात आर्थिक विकास की बजाय जी. एन. एच. अर्थात ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस को अधिक महत्व देती है। “भूटान“ को “खुशियों का देश” भी कहा जाता है। भूटान में बौद्ध धर्म का अत्यधिक प्रभाव है। भूटान दुनिया के ऐसे पहले कार्बन नेगेटिव देशों में से एक है जहां तंबाकू की बिक्री पर पूर्णतया प्रतिबंध है।
अब बात करते हैं, भूटान के शहरों एवं जिलों के प्रमुख पर्यटन स्थलों की…..
थिम्पू – हिमालय की ऊँची पर्वत मालाओं में बसा “थिम्पू” भूटान की राजधानी है और सबसे बड़ा शहर भी। थिम्पू में परंपरा और आधुनिकता का मिश्रण देखने को मिलता है। यह विश्व का एकमात्र ऐसा शहर है जहाँ ट्रैफ़िक लाइट नहीं है। यहाँ मूलरूप से कई लोकप्रिय दर्शनीय स्थल हैं।
ताशी छू द्जोंग – भूटान में किला को “द्जोंग” कहा जाता है। थिम्पू का यह प्राचीन किला भूटानी वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है।
चगंगंखा लखांग – चगंगंखा लखांग एक बहुत प्राचीन और सुंदर मन्दिर है, जहाँ से थिम्पू वैली का विहंगम दृश्य दिखाई देता है।
टेंगो गोम्बा – थिम्पू में, टेंगो गोम्बा एक प्राचीन अद्वितीय सुन्दर बौद्ध मठ है। टेंगो बौद्ध संस्थान एक प्रसिद्ध धार्मिक और दर्शनीय स्थल है और साथ ही बौद्ध धार्मिक ग्रंथों को सीखने का एक प्रमुख शैक्षणिक केन्द्र भी है।
लोक विरासत संग्रहालय – थिम्पू का लोक विरासत संग्रहालय जो भूटान की सबसे पुरानी लकड़ी और मिट्टी की संरचना है, अत्यधिक लोकप्रिय पर्यटक स्थल माना जाता है।
रॉयल नेशनल पार्क – थिम्पू में स्थित “रॉयल मानस राष्ट्रीय उद्यान भूटान के सबसे पुराने राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है। यहाँ पर आप ट्रैकिंग और हाथी की सफारी भी कर सकते हैं।
सिम्पली भूटान – अगर आप भूटान की सांस्कृतिक आत्मा को महसूस करना चाहते हैं, तो “सिम्पली भूटान” से बेहतर कोई स्थान नहीं है। यह एक “लिविंग म्यूजियम” है जहाँ भूटानी संस्कृति केवल देखने के लिये नहीं बल्कि जीने के लिये है। लकड़ी के शानदार शिल्प, मिट्टी के घर और सदियों पुरानी भूटानी कला यहाँ ज़िंदा है।
थिम्पू में राष्ट्रीय स्मारक चोर्टेन, मोतीथांग ताकिन प्रिजर्व, डेचेन फोडरंग, राष्ट्रीय पुस्तकालय और नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर जोरिंग चुसुम आदि कई लोकप्रिय पर्यटन स्थल हैं।
पारो – पारो भूटान में सबसे अच्छा, लोकप्रिय, महत्वपूर्ण और खूबसूरत शहरों में से एक है जो चू नदी के किनारे हरी भरी पहाड़ियों से घिरा हुआ है। पारो प्राचीन काल से ही भूटान में बौद्ध धर्म का केंद्र रहा है। पारो एक ऐतिहासिक शहर भी है जो कई पवित्र स्थलों और भवनों से सजा हुआ है। पारो में ऐसे कई पर्यटन स्थल हैं जो पर्यटकों द्वारा सबसे अधिक देखे जाते हैं, जिनमें मठों से लेकर म्यूजियम तक शामिल हैं। पारो के कुछ पर्यटन स्थल….
टाइगर नेस्ट मोनेस्ट्री – टाइगर नेस्ट भूटान के पारो शहर का एक प्रमुख दर्शनीय आकर्षण है। यहाँ पर नौ मठ मंदिर के साथ प्राकृतिक सौंदर्य, मनोरम दृश्य भी देखने को मिलते हैं। यहाँ दस हज़ार फिट की ऊँचाई पर ट्रैकिंग कर पहुँच सकते हैं। यहाँ आधे रास्ते तक घोड़े पर बैठकर भी जा सकते हैं। बीच रास्ते में कैफ़ेटेरिया बना हुआ है जहाँ पर कुछ देर विश्राम कर सकते हैं।
रिनपुंग द्जोंग – पारो के पा चू नदी के किनारे पर स्थित रिनपुंग द्जोंग (किला) एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। इसका निर्माण सन् 1644 में हुआ था।
ड्रुकवेल द्जोंग मठ – भूटान के पारो में स्थित ड्रुकवेल द्जोंग मठ प्राकृतिक दृश्यों का आनन्द लेने के लिये एक अच्छी जगह है।
राष्ट्रीय संग्रहालय – पारो का राष्ट्रीय संग्रहालय भूटान का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक चीज़ों से अवगत कराता है। यहाँ का प्रमुख आकर्षण खच्चर का अंडा है।
चे ले ला पास – पारो शहर का “चे ले ला पास” भूटान का सबसे ऊँचा मोटरेबुल मार्ग माना जाता है। यह पास पारो से 35 किमी दूरी पर है। यहाँ की ऊँचाई समुद्र तल से 3988 मीटर है। यहाँ का नैसर्गिक सौंदर्य पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है।

पारो एयरपोर्ट – यह भूटान का एकमात्र अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो दुनिया के सबसे ख़तरनाक और रोमांचक एयरपोर्ट में से एक माना जाता है। यह समुद्र तल से 2235 मीटर (7333 फ़ीट) की ऊँचाई पर स्थित है और ईस्टर्न हिमालय के लेसर हिमालय रेन्ज के अन्तर्गत आता है जो चारों ओर से ऊँचे ऊँचे पहाड़ों और हरी भरी घाटियों से घिरा हुआ है। इस हवाई अड्डे के चारों ओर पूर्वी लघु हिमालय की पर्वत श्रृंखला फैली हुई है, जिनकी ऊँचाई लगभग 5500 मीटर (18000 फ़ीट) है। लैंडिंग के दौरान एयरप्लेन को इन ऊँचे पर्वतों के बीच से गुज़रना पड़ता है, जिससे यह दुनिया के सबसे चुनौतीपूर्ण लैंडिंग स्पॉट्स में शामिल हो जाता है। यहाँ की हवाई पट्टी केवल 1.96 किमी (6446फीट) लंबी है, जो बड़े प्लेन्स के लिए बहुत कम जगह होती है।
हॉट स्टोन बाथ – जीवन में बहुत कम चीजें हैं जो बिना किसी जल्दबाज़ी के गर्म स्नान की तरह संतोषजनक और शानदार होती हैं और जब वह स्नान, भूटान जैसे लुभावने देश में आपको कम से कम 80 त्वचा रोगों से मुक्त करने का दावा करता हो, आप उसे मिस नहीं कर सकते। मेंचू (औषधि जल) या गर्म पत्थर एक पारंपरिक उपचार पद्धति है, जिसमें व्यक्ति स्थानीय आर्टेमिसिया के पत्ते मिश्रित पानी भरे टब में लेटता है, जिसे आग पर भुने हुए नदी के पत्थरों के द्वारा गर्म किया जाता है।
दोचूला पास – दोचूला पास थिम्पू से पुनाखा जाते हुए 30 किमी दूर अत्यंत ऊँचाई पर स्थित है। विभिन्न सैन्य अभियानों में शहीद हुए सैनिकों के सम्मान में इस स्मारक का निर्माण कराया गया है। इस स्मारक में बहुत खूबसूरत 108 स्तूप हैं, जिन्हें ड्रुक वांग्याल चोरटेन्स के नाम से जाना जाता है।
पुनाखा – पुनाखा एक प्रमुख जिला है जो कि भूटान की पूर्व राजधानी है। यह स्थान माउंटेन बाइकिंग और ट्रैकिंग के लिए सर्वोत्तम स्थल है। पुनाखा के प्रमुख पर्यटन स्थल……
पुनाखा द्जोंग – पुनाखा द्जोंग 16 वीं सदी में निर्मित एक प्राचीन एवं सुंदर किला है। इसके अंदर मठ-मन्दिर के साथ साथ भूटानी वास्तुकला को देखकर आप प्रशंसा किये बिना रह नहीं सकते हैं। यह किला मो चू और पो चू नदी के संगम पर स्थित है।
मो चू नदी – पुनाखा में मो चू नदी को एक फ़ीमेल नदी की मान्यता प्राप्त है। यहाँ पर राफ़्टिंग का आनंद लिया जा सकता है।
पो चू नदी – स्थानीय लोगों द्वारा पो चू नदी को पुरुष नदी की मान्यता है।
पुनाखा सस्पेंशन ब्रिज – पुनाखा द्जोंग से चंद कदमों की दूरी पर “पुनाखा सस्पेंशन ब्रिज” पो चू नदी पर बना तारों का पुल है, जो पर्यटकों को बहुत लुभाता है। इस हिलते डुलते पुल में पैदल चलने का एक अलग ही अंदाज है। ब्रिज को पैदल पार कर उस ओर जाने पर एक बहुत शानदार कैफ़ेटेरिया आपको स्वागत करता हुआ मिलेगा। पुनाखा में चीमी लखथांग मंदिर, जिग्मे दोरजी नेशनल पार्क, खान्सम यूलली नामग्याल चोर्टेन और सांगचे दोरजी लुहंड्रुप ननमेरी भी लोकप्रिय पर्यटन स्थल हैं।
फुंटशोलिंग – फुंटशोलिंग भूटान का दूसरा सबसे बड़ा शहर है, जो भारत के राज्य पश्चिम बंगाल के जयगांव से अपनी सीमा साझा करता है। यह कोलकाता और सिलीगुड़ी की ओर से आने वाले यात्रियों के लिए एक प्रवेश द्वार के रूप में सेवा करता है और भूटान का एक महत्वपूर्ण आर्थिक केंद्र है। फुंटशोलिंग भूटान के अधिकांश शहरों की तुलना में अधिक विकसित है, इसके बाद भी यह प्राकृतिक सौन्दर्य से भरा हुआ है।
फुंटशोलिंग के प्रमुख पर्यटन स्थल ……..
भूटान गेट – भूटान गेट भारत से प्रवेश के लिए मुख्य द्वार है, जो कि पारंपरिक भूटानी वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
जकर पर्यटन – जकर चोकोर घाटी की तलहटी पर बुमथांग में सबसे बड़ी और खूबसूरत घाटी है। जकर को “लिटिल स्विट्जरलैंड” के रूप में भी जाना जाता है। जकर बुमथांग जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है। यह स्थान मठों और द्जोंग के साथ वृक्ष-पर्वतों से घिरा हुआ है।
त्राशीगांग – त्राशीगांग, भूटान का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है जिसे “ईस्ट का गहना” भी कहा जाता है। यह भूटान में व्यापार के लिये भी प्रसिद्ध शहर है, जो असम और तिब्बत के बीच एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र है। यहाँ के प्रमुख पर्यटन स्थल, त्राशीगांग द्जोंग, डंगम छू और सकतेंग वन्यजीव अभयारण्य हैं।
भूटान जाने का सही समय – वैसे तो वर्ष भर में कभी भी भूटान की यात्रा की जा सकती है लेकिन मार्च से मई और सितंबर से नवंबर तक का महीना सबसे अच्छा माना जाता है।
भारत से भूटान कैसे पहुंचे – भारतीयों के लिये भूटान जाना काफी सुविधाजनक है। आप ट्रेन, बस, टैक्सी, निजी वाहन और फ्लाइट से भूटान जा सकते हैं।
जयगांव भारत – भूटान सीमा पर स्थित एक भारतीय शहर है, जो कि भूटान के फुंटशोलिंग शहर से लगा हुआ है। भूटान में प्रवेश करने और परमिट प्राप्त करने के लिए सभी औपचारिकताएं यहाँ आव्रजन कार्यालय में पूर्ण की जाती हैं।
भूटान जाने का सस्ता विकल्प – अगर भूटान जाने के लिये एक सस्ती और आरामदायक यात्रा करना चाहते हैं तो भारत के किसी भी शहर से “बागडोगरा” (सिलीगुड़ी) एयरपोर्ट के लिए फ्लाइट ले सकते हैं, यहाँ पर उतरने के बाद जयगांव के लिए टैक्सी किराये पर ले सकते हैं। यहाँ से जयगांव पहुँचने में लगभग 4-5 घण्टे लगते हैं।
अपनी स्वयं की कार या बाइक से भूटान कैसे पहुँचे – भूटान की यात्रा स्वयं की कार या बाइक से करना चाहते हैं तो इसके लिये फुंटशेलिंग पहुँच कर वहाँ क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय से अपने वाहन के लिए परमिट प्राप्त कर सकते हैं।
वायु मार्ग द्वारा – पारो अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, भूटान का एक मात्र एयरपोर्ट है। यहाँ के लिए दिल्ली, कोलकाता, बोधगया, बागडोगरा और गुवाहाटी से नियमित उड़ानें संचालित होती हैं।
रेल मार्ग द्वारा – भारत के किसी भी शहर से आप न्यू जलपाइगुड़ी, सिलीगुड़ी, कूचबिहार या हासीमारा रेलवे स्टेशन तक ट्रेन से पहुँच सकते हैं। इसके बाद वहाँ से जयगांव – फुंटशोलिंग तक टैक्सी करके पहुँच सकते हैं।
सड़क मार्ग द्वारा – भारतीय पर्यटक भूटान तक बस द्वारा भी पहुँच सकते हैं। भारत से भूटान के लिए कोलकाता, सिलीगुड़ी और हासीमारा से जयगांव – फुंटशोलिंग तक नियमित बसें चलती हैं। बागडोगरा एयरपोर्ट और न्यू जलपाइगुड़ी से कैब बुक करके या शेयरिंग टैक्सी द्वारा भी जयगांव – फुंटशोलिंग तक जा सकते हैं।
गाइड एवं परमिट शुल्क – भूटान में गाइड लेना अनिवार्य है। वह पूरी यात्रा में आपके साथ रहकर सभी स्थानों के बारे में जानकारी देने के साथ ही कब कहाँ कैसे जाना है, क्या करना है, क्या नहीं करना है आदि जानकारी देता रहेगा। आपकी यात्रा के प्रारंभ से समाप्ति के बाद फुंटशोलिंग – जयगांव बॉर्डर पार करवाने के बाद ही आपसे विदा लेगा।
भूटान में गाइड शुल्क ₹ 2200/- प्रतिदिन है। इसी प्रकार से परमिट शुल्क जिसे यहाँ SDF कहते हैं ₹ 1200/- प्रति व्यक्ति प्रति रात्रि है। ध्यान देने वाली बात यह है कि अगर आपकी भूटान यात्रा में 6 रात्रि रुकते हैं तो आपको केवल 4 रात्रि का ही SDF लगेगा, क्यों कि भूटान के बॉर्डर शहर, फुंटशोलिंग के लिए SDF नहीं देना होता है। भारत के जयगांव से भूटान के फुंटशोलिंग दिन में कितनी ही बार जायें कोई प्रतिबंध नहीं है, केवल हर बार आई. डी. दिखानी होगी।
भूटान में कौन सी आई. डी. मान्य है – भूटान में भारत भारतीय पासपोर्ट और वोटर कार्ड को ही आई. डी. के रूप में मान्य हैं।
भूटान में भाषा और भोजन – भूटान में भाषा और भोजन की कोई समस्या नहीं है। यहाँ पर हिन्दी इंग्लिश आसानी से बोली व समझी जाती है और शाकाहारी भोजन सभी रेस्टोरेंट और होटलों में उपलब्ध है।
भूटान में करेंसी – भूटान की अपनी करेंसी है, जो भारत की करेंसी के बराबर मूल्य है। जैसे भारत का सौ रुपया = भूटानी सौ रुपया।
भूटान में सिम कार्ड और नेटवर्क – भूटान जाने के पहले अपने सिम कार्ड की अंतरराष्ट्रीय रोमिंग करवा लीजिये या फुंटशोलिंग पहुंचकर एक टूरिस्ट सिम कार्ड ले लीजिये।