नियमित योग

यम-नियम-आसन-प्राणायाम अंग हैं। योग का अनुष्ठान समग्र स्वास्थ्य का साधन है।
योग अभ्यास से व्यक्ति पूर्णतः रोग मुक्त रह सकता है। आज विभिन्न रोगों के अनुसार योगासनों एवं प्राणायामों पर अनुसन्धान हो रहा है, जिसे आज वैज्ञानिक मन भी स्वीकार कर रहा है। मधुमेह, उच्च रक्तचाप, अवसाद के लिए प्रमुख रूप से योग का सहारा लिया जा रहा है।
प्रतिदिन के नियमित योगाभ्यास से आज कोई भी व्यक्ति सभी प्रकार जीवन शैली से सम्बंधित रोगों से बच सकता है। शारीरिक स्वास्थ्य रक्षण के लिए जहाँ एक ओर आसनो का प्रचलन बढ़ रहा है, वहीं प्राणायाम के माध्यम से भी शरीर को स्वस्थ बनाये रखने के लिए प्रयास हो रहे हैं। योग के माध्यम से लोगों की दिनचर्या भी एक साकार स्वरुप ले रही है, जिसमें ब्रह्ममुहूर्त में जागरण प्रमुख है।
प्रातःकाल उठने की अच्छी आदत ने लाखों लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने प्रारंभ कर दिए हैं। सार्थक परिणाम हम सबके सामने है। ब्रह्ममुहूर्त में उठने को साधू सन्यासियों का कार्य समझकर उनके भरोसे ही छोड़ दिया था, आज आम जनमानस भी योग और दिनचर्या को लेकर अत्यंत सजग दिखाई देता है।

मानसिक स्वास्थ्य बिना योगाभ्यास के प्राप्त ही नहीं किया जा सकता है। नियमित योगाभ्यास, ध्यान के बिना मानसिक स्वास्थ्य की कल्पना करना भी भयावह है। योग जहां एक ओर शरीर के स्तर पर कार्य करता है तो वहीं दूसरी ओर मन पर भी गहराई से प्रभाव डालता है। प्राणायाम करने मात्र से ही मन शांत होना आरंभ हो जाता है, क्योंकि मन का सीधा सम्बन्ध हमारे प्राणों से है, प्राणों के संयमित होने से मन भी संयमित होने लगता है। सतत आसन और प्राणायाम के अभ्यास से शरीर और मन अपने शुद्धतम स्वरुप को प्राप्त हो जाना आरंभ कर देता है। शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। बिना एक के स्वस्थ हुए दूसरे के स्वास्थ्य की कल्पना करना भी असम्भव है।

ऋषि कुमार शुक्ल,

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