जुनून

कानपुर, उत्तर प्रदेश में एक छोटा और खुशहाल परिवार रहता था। परिवार में माँ-बाप के बीच बस एक बच्चा - रिहान ही था जिसे उन दोनों का भरपूर प्यार मिलता था। बचपन से ही रिहान के पापा उसे सफल लोगों की प्रेरणादायक कहानियां सुनाया करते थे। उन्होंने उसे यह भी बताया कि उनका एक आईएएस अफसर बनने का सपना था, पर परिस्थितियोंवश वह आईएएस नहीं बन पाए, जिसका उन्हें आज भी दुःख होता है। इसीलिए वो रिहान को आईएएस अफसर बनते देखना चाहते थे और चाहते थे कि उनका बेटा उनका सर गर्व से ऊँचा करे। पिता के मार्ग दर्शन में रिहान की पढ़ाई अच्छे से चल रही थी। रिहान जब छठी कक्षा में गया तब उसने सोचा की वो एक आईएएस अफसर बनेगा और अपने माँ-बाप का नाम रौशन करेगा। दिन पर दिन रिहान पर इस सपने को साकार करने का जुनून चढ़ता चला गया।

परन्तु, जब रिहान आठवीं कक्षा में था, तभी उसके पापा का सेहत खराब होने के कारण, असमय देहांत हो गया और परिवार को अनेकों कठिनाइयों से गुजरना पड़ा। लेकिन रिहान और उसकी माँ दोनों ने हार नहीं मानी। रिहान की माँ ने पापा की ज़िम्मेदारी भी अपने कन्धों पर लेने का फैसला किया और जॉब करने लगी। रिहान को पापा की याद तो आती ही थी पर माँ की कठिनाईयों को देख कर उसका जुनून और भी बढ़ गया। उसने अपना पूरा ध्यान पढ़ाई पर लगा दिया और दसवीं फिर बारहवीं के बोर्ड्स में उसने 95% से भी अधिक नंबर लाये। बी.ए. की पढ़ाई के साथ-साथ उसने आईएएस की तैयारी भी शुरू कर दी थी।

पढ़ने में रिहान हमेशा से अच्छा था पर पिता के सपनो को साकार करने के लिए उसने आईएएस अफसर ही बनने की ठान ली थी। उसने जीजान से मेहनत की और सच्ची लगन से पढ़ाई करके, आगे चलकर आईएएस की परीक्षा और इंटरव्यू दोनों ही पहले अटेम्प्ट में पास कर लिए और एक अच्छी पोस्ट भी पा ली। रिहान ने ना सिर्फ अपने माँ-बाप का नाम रौशन किया बल्कि पिता को खोने के बावजूद उनके सपनो को साकार कर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि भी अर्पित की।

उसकी ज़िंदगी के सबसे बड़े मागदर्शक उसके अभिभावक ही थे। पापा के नहीं रहने के बाद जब भी रिहान निराश होता था उसकी माँ उसे प्यार से समझाकर सही मार्ग दिखाती थी। हम सभी के जीवन में माँ-बाप की अहमियत किसी भी चीज़ से बढ़ कर होती है। हम यह बात समझने में भले ही कितनी भी देर लगाएं पर हमारे माँ-बाप हमें तब भी उतना ही प्यार देते हैं और बदले में सिर्फ अपने बच्चों से उनकी सच्ची निष्ठा एवं लगन चाहते हैं, जो वास्तव में उन्हीं के भविष्य को संवारती हैं।

सुनिष्का त्रिपाठी, रायन इंटरनेशनल स्कूल, मुंबई