पुस्तक समीक्षा- गीत की अत्यंत महत्वपूर्ण किताब : 101 प्रतिनिधि गीतकार

बहुमुखी प्रतिभा के धनी वरिष्ठ कवि अशोक अंजुम के संपादन में प्रकाशित हुई है “101 प्रतिनिधि गीतकार” पुस्तक । यह अशोक अंजुम की 72 वीं किताब है। अब तक कुल मिलाकर आपकी 32 मौलिक और 40 संपादित किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। काव्य-मंच हो या प्रकाशन, अशोक ‘अंजुम’ दोनों ही जगह अपनी गहरी पैठ रखते हैं। 101 प्रतिनिधि गीतकार पुस्तक को दो भागों में बांटा गया है – पहले भाग में 3 अगस्त 1886 को जन्मे मैथिली शरण गुप्त से लेकर 21 मार्च 1971 के देवल आशीष तक 38 कीर्ति शेष प्रतिनिधि गीतकार रखे गए हैं। इस खंड में वे गीतकार हैं जो आज सशरीर हमारे बीच में नहीं है। लेकिन गीत के क्षेत्र में उनकी कीर्ति पताका सदैव फहरती रहेगी। इस किताब में अलीगढ़ से गीत ऋषि पद्मभूषण नीरज अपने प्रसिद्ध गीत “कारवां गुज़र गया, गुबार देखते रहे” के साथ उपस्थित हैं,तो वहीं बरेली से गीत के श्रेष्ठ हस्ताक्षर किशन सरोज अपने लोकप्रिय गीत — “नागफनी आंचल में बांध सको तो आना / धागों बिंधे गुलाब हमारे पास नहीं।” से जादू जगा रहे हैं।

इस प्रथम खंड में चाहे जयशंकर प्रसाद हों, महादेवी वर्मा, पंत, दिनकर, बच्चन, नेपाली, भारत भूषण, कुंअर बेचैन, किशन सरोज, उर्मिलेश आदि सभी अपने लोकप्रिय गीत के साथ प्रकाशित हुए हैं।

दूसरे खंड में वर्तमान गीत पुरोधा हैं। इन गीतकारों की श्रृंखला 5 मार्च 1934 को जन्मे वरिष्ठ गीतकार सोम ठाकुर के लोकप्रिय गीत – मेरे भारत की माटी है चन्दन और कबीर, संतोषानंद के “इक प्यार का नगमा है।” से लेकर बुद्धिनाथ मिश्र, शिव ओम अंबर, विष्णु सक्सेना, सरिता शर्मा, स्वयं अशोक अंजुम, डॉ कीर्ति काले आदि से होती हुई 01 मार्च 1993 में जन्मे युवा कवि राहुल शिवाय तक पहुंचती है। इस खंड में 63 गीतकारों को रखा गया है। पुस्तक का कलेवर बहुत ही शानदार है जिसे श्वेतवर्णा
प्रकाशन, नोएडा ने बड़े मन से प्रकाशित किया है। निश्चित रूप से यह किताब गीत की दुनिया का एक ऐतिहासिक दस्तावेज बन गई है। 349 रुपए मूल्य की इस कृति को गीत प्रेमियों और शोधार्थियों के लिए एक अनिवार्य पुस्तक के रूप में रेखांकित किया जाना चाहिए।

101 प्रतिनिधि गीतकार (गीत संकलन)
संपादक: अशोक ‘अंजुम’
श्वेतवर्णा प्रकाशन, नोएडा
मूल्य: 349/-
समीक्षक : डॉ दौलत राम शर्मा

9

Author