आशनाई (12th Edition)

आशनाई राजा जैन, कोलकाता इन दिनों मैं पारसाई कर रहा हूँ दिल की मैं अपने सफ़ाई कर रहा हूँहर तरफ़ ...

नई सोच (12th Edition)

नई सोच कविता कोठारी, कोलकाता क्यों हमारी पीढ़ी नई पीढ़ी के चरित्र, संस्कार, मूल्यों पर हमेशा प्रश्नचिन्ह लगा देती है? ...

समर्पण (12th Edition)

समर्पण डॉ. लक्ष्मी शंकर त्रिपाठी कानपुर आनन्दकन्द, आनंदनिधान आनंदधाम जिनकी छत्रछाया में, सान्निध्य में, बीत रहे थे-- आनंद, आनंद एवं ...

सबकी अपनी राम-कहानी (12th Edition)

सबकी अपनी राम-कहानी राज किशोर वाजपेयी "अभय" ग्वालियर अरे! किसी को चाहत धन की,कोई खोजता पद व पदवी ,और किसी ...

नफरत का बोझ (12th Edition)

नफरत का बोझ विक्रम सिंह, रानीगंज नफरत, एक भारी शब्द है, कंधों पर नहीं ढोया जा सकता, लंबे समय तक ...

सब रिश्ते-नाते (12th Edition)

सब रिश्ते-नाते ज्ञानेन्द्र मोहन 'ज्ञान', शाहजहांपुर संबंधों के मधुर गीत आखिर कैसे गाते। बहुत पास से देख लिए हैं सब ...

बने हर तरह हिंदुस्तानी (12th Edition)

बने हर तरह हिंदुस्तानी अशोक ‘अंजुम’, अलीगढ़ हाय भुलक्कड़! भूल गए हम उनके बलिदानों की गाथा, जिनके बल पर जीते ...

ओपेरेशन सिंदूर (12th Edition)

ओपेरेशन सिंदूर बदलते भारत की तस्वीर गिरिधर राय, कोलकाता ऑपरेशन सिंदूर की अब, सबको बात बतानी है निडर तपस्वी राजा ...

डोर (12th Edition)

डोर मधु भूतड़ा 'अक्षरा' जयपुर आजकल रेशम की यह डोर बड़ी महंगी है...!!भाई को मिलती बहन नहीं बहन को मिलता ...

हम जुगनू को देखने वाली अंतिम पीढ़ी हैं (12th Edition)

हम जुगनू को देखने वाली अंतिम पीढ़ी हैं डॉ. रामानुज पाठक, सतना नन्हीं-सी लौ, अंधेरे की चीरती चुप्पी, रात की ...

बहती जाये अँसुवन धारा (12th Edition)

बहती जाये अँसुवन धारा - नरेंद्र सिंह, गयापावस सावन खत्म हुआ अब, अँखियाँ खोजे नन्द दुलारा। कान्हा-कान्हा रटे गोपियाँ, बहती ...

माँ (11th Edition)

सीमा त्रिवेदी, नवी मुंबईसुबह सवेरे सूरज-सी माँ, घर में उजियारा भरती है। थाली में बन घी की रोटी, क्षुधा कुटुम्ब ...

पत्राचार (11th Edition)

पत्राचार प्रियंका शुक्ला, पुरी​ आज सिखाते हुए बच्चों को पत्र लेखन, याद आ गए मुझे वो चिठ्ठियों के बीते दिन।छत ...

जानते जा (11th Edition)

जानते जा - अमित मिश्रा, सरायकेला पाप आंसू से ही धुलेंगे गंगा के जल से नहीं कर्म जब भी खुलेंगे ...

मैं पृथ्वी हूँ (11th Edition)

मैं पृथ्वी हूँ - डॉ. रामानुज पाठक, सतनामैं पृथ्वी हूँ — साक्षी सहस्राब्दियों की,मौन में भी गूँजती रही सभ्यताओं की ...
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