समानता का अधिकार, कहिए, क्या है आपका विचार ? क़ानून और रिवाज का घमासान, समझो देश एक परिवार समान। धर्म -जात के जो भी हों अंतर, रहे भेद भाव घर के अंदर। क़ानून एक, अनुष्ठान अपने अपने; सहयोग कर पूरे हों देश के सपने। अपनी डफली अपना राग, सभ्यता पर ये कैसा है दाग। कुरीतियाँ को त्यागें, सत्य को अपना, माप तोल कर देखें , हर सुर का जपना। अब्दुल, हरि, जोसेफ और करतार, आओ साथ मिल अब भरे हुंकार। दहल जाये दुश्मन, सीधी हो चाल, चीन अमरीका भी चलें, अब भारत की चाल !