समानता का अधिकार

समानता का अधिकार,
कहिए, क्या है आपका विचार ?
क़ानून और रिवाज का घमासान,
समझो देश एक परिवार समान।
धर्म -जात के जो भी हों अंतर,
रहे भेद भाव घर के अंदर।
क़ानून एक, अनुष्ठान अपने अपने;
सहयोग कर पूरे हों देश के सपने।
अपनी डफली अपना राग,
सभ्यता पर ये कैसा है दाग।
कुरीतियाँ को त्यागें, सत्य को अपना,
माप तोल कर देखें , हर सुर का जपना।
अब्दुल, हरि, जोसेफ और करतार,
आओ साथ मिल अब भरे हुंकार।
दहल जाये दुश्मन, सीधी हो चाल,
चीन अमरीका भी चलें, अब भारत की चाल !

राजीव केजरीवाल कोलकाता