15 Nov 24
15 Aug 24
15 Nov 22
- आगे नाथ न पीछे पगहा = जो व्यक्ति परिवार में अकेला हो
- नौ दिन चले अढ़ाई कोस = धीमी गति से चलना
- नाचि न आवै आंगन टेढ़ा = काम न करने का बहाना
- बिलारी (बिल्ली) के भाग (भाग्य) ते छींका (सिकहर) टूटा = भाग्यवश कुछ अचानक मिल जाये
- आँख एक नहीं, कजरौटा दस दस = व्यर्थ आडम्बर
- छटाँक चून चौ बारे रसोई = केवल दिखावा
- छूँछी हांडी बाजे टन टन = हल्के व्यक्ति के खोखलेपन का खुलासा
- खेत खाये गदहा मार खाये जुलहा = निरपराधी को दण्डित करना
- कोयल होय न उजली सौ मन साबुन लाई = कितना भी प्रयत्न किया जाए स्वभाव नहीं बदलता
15 Aug 23
बैसवारी मुहावरे
- आँधर के हाथ बटेर लागि ⮞ अर्थात ⮞ अयोग्य व्यक्ति को अच्छी वस्तु मिलना
- घर के देव लुलुहायें बाहेर के पूजा मांगे ⮞ अर्थात ⮞ अपने निकट के लोगों की परवाह न कर दूर के लोगों की सहायता
- उल्टे बांस बरेली को ⮞ अर्थात ⮞ असंभव काम को संभव करने की प्रक्रिया
- हाथ मा सुमिरनी बगल मा कतरनी ⮞ अर्थात ⮞ मुँह का मीठा परन्तु मन में दुर्भावना
- उंगली पकड़कर पहुंचा पकड़ना ⮞ अर्थात ⮞ छोटी सी मदद पाते ही बड़ी इच्छाएं पालना
- समय पाय तरुवर फले, कतवो सीचे नीर ⮞ अर्थात ⮞ कोई भी काम एक निश्चित समय पर ही पूर्ण होता है
- सौ सयाने एक मत ⮞ अर्थात ⮞ बुद्धिमान लोग सर्वमत से कार्य करते हैं
- अंतड़ियां कुलबुलाना ⮞ अर्थात ⮞ बहुत तेज़ भूख लगना
- औने पौने करना ⮞ अर्थात ⮞ लाभ हानि की चिंता किये बगैर बेचना
- ऊंट घोड़ा बहि जाए अउ गदहा कहे केत्ता पानी ⮞ अर्थात ⮞ जब कोई काम किसी योग्य व्यक्ति द्वारा ना हो पाए और अयोग्य व्यक्ति उसे करना चाहे
15 Feb 23