सिमित पग-डग, लम्बी मंजिल, तय कर लेना कुछ खेल नहीं।
दाएं-बाएं सुख-दुःख चलते, सम्मुख चलता पथ का प्रसाद;
जिस-जिस पथ पर स्नेह मिला, उस-उस राही को धन्यवाद।।"
बड़ी सटीक बैठती हैं शिव मंगल सिंह 'सुमन' की उपरोक्त पंक्तियाँ जब बात सभी के प्रति आभार व्यक्त करने की हो। "जनमैत्री" त्रैमासिक हिंदी पत्रिका छोटे क़दमों से लम्बी दूरी तय करने का एक संकल्प है, जिसे पूरा करने के लिए पत्रिका के प्रबंधन मंडल का उत्कृष्ट सहयोग एवं संपादक मंडल का मार्गदर्शन प्राप्त है। इसके साथ ही पाठकों की बढ़ती संख्या और लेखन कार्य में जुड़ते निरंतर नए नाम इस बात को कहीं न कहीं सिद्ध करते हैं कि पत्रिका अपने मूल उद्देश्यों में सफल हो रही है। "जनमैत्री" के प्रवेशांक का विमोचन १५ नवम्बर २०२२ को सोशल मीडिया के ज़ूम प्लेटफार्म पर हुआ था, जिसमें १५० से भी अधिक संख्या में दर्शकों की लगभग २ घंटे के कार्यक्रम में बड़ी तल्लीनता के साथ सक्रिय भागीदारी हमारे प्रति अपार प्रेम झलकाता है, जिसका ह्रदय से आभार।
प्रवेशांक की भांति अपने पथ पर आगे बढ़ते हुए "जनमैत्री" का द्वितीय अंक आपके समक्ष प्रस्तुत है। इस अंक में कई नए विषयों को भी स्पर्श किया गया है, जिनका चित्रित वर्णन आपको अवश्य आकर्षित करेगा। हमें विश्वास है कि "जनमैत्री" का सफर आप सब के सहयोग और सौहार्द से सदैव आगे बढ़ता रहेगा।