टिफिन के बाद पांचवें पीरियड में
घुसते ही प्रश्न किया हिंदी के टीचर ने
‘अशोक वाटिका किसने उजाड़ी ?’
इस छोटे से प्रश्न ने
बैकबेंचर्स की सूरत बिगाड़ी।
एक ने धीरे से कहा
मैंने तो पहले ही कहा था
यह हिंदी कम पढ़ाता है
जासूसी ज्यादा करता है
छुट्टी के बाद अमरूद तोड़ा जाएगा
तुम लोग माने नहीं, लो भुगतो सलटो
खामोशी को तोड़ते हुए सर ने
दूसरा प्रश्न किया- “फल किसने तोड़े ? “
तीनों के हाथों में एक-एक अमरुद था
वे उसे ऐसे छिपाने लगे जैसे वो बारुद था।
उत्तर ना मिलने पर सर बेंत घुमाते हुए
पिछली सीट की ओर बढ़ने लगे
बच्चे भय से थरथराने लगे
पिछली सीट पर बैठे हनुमान सिंह
हनुमान चालीसा दोहराने लगे-
“भूत पिशाच निकट नहीं आवे
महावीर जब नाम सुनावे “
सर ने फिर जोर से पुकारा
अरे बोलते क्यों नहीं
“राक्षसों को किसने मारा ?”
हनुमान सिंह ने धीरे से कहा-
अरे ! हमलोगों ने तो माली को मारा था
ये तो राक्षस कह रहा है!
अंगद पांडे फुसफुसाये-
इसके लिए सब जगह एक ही जैसी है
चाहे आगरा हो या रांची हो,
जानते नहीं यह हिंदी का टीचर है
हो सकता है – ‘राक्षस’ माली का पर्यायवाची हो।
तब तक एक मेधावी छात्र
राम सिंह नें हाथ उठाया
और प्रश्न के उत्तर में
हनुमान का नाम बतलाया।
मास्टर साहब उसकी पीठ थपथपाने लगे।
उधर बगल वाले दोनों दोस्त
हनुमान को समझाने लगे-
देख दोस्त ! तुझे तो सर जी जान ही गए,
अब दोस्ती के नाम पर तुम जान दे देना
पर हम लोगों का नाम मत लेना।
किन्तु इसी बीच घंटा बज गया
और मास्टर जी ने जब जाने के लिए
अपनी बेंत और डायरी उठायी
तब जाके हनुमान के जान में जान आयी।
पर शाम को छुट्टी के बाद स्कूल गेट पर
हनुमान सिंह ने उस मेधावी छात्र को पकड़ा
और तीन-चार झापड़ रसीद करते हुए पूछा
तेरे बाप का बगीचा था, तेरे दादा ने उसको सींचा था
देखा था तुमने ! हम लोगों को फल तोड़ते हुए
मेधावी छात्र ने कहा हाथ जोड़ते हुए
गलती हो गयी माफ कर दीजिये,
पर इतना सुन लीजिए
यह बात रामायण में सुन्दर काण्ड की है,
आप लोगों की नही हैं,
सुंदरकाण्ड की हो या लंकाकाण्ड की
हमसे मतलब नहीं है
बस हमारा नाम नहीं आना चाहिए।
दूसरे दिन सर ने उसी चैप्टर को
आगे बढ़ाते हुए पूछा-
“लंका में आग किसने लगायी”
राम सिंह ने पीछे गर्दन घुमाते हुए हाथ उठाया
तो हनुमान सिंह को अपने तरफ घूरते हुए पाया
फिर उसने झटके से हाथ नीचे कर लिया।
सर ने पूछा- राम ! ये तुमने क्या किया
हाथ उठाया और फिर नीचे कर लिया ?
तब राम ने इशारे से हनुमान को दिखाया
सर के कुछ पूछने के पहले ही
हनुमान ने गुस्से से कहा-
सर ! आप कुछ भी पूछते हैं
ये कल से मेरा ही नाम ले रहा है
राम ने कहा – सर क्या करें हर उत्तर में तो
हनुमान का ही नाम आ रहा था
सर ! हँसते हुए बोले-
पहली बात हनुमान और राम का
रिश्ता बहुत ही गहरा है
हनुमान राम के आसपास ही रहते हैं
और राम तो हनुमान के सीने में ही रहते हैं
और दूसरी बात, तो जग जाहिर है बच्चों
कि जब लोगों पर संकट आता है
तो वे राम जी को पुकारते हैं
और जब राम जी पर कोई संकट आता है
तो वे राम जी को पुकारते हैं
और जब राम जी पर कोई संकट आता है
तो वो हनुमान जी को पुकारते हैं।।
गिरिधर राय, कोलकाता