कल्यानी
कल्यानी रक्षाबन्धन का दिन था। विमला ने पूर्णिमा का व्रत रखा था। गाँव में लोग व्रत रखते हैं तो दूध
कल्यानी रक्षाबन्धन का दिन था। विमला ने पूर्णिमा का व्रत रखा था। गाँव में लोग व्रत रखते हैं तो दूध
अपनी शक्ति को पहचाने एक बौद्ध भिक्षुक भोजन बनाने के लिए जंगल में लकड़ियाँ चुन रहा था कि तभी उसने
जाको राखे साईयाँ रोहित किशोरवय का मध्यम वर्गीय परिवार का इकलौता बेटा, अपने माता-पिता से अनुमति लेकर रविवार के स्कूली
गार्जियन आज दिव्या मिली, देख कर खुशी हुई पर थोड़ी सी बूढ़ी लगी, पूरे सफेद बाल और आंखों पर चढ़ा
बाबूजी भोर का समय, आसमान से अभी भी अंधेरा छटा नहीं। पक्षियों के मीठे कलरव से अचानक नींद से उठा
संतो बुआ मामा आए थे, बता गए कि संतो बुआ नही रही। मां तो रोने ही लगी, मुझे भी बड़ा