short story

कल्यानी

कल्यानी रक्षाबन्धन का दिन था। विमला ने पूर्णिमा का व्रत रखा था। गाँव में लोग व्रत रखते हैं तो दूध

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जाको राखे साईयाँ

जाको राखे साईयाँ रोहित किशोरवय का मध्यम वर्गीय परिवार का इकलौता बेटा, अपने माता-पिता से अनुमति लेकर रविवार के स्कूली

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गार्जियन

गार्जियन आज दिव्या मिली, देख कर खुशी हुई पर थोड़ी सी बूढ़ी लगी, पूरे सफेद बाल और आंखों पर चढ़ा

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बाबूजी

बाबूजी भोर का समय, आसमान से अभी भी अंधेरा छटा नहीं। पक्षियों के मीठे कलरव से अचानक नींद से उठा

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संतो बुआ

संतो बुआ मामा आए थे, बता गए कि संतो बुआ नही रही। मां तो रोने ही लगी, मुझे भी बड़ा

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