भौतिक समस्या और ज्योतिषीय समाधान

प्रश्न: आजकल मुझे गुस्सा बहुत आ रहा है। छोटी छोटी बात पर भी इतना गुस्सा आ जाता है कि जो कुछ भी हाथ में आवे, फेंक देने का मन करता है। लगता है सब कुछ तोड़ फोड़ डालूं। यह सब नहीं हो पाता है तो रोना आता है। क्या करूं ?
उत्तर: क्रोध का कारक ग्रह मंगल है। जिस जातक की कुंडली में लग्न और चंद्रमा से इसकी युति अथवा दृष्टि संबंध होता है, वह स्वभाव से क्रोधी होता है। इसके साथ ही जिनका जन्म कृष्णपक्ष की एकादशी से शुक्लपक्ष की पंचमी के बीच का होता है, और लग्न अथवा चंद्रमा से बृहस्पति का भी युति दृष्टि संबंध होता है, उनके साथ यह समस्या कुछ अधिक हो जाती है।
इस प्रकार की स्थिति जब जब गोचर में बनती है तब तब ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है। मंगल का दुष्प्रभाव जातक में क्रोध का संचार करता है। इसकी शांति के लिए सात मंगलवार आटे की लोई में लाल मसूर और गुड़ रखकर अपने ऊपर से उतार कर गाय को खिलाने से क्रोध नियंत्रित होता है।
कृष्णपक्ष की एकादशी से शुक्लपक्ष की पंचमी के बीच चंद्रमा दुर्बल होता है। इस कारण इस बीच जन्मे जातक मन से दुर्बल होते हैं। दुर्बल मन जल्दी क्रोधित होता है। इसे दूर करने के लिए दाहिने हाथ की कनिष्ठिका में मोती की अंगूठी पहनने और प्रत्येक सोमवार शिवलिंग पर जल दूध चढ़ाने से लाभ होता है।
लग्न अथवा चंद्रमा से बृहस्पति का युति दृष्टि संबंध जातक को महत्वाकांक्षी बनाता है। चंद्रमा यदि दुर्बल हो तो महत्वाकांक्षा पूरी हो पाना कठिन होता है। ऐसे में कुंठा और झुंझलाहट का होना स्वाभाविक है। इस झुंझलाहट को मंगल का सहयोग उग्रता प्रदान करता है और स्थिति वैसी बन जाती है जैसी कि आपकी है। इस स्थिति को स्वविवेक ही नियंत्रित कर सकता है। इसके लिए “श्रीगणपत्यत्वशीर्षम” के नित्य संसंकल्प तीन पाठ करने से लाभ होता है।
उपरोक्त उपचार निश्चय ही आपकी समस्या का निराकरण कर देगा और आपका क्रोध आपके नियंत्रण में होगा। क्रोध को निकालने के लिए मसाला कूटने जैसे कार्य भी किए जा सकते हैं।
मां भगवती आपका कल्याण करें।