डॉ. प्रकृति पारीख, मुंबई
होमियोपैथ, डाइटीशियन, न्यूट्रिशनिस्ट
मधुमेह को वैज्ञानिक रूप से डायबिटीज मेलेटस के नाम से जाना जाता है। आजकल की व्यस्त जीवनशैली और अनियंत्रित आहार के कारण डायबिटीज एक आम समस्या बन चुकी है। यह एक अस्थाई रूप से उच्च रक्त शर्करा (शुगर) की स्थिति है, जो दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। डायबिटीज एक मेटाबॉलिक डिसऑर्डर (चयापचय विकार) है,जिसमें मरीज के शरीर के रक्त में शर्करा (शुगर) का स्तर बहुत अधिक होता है।
ग्लूकोज हमारे शरीर की ऊर्जा का मुख्य स्रोत है। हमारे शरीर का तंत्र हमारे द्वारा खाए जाने वाले भोजन को ग्लूकोज में परिवर्तित करता है। ग्लूकोज रक्त प्रवाह में प्रवेश करता है। शरीर की कोशिकाएं (cells) रक्त प्रवाह से ग्लूकोज को अवशोषित (absorb) करती हैं। कोशिकाएं रक्त शर्करा का उपयोग ऊर्जा के लिए करती हैं। इंसुलिन अग्न्याशय (पेनक्रियाज) द्वारा बनाए जाने वाला एक हार्मोन है जिसका मुख्य कार्य रक्त में शर्करा (शुगर) के स्तर को और शरीर की कोशिकाओं में उनके अवशोषण को नियंत्रित करना है। इसीलिए इंसुलिन का बनना शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। जब इंसुलिन सही मात्रा में नहीं बन पाता है तो व्यक्ति के बॉडी मेटाबॉलिज्म पर भी उसका प्रभाव पड़ता है, जिसके कारण शर्करा (शुगर) खून में ही इकट्ठा हो जाती है और खून में शुगर का स्तर बढ़ जाता है। इसके इलावा डायबिटीज के और भी कई कारण हैं, जैसे – अनुवांशिकता (जेनेटिक्स), अधिक वजन या मोटापा, अस्वास्थ्यकर खान-पान, शारीरिक गतिविधियों की कमी, उम्र का बढ़ना, हाई ब्लड प्रेशर, तनाव, खून में चर्बी की मात्रा ज्यादा होना।
डायबिटीज के कई प्रकार हैं, जैसे – टाइप 1 डायबिटीज, टाइप 2 डायबिटीज, प्रीडायबिटीज, गर्भावधि डायबिटीज (जेस्टेशनल डायबिटीज)। टाइप 1 डायबिटीज में शरीर इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है जबकि टाइप 2 डायबिटीज में शरीर इंसुलिन का सही ढंग से उपयोग नहीं कर पाता है। प्रीडायबिटीज वह अवस्था है जब किसी व्यक्ति के रक्त शर्करा का स्तर सामान्य से अधिक होता है, यह स्थिति डायबिटीज का संकेत हो सकती है और अगर इसका समय पर उपचार नहीं किया तो यह टाइप 2 डायबिटीज में परिवर्तित हो सकता है। गर्भावधि डायबिटीज गर्भावस्था के दौरान कुछ महिलाओं में होता है। यह स्थिति आमतौर पर बच्चे के जन्म के बाद ठीक हो जाती है।
डायबिटीज के कई विशिष्ट लक्षण हैं, जैसे बार-बार पेशाब आना, बहुत ज्यादा और बार-बार प्यास लगना, लगातार भूख लगना, अकारण थकावट महसूस होना, दृष्टि धुंधली होना, घाव ठीक ना होना या देर से ठीक होना, अकारण वजन कम होना, बार-बार पेशाब या रक्त में संक्रमण (इन्फेक्शन) होना और हाथ या पैर में सुन्नपन या झुनझुनी का महसूस होना। यदि हमारे शरीर में इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे तो उसे अनदेखा नहीं करना चाहिए बल्कि नजदीकी डॉक्टर से मिलकर अपने स्वास्थ्य के बारे में सलाह लेनी चाहिए। डायबिटीज का शीघ्र पता लगाने और उपचार से इसके विकार के जोखिमों को कम किया जा सकता है। डायबिटीज निदान दो मुख्य रक्त परीक्षण (ब्लड टेस्ट) द्वारा किया जाता है- फास्टिंग ब्लड शुगर टेस्ट– यह टेस्ट रात्रि के भोजन के बाद कम से कम 8 से 10 घंटे की अवधि के बाद किया जाता है।
खून में शुगर की मात्रा निर्धारित स्तर यानी 126 mg/dl से अधिक हो तो उसे मधुमेह माना जाता है। ग्लाइकोहिमोग्लोबिन टेस्ट (hba1c) – यह परीक्षण पिछले तीन महीनो में औसत रक्त शर्करा के स्तर को मापता है। यदि hba1c की मात्रा 6.5% से अधिक है तो उसे मधुमेह माना जाता है। इसके अलावा ओरल ग्लुकोज़ टोलरेंस टेस्ट, रेंडम ब्लड ग्लूकोज टेस्ट और यूरिनरी शुगर टेस्ट द्वारा भी ब्लड शुगर का पता लगाया जा सकता है।
जो भी इंसान डायबिटीज की बीमारी से परेशान होता है उसका इलाज बहुत जरूरी होता है। यदि डायबिटीज को नियंत्रित नहीं किया जाता है तो यह कई गंभीर जटिलताएं पैदा कर सकता है जैसे, हृदय रोग, किडनी की बीमारी, आंखों की समस्याएं, नर्व डैमेज, पैरों में अल्सर, डायबिटीज कीटो एसिडोसिस, हाइपर ऑस्मोलर कॉमा।
डायबिटीज के नियंत्रण के लिए उसका उपचार और प्रबंधन बहुत अनिवार्य है। डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति को डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाओं का नियमित सेवन करना जरूरी है। दवाइयों के साथ-साथ जीवन शैली में बदलाव, स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, नियमित रक्त शर्करा जांच करना, तनाव से दूर रहना डायबिटीज के नियंत्रण के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है, ताकि रोगी स्वस्थ जीवन जी सके।
डायबिटीज एक जीवन शैली से जुड़ी बीमारी है। यदि डायबिटीज जैसी बीमारी से बचना है तो स्वस्थ जीवन शैली अपनाना जरूरी है। यदि हम चाहते हैं कि हमें डायबिटीज जैसी बीमारी ना हो तो कुछ महत्वपूर्ण बातें हम जीवन में अपना सकते हैं जैसे —-
– संतुलित और पोषक तत्वों से भरपूर आहार लेना चाहिए। सब्जियां, हरी सब्जियां, फल, साबुत अनाज, प्रोटीन युक्त आहार (अंडे, दाल, नट्स) कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थ, फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ को आहार में शामिल करना चाहिए।
– अत्यधिक वजन या मोटापा डायबिटीज का एक प्रमुख कारण है। हमें नियमित व्यायाम करना चाहिए जिससे वजन नियंत्रित रखने में मदद मिलती है।
– तनाव कम करना चाहिए। मानसिक शांति और तनाव से मुक्ति पाने के लिए योग और ध्यान करना चाहिए।
– धूम्रपान और शराब जैसी आदतों से दूर रहना चाहिए।
– रोजाना 7 से 8 घंटे की पर्याप्त नींद लेनी चाहिए।
– रोज तीन से चार लीटर पानी पीना चाहिए।
– सरल कार्बोहाइड्रेट जैसे – चीनी, मैदा, प्रोसेस्ड फूड, तला हुआ खाना, बाहर का खाना, जंक फूड, चर्बी युक्त खाने का कम उपयोग करना चाहिए।
मधुमेह एक प्रबंधनीय बीमारी है। मधुमेह के प्रकार, कारण, लक्षण और उपचार के विकल्पों को समझकर व्यक्ति स्थिति को प्रभावी ढंग से प्रबंध करने और स्वस्थ जीवन जीने के लिए कदम उठा सकते हैं। जागरूकता और सतर्कता से मधुमेह के प्रभाव को कम किया जा सकता है और स्वस्थ जीवन जिया जा सकता है।