आज के अधुनिक युग में या यूं कहें कि आज के कंप्यूटर युग में साइबर अपराध एक प्रमुख मुद्दा बन गया है।
जैसे - जैसे टेक्नोलॉजी में वृद्धि हो रही है, हमारे काम में सरलता बढ़ती जा रही है, वैसे - वैसे हम और भी कंप्यूटर और इन्टरनेट के अधीन होते जा रहे हैं। इन्टरनेट के द्वारा हम कहीं भी कुछ भी एक ही स्थान पर बैठे - बैठे उपलब्ध करा सकते हैं। इंटरनेट के एक क्लिक से सब ऑनलाइन उपलब्ध हो जाता है, फिर चाहे वह समाजिक नेटवर्किंग हो, ऑनलाईन खरीददारी, पढ़ाई, काम या अपना बैंक अकाउंट मैनेज करना हो, सब बस एक क्लिक दूर है। पर ये सुविधाएं आजकल घातक सिद्ध हो रही हैं। जैसा कि कहा जाता है - अपराधी अपराध करने के नए - नए तरीके खोज ही लेते हैं उसी तरह आज कल साइबर अपराध, साइबर धोखाधड़ी भी अपने चरम पर है। न केवल भारत में साइबर क्राइम बल्कि पूरे विश्व में तेजी से फैलता जा रहा है।
साइबर क्राइम अन्य अपराधों से अलग है, इसका कारण यह है कि इसका कोई विशिष्ट ठिकाना नहीं है और वहीं अपराधी भी अनजाने, पढ़े - लिखे और तीव्र बुद्धि के हैं।साइबर अपराधी हमारी तरह सामान्य ही रहते हैं, हमारे बीच घुले - मिले भी हो सकते हैं। साइबर अपराधियों के निशाने पर आम इंसानो के साथ - साथ बड़े उद्योगपति, सरकारी स्टेक-होल्डर भी हैं। भारत में साइबर अपराध की संख्या में प्रतिदिन बढ़ोत्तरी हो रही है। जितनी ज्यादा जानकारी हमारी, हमारे आस - पड़ोस की, परिवेश की, काम से सम्बंधित, निजी आदि इन्टरनेट पर उपलब्ध होती है उतना ही अपराधियों को अपराध में सहायता मिलती है।
आईये जानते हैं - अखिर ये साइबर क्राइम, धोखाधड़ी या अपराध होता क्या है ?
साइबर क्राइम अपराध का वह तरीका है जहां पेशेवर अपराधी (इन्टरनेट भाषा में उसे हैकर कहते हैं) द्वारा ऑनलाइन माध्यम से आपके किसी भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जैसे - मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर या नेटवर्क से जुड़े अन्य किसी भी डिवाइस पर अनाधिकृत रूप से अपना अधिकार करके अलग - अलग अपराधों को अंजाम देते हैं। ज्यादातर साइबर क्राइम को हैकर्स या साइबर अपराधियों के समूह द्वारा पूरे योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया जाता है। इसका प्रमुख लक्ष्य वित्तीय लाभ प्राप्त करना होता है।
साइबर अपराध के अंतर्गत विभिन्न अपराधों की श्रृंखला आती है - जिसमें हैकिंग, ऑनलाइन ठगी, प्राइवेसी लीक, साइबर बुलिंग, मैट्रीमोनिअल फ्रॉड, इंस्टैंट लोन फ्रॉड, के वाई सी फ्रॉड एवं अन्य कई प्रकार के अपराध शामिल हैं।
अक्सर आप ने टी.वी. न्यूज़, अख़बारों एवं अन्य माध्यम से ये सुना होगा कि ओ टी पी पूंछ कर या क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड नंबर के माध्यम से किसी के बैंक अकाउंट से पैसे निकल गये। आजकल तो और भी चतुराई के साथ इन अपराधों को अंजाम दिया जा रहा है। सोशल मिडिया जैसे व्हाट्सप्प, फेसबुक, मेसेंजर आदि के माध्यम से भी अब इन अपराधों को अंजाम दिया जाता है। आपके सोशल मिडिया अकाउंट को हैक करके आप के परचितों को अनजान लिंक पोस्ट किये जाते हैं या उनको भावनात्मक तरीके से अपने झांसे में लेते हैं हैकर्स और उनसे आपके नाम से ठगी करते हैं।
साइबर क्राइम व्यक्तिगत, व्यावसायिक, सामाजिक किसी भी प्रकार से किया जा सकता है। व्यक्तिगत रूप से किसी व्यक्ति को मानसिक उत्पीड़न, जातीय उत्पीड़न, व्यक्तिगत फोटोज का अवैध इस्तेमाल आदि कर के पैसे ऐंठे जाते हैं। सामाजिक रूप में भी साइबर स्टॉकिंग एक बहुत आम बात हो गयी है। वर्तमान में सोशल मिडिया के समय में अधिकांश लोग अपना अधिक समय सोशल मिडिया पर व्यतीत करते हैं। इसी का फायदा साइबर अपराधी बखूबी उठाते हैं, और साइबर स्टॉकिंग के माध्यम से विभिन्न लोगों को खूब परेशान करते हैं। अपराधी सोशल मीडिया के माध्यम से पीड़ित को बार - बार फोन कर के, धमकी भरे संदेश द्वारा, अश्लील वीडियोस या तस्वीरें भेज कर और इसी प्रकार के अन्य कृत्यों से दूसरों को कई बार परेशान करते हैं। पीड़ित अपनी परेशानी कभी शर्मवश, कभी बदनामी के भय से किसी के साथ साझा नहीं करते, जिसके कारण वह मानसिक रूप से बहुत परेशान रहते हैं। इसी मानसिक उत्पीड़न की वजह से वे कई बार बहुत अनुचित कदम उठा लेते हैं, जिसका खामियाज़ा न केवल उसे बल्कि उसके पूरे परिवार को आजीवन भुगतना पड़ता है और ये सब सिर्फ साइबर क्रिमिनल्स की वजह से, जिन्हें सिर्फ अपना निजी वित्तीय लाभ दिखता है।
अगर सिर्फ भारत में साइबर अपराध की बात की जाये तो देश में साइबर क्राइम आज प्रमुख अपराधों में शामिल है। न केवल शहरों में अब इन अपराधियों के हाथ गांवों तक पहुंच चुके हैं। बढ़ते अपराध का कारण जागरूकता की कमी और देश में साइबर सुरक्षा के बारे में जानकारी का अभाव है। जानकारी के अभाव के कारण ऑनलाइन ठगी सबसे सामान्य ठगी बनती जा रही है। जिसके कारण रोज किसी न किसी को वित्तीय नुकसान उठाना पड़ता है। इसके अतिरिक्त साइबर बुलिंग के माध्यम से महिलाओं के साथ होने वाले अपराध भी बढ़ते जा रहे हैं।
साइबर संबंधित अपराध हर तरफ तेजी से बढ़ता जा रहा है, जो एक चिन्तनीय विषय है। ऐसा नहीं है कि सरकार इस विषय में जागरूक नहीं हैं। सरकार द्वारा साइबर अपराध रोकने के विभिन्न प्रयास किये जा रहे हैं। सरकार कई प्रकार से लोगों को जागरुक बनाने का अलग-अलग प्रयोग भी कर रही है। अभी सिर्फ सरकार ही नहीं, उनके साथ - साथ जरूरत है आम नागरिक को भी जागरूक बनने की। इसके लिए आम जनता को सावधनी बरतनी होगी। सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करना होगा। समाज सेवी संस्थाओं को भी इस अभियान में शामिल होना होगा। शहरों के साथ गांव - गांव जा कर जन मानस को सावधान करना होगा, उन्हें इसकी जानकारी और इससे सावधानी के उपाए बताने होंगे। अन्य उपायों में आपको अपने डिवाइस को समय - समय पर अपडेट करते रहना चाहिए। अपने अकाउंट्स को एक मजबूत पासवर्ड से सुरक्षित करना भी जरूरी है।
सुरक्षित नेटवर्क का उपयोग करना चाहिए। पब्लिक प्लेस में मिलने वाले मुफ्त व्हाई-फाय [WiFi ] नेटवर्क्स अक्सर हैकर्स के निशाने पर रहते हैं। जितना हो सके उन जगहों पर इंटरनेट का उपयोग नहीं करना चहिए। बच्चों के साथ भी सावधानी बरतनी होगी, बच्चे अक्सर हैकर्स के निशाने पर रहते हैं। आवश्कता है बच्चों को इंटरनेट सर्फिंग के सभी सुरक्षित प्रोटोकॉल के बारे मे जानकारी देने की, साथ ही बच्चों को सेफ-सर्च मोड के बारे में बताने का एवं पेरेंट्स लॉक जैसी सुविधाओं के उपयोग का। साथ-साथ सोशल मिडिया पर भी बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। अपनी निजी जानकारी को सोशल मिडिया में अपलोड करने से बचना होगा। ध्यान रखने की आवश्कता है कि किसी भी अज्ञात लिंक पर क्लिक न करें, कई बार अवांछित ईमेल द्वारा अज्ञात लिंक भेजे जातें हैं। ऐसे किसी प्रकार के लिंक को क्लिक करने से बचना होगा। साइबर क्राइम होने की स्तिथि में सभी का कर्तव्य है कि वे साइबर पुलिस को तुरंत इसकी जानकारी देते हुए शिकायत अवश्य दर्ज करायें। वे चाहें तो भारत सरकार द्वारा जारी साइट राष्ट्रीय साइब अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल https://cybervolunteer.mha.gov.in/Hindi/Defaulthn.aspx
पर जाकर अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं, पर इसके साथ ही तुरंत अपने निकटतम पुलिस थाने के साइबर सेल के अधिकारी से मिलकर उन्हें जानकारी दें।
वर्तमान में सतर्कता ही एक प्रमुख उपाए है।