दोस्तों आज रेल्वे फाटक पर मैंने एक तख्ती पर लिखा एक वाक्य पढ़ा, "सावधानी हटी, दुर्घटना घटी"। किताबों में भी लिखा है, 'अगर सड़क चौड़ी भी हो तो भी तुम बाएँ से ही चलो। माँ भी यही कहती है, “सड़क पर सावधानी से चलो"। सभी घर से बाहर निकलते ही इतनी हिदायतें क्यों देते हैं ? क्यों सड़क का नाम लेते ही सबका हृदय काँप जाता है, माँ का कलेजा मुँह को आ जाता है।
सड़कों पर होते हैं, हादसे, मौत और तबाही। आए दिन हम अखबारों में पढ़ते हैं कि इतने लोगों की मौत, इतने लोग घायल। सड़क दुर्घटना में मरने वालों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। ताजा आंकड़ो के अनुसार सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या 5 लाख के पार हो गई है। लेकिन क्या हमने कभी ये सोचा आखिर क्यों होती हैं ये दुर्घटनाएँ ?
78 फीसदी हादसे चालकों की लापरवाही के चलते ही होती हैं। इसमें शराब व दूसरे नशीले पदार्थों के सेवन, अधिक माल व सवारियां बैठाना, साथ ही ज्यादा रफ्तार से गाड़ी चलाना और ड्राईवर का थका होना प्रमुख कारण हैं। ड्राईवरों की लापरवाही ही ऐसे हादसों की प्रमुख वजह हैं। टूटी - फूटी सड़कें व जर्जर पुल, तेज रफ्तार इत्यादि भी दुर्घटना के लिए जिम्मेदार हैं। इसलिए कहते हैं :
"सड़क पर एक पल की लापरवाही,
पूरे परिवार की तबाही"
इसके अलावा हेल्मेट न पहनने, सीट बेल्ट न लगाने, बाईक चलाते समय मोबाइल पर बात करने व ईयर फोन पर गाना सुनने के कारण भी दुर्घटनाएं होती हैं। कितने ही नवयुवक इन शौक के हत्थे चढ़ जाते हैं और घर में मातम छा जाता है।
इसलिए संभल जाईये। शौक - शोक संदेश में न बदल जाए, अतः हेल्मेट लगाएँ। इन सब के निवारण के लिए क्या किसी ने कुछ सोचा, नहीं।
सब अपने में व्यस्त हैं, मस्त हैं। लेकिन अब समय आ गया है, जाग जाइये। आज सरकार नें सड़क सुरक्षा को लेकर कड़े कानून बनाए हैं। दंड का भी प्रावधान है। लेकिन केवल पुलिस और कानून इस पर अंकुश नहीं लगा सकती। हमें स्वयं ही यातायात के नियमों को अपनाकर इसे कम करना होगा।
"यातायात के नियमों को अपनाएँ, अपना जीवन आप बचाएँ”
इन हादसों को रोकने के लिए सड़कों की मरम्मत, वाहन सुरक्षा प्रणाली का विकास,
चालकों व सड़क का उपयोग करने वाले के व्यवहार में परिवर्तन और आपातकालीन
सेवाएं व दुर्घटना के तुरंत बाद दी जाने वाली मेडिकल सुविधाओं में सुधार लाना जरूरी है।
सबसे अहम है ट्रैफिक नियमों का पालन करना, क्योंकि जीवन अनमोल है, इसे
चुटकियों में मत मसलो। आपके सुरक्षित जीवन से आपके परिवार
का, समाज का व देश का कल्याण होता है। इसलिए जाते-जाते मैं
बस इतना ही कहना चाहूंगी :
“सिग्नल के नियमों को पढ़ना, हरा दिखे तो आगे बढ़ना।
लाल दिखे तो रुकना भाई, इसमें सबकी छिपी भलाई।।”