भावानुवाद – श्रीमद्भगवद्गीता, प्रथम अध्याय

भावानुवाद – श्रीमद्भगवद्गीता, प्रथम अध्याय श्री गीता जी को बहुत बार पढ़ने का उपक्रम किया, सुखद अनुभूति होती रही, कुछ को आत्मसात करने का प्रयास

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