प्रशंसनीय पहल

यह जानकर प्रसन्नता हुई कि श्री कमल त्रिपाठी के सुपुत्र-सुपुत्री ने अपनी माता जी श्रीमती शशि त्रिपाठी की स्मृति में ‘‘शशि स्मृति फॉउण्डेशन” का गठन किया है और ‘‘जनमैत्री” पत्रिका के प्रकाशन का भी संकल्प लिया है। श्री कमल त्रिपाठी लगातार कई वर्षों तक ‘‘दैनिक विश्‍वमित्र” से जुड़े रहे हैं। उनकी संस्कारित संतानों का यह प्रयास निश्‍चित रूप से प्रशंसनीय-अनुकरणीय है। मेरी हार्दिक शुभकामनाएं।

श्री प्रकाश चन्द्र अग्रवाल
सम्पादक, दैनिक विश्‍वमित्र, कोलकाता

प्रतिष्ठा में,
श्री प्रदीप शुक्ला

यह जानकर प्रसन्नता हुई कि 'शशि स्मृति फाउण्डेशन' के द्वारा "जनमैत्री" पत्रिका का शीघ्र प्रकाशन किया जा रहा है। पत्रकारिता की गिरती साख को बचाने के लिए यह आवश्यक भी है कि सार्थक समाचार और विचार जन-जन तक पहुँचे। इस दृष्टि से आपका प्रयास, अनुभव और यथास्थिति का आकलन इस क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा, ऐसा हमारा विश्वास है।
मैं आपके इस समसामयिक प्रकाशन की सफलता की मंगलकामना करता हूँ।

सधन्यवाद,
महावीर बजाज,अध्यक्ष
श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय
कोलकाता

सेवा में,
श्री प्रदीप शुक्ला

यह जानकर मुझे हार्दिक प्रसन्नता हुई कि आपने जन-मैत्री नामक पत्रिका के शीघ्र प्रकाशन का संकल्प लिया है। 'शशि स्मृति फाउण्डेशन' के अन्तर्गत प्रकाशित होने वाली यह पत्रिका शशि कान्ति की तरह उज्ज्वल ऊर्जा का प्रकाश प्रदान करेगी। आपका यह निष्ठापूर्वक किया गया सत्प्रयास नवीनतम समाचारों, सुचिंतित विचारों के साथ सांस्कृतिक मूल्यों व मानवीय गुणों का बोध करवायेगी। वर्तमान परिस्थितियों में पत्रकारिता एक दुरूह कार्य है जिसे केवल सत्संकल्प और समर्पण से आगे बढ़ाया जा सकता है। भारतीय अस्मिता को अक्षुण्ण रखते हुए उदात्त आदर्शों की पूर्ति के साथ आपका यह प्रयास जीवन को प्रेरित, परिवर्तित व उर्ध्वगामी बनाएगा-ऐसा मेरा विश्वास है। मैं इसके प्रकाशन की सफलता का आकाँक्षी हूँ।

सधन्यवाद,
बंशीधर शर्मा
उपाध्यक्ष
राजस्थान परिषद, कोलकाता

प्रिय अमित,

आदरणीया भाभी की स्मृति स्वरूप आप एक बहुत ही अद्भुत कार्य का आरंभ करने जा रहें हैं। मैं आपके इस सकारात्मक कदम हेतु कोटि कोटि बधाई और आप तथा आपके सभी सहयोगियों को मेरी तरफ से शुभकामनाएं देती हूँ।

कहते हैं की अक्सर वही लोग रहते हैं खामोश, जिनके हुनर बोलते हैं। अतः तुम्हारे इस प्रयास से ऐसी बहुत सी प्रतिभाओं को भी अपने लेखन कौशल को उजागर करने का अवसर मिलेगा। आपके जीवन का हर दिन आपको तरक्की दे और भविष्य उज्जवल हो, ये मेरा आपके लिए आशीर्वाद है। आपके द्वारा संचालित पत्रिका के उज्जवल भविष्य की बहुत बहुत शुभकामना।

भारती शुक्ला,
शिक्षिका,
पुणे

जनमैत्री के प्रकाशन का समाचार सुनकर अत्यंत आह्लादित हूँ। मुझे आशा ही नहीं, बल्कि पूर्ण विश्वास है कि संपादक मंडल अपने उद्देश्य में शत प्रतिशत सफल रहेगा। पत्रिका के प्रकाशन से जुड़े सभी लोगों के अध्यवसाय के लिए साधुवाद और हार्दिक शुभकामना। कार्यकारी अध्यक्ष श्री प्रदीप शुक्ल जी के अनुभव एवं कर्मठता की झलक पूरी तरह पत्रिका के साज-सज्जा और कलेवर में दृष्टिगोचर हो रही है। शुक्ल जी को हार्दिक बधाई।


गिरिधर राय,
प्रतिष्ठित कवि,कोलकाता

मुझे यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता हुई कि "शशि स्मृति फॉउण्डेशन" ने एक पत्रिका के नियमित प्रकाशन का संकल्प लिया है। पत्रिकाएं न केवल जनता की नब्ज टटोलने का माध्यम हैं बल्कि सामाजिक समस्याओं को पुरजोर तरीके से प्रस्तुत करने का सशक्त्त मंच भी साबित होती हैं। पत्रिका से जुड़े समस्त बन्धुओं को बधाई देता हूँ एवं पत्रिका के सफल प्रकाशन की कामना करता हूँ।

योगेश कुमार अवस्थी, संस्थापक
को.कान्यकुब्ज ब्राह्मण समाज,
कोलकता (प.बं.)

प्रिय अमित त्रिपाठी, पल्लवी नितिन अवस्थी ,

यह जानकर हर्ष की अनुभूति हो रही है कि “शशि स्मृति फॉउण्डेशन” संस्था द्वारा एक पत्रिका "जनमैत्री" का प्रथम प्रकाशन किया जा रहा है। आपने पत्रिका के जिन उद्देश्यों की चर्चा की है, वे पारिवारिक, सामाजिक एवं भारतीय संस्कृति के लिए बड़े महत्वपूर्ण हैं। निश्चय ही इसके पाठक लाभान्वित होंगे। जनमैत्री पत्रिका के सफल प्रकाशन के लिए मैं अपनी हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित कर रहा हूँ।

दया शंकर त्रिपाठी
इंदिरा कुटी, शिक्षक कालोनी,
गोसाईं गंज, लखनऊ (उ.प्र.)

शशि स्मृति फाउंडेशन के तत्वावधान में प्रकाशित होने वाली नियमित पत्रिका "जनमैत्री" के समस्त गणमान्य प्रकाशकों को हार्दिक शुभेच्छा एवं साधुवाद !

पूर्ण विश्वास है कि उक्त पत्रिका जन-जन में सनातन धर्म एवं संस्कृति से परिपूर्ण संस्कार प्रज्वलित करने में अपनी महती भूमिका निभाएगी।

विशेषत: भावी पीढ़ी में सामाजिक एवं राष्ट्रवादी चेतना का संचार करेगी तथा उन्हें एक जिम्मेदार नागरिक बनने की प्रेरणा देगी।

पुनश्च कोटिश: साधुवाद
आपका
अरविंद अवस्थी लखनऊ ( उ. प्र. )

“वो रहीम सुख होत है, उपकारी के संग, बांटने वारे को लगे, ज्यों मेहंदी के रंग।“

महाकवि रहीम रचित उपरोक्त दोहा परमार्थ फल का एक प्रेरक उदाहरण है, जिसमें इसके माध्यम से निस्वार्थ भाव से किये गए पुण्यार्थ कार्य स्वस्फूर्त मनोवांछित परिणाम देते हैं। "शशि स्मृति फाउण्डेशन" द्वारा किये गए अभिनव प्रयास पर सभी सहयोगी स्वजनों को साधुवाद और पूर्णविश्वासित अंतर्मन से सफलता की कामना करता हूँ और यह अपने संकल्पित उद्देश्यों को पूर्णता प्रदान करे ईश्वर से यही विनती करता हूँ। समय के साथ हमारे दैनिक क्रियाकलापों से लेकर हमारी रीति, नीति और संस्कृति में आमूलचूल परिवर्तन होता है और समय के साथ यह हमारे जीवन का अभिन्न अंग हो जाता है।

आज हम दो पीढ़ियों के संक्रमण काल से गुजर रहे हैं जिसमें हमारे और आगामी पीढ़ियों की मानसिकता और मनोभावों में बहुत अंतर है क्यूँकि पुराने समय में परिवार संयुक्त और संगठित रहते थे और त्याग इसका मूल आधार था जिससे मनोभावों में उदारता का समावेश स्वतः संज्ञान से हो जाता था किंतु आज हमने अपने आप को एकल परिवार में सीमित कर लिया है, जिसके कारण कई संबंध समाप्ति की कगार पर हैं।

आज हमें इस पत्रिका के माध्यम से "पीढ़ी-सेतु" का कार्य करना है, पूर्व में हमारी पीढ़ी में आस्था और विश्वास कूट कूट कर भरा था, जिससे आपसी संबंधों में तर्क नहीं होता था किंतु आज की पीढ़ी बिना तर्क के किसी भी रीति-नीति को अंगीकार नहीं करती है। इसलिये हमारा दायित्व है हम अपनी समृद्धशाली परम्पराओं को थोपने के बजाय इसकी वैज्ञानिक प्रमाणिकता से अपनी भावी पीढ़ी को अवगत कराएं जिससे उन्हें अपनी संस्कृति पर बिना किसी झिझक के गौरवमान हो।

- अमित चांडक, खंडवा, म.प्र.

प्रिय स्वजन !

वाग्देवी की असीम अनुकम्पा से शब्दार्थों के मनकों को "जनमैत्री पत्रिका" की सनातनी माला में पिरोने के भागीरथ प्रयास की मंगल कामना के लिए साधुवाद ।

- संतोष अवस्थी,
घाटमपुर कलाँ,
उन्नाव (उ.प्र.)

महोदय,

सामाजिक सेवा एवं जागरूकता में मनुष्यता का चरम सौंदर्य है। मुझे यह जान कर अपार प्रसन्नता है कि "शशि स्मृति फाउण्डेशन" के अंतर्गत एक नियमित पत्रिका के प्रकाशन का संकल्प लिया गया है जो अपने में एक सराहनीय पहल है। यह संस्था निरंतर समाज में एक जागृति, चेतना, सौहार्द एवं एकात्मकता स्थापित करने में सीढ़ियों की ऊंचाई की ओर अग्रसित हो रही है और हिंदी भाषा-भाषियों के हृदय में अपनी निःस्वार्थ शैली से अनूठा वातावरण संजोने में प्रयासरत है।।

हम कितने ही धनवान, सामर्थ्यवान क्यों न हों अकेले न तो हमारी पहचान बन सकती है और न ही सांगठनिक शक्ति। अस्तु "संघे शक्ति कलजुगे" यह हमारा लक्ष्य हो। आयोजन की सफलता और पत्रिका के सफल प्रकाशन की मेरी हार्दिक शुभकामना। ।

शुभकामनाओं सहित
सूर्य नाथ सिंह अध्यक्ष,
अखिल भारतीय प्रगतिशील सुल्तानपुर समाज
कोलकाता (प.बं.)