2024 में भारत का स्वतंत्रता दिवस 'विकसित भारत' की थीम के साथ मनाया जा रहा है, जो 2047 तक देश को एक विकसित राष्ट्र में परिवर्तित करने के लक्ष्य पर केंद्रित है। विकसित राष्ट्र का अर्थ है ऐसा देश जो सामाजिक, आर्थिक और तकनीकी दृष्टिकोण से उन्नत हो तथा अपने नागरिकों को उच्च जीवन स्तर प्रदान करता हो। इस महत्वाकांक्षी योजना में नागरिकों की जिम्मेदारी बेहद महत्वपूर्ण है। देश की उन्नति केवल सरकार के प्रयासों से नहीं, बल्कि हर नागरिक की भागीदारी से संभव हो सकती है।
विकसित देश उच्च जीडीपी और स्थिर अर्थव्यवस्था के साथ प्रगति की ओर अग्रसर होते हैं, जहाँ नागरिकों की प्रति व्यक्ति आय भी उच्च होती है। इन देशों में शिक्षा का स्तर उच्च होता है और अधिकांश नागरिक शिक्षित होते हैं। स्वास्थ्य सेवाएँ सस्ती, सुलभ, और उच्च गुणवत्तापूर्ण होती हैं। साथ ही, बुनियादी ढाँचा, जैसे सड़कें, बिजली, और इंटरनेट जैसी सेवाएं उच्च गुणवत्ता के साथ सहज उपलब्ध होती हैं। विकसित राष्ट्र तकनीकी उन्नति और अनुसंधान में अग्रणी होते हैं, और समाज में समानता और न्याय को बढ़ावा देते हैं। साथ ही, ये देश पर्यावरणीय स्थिरता (सस्टेनेबिलिटी) पर जोर देते हुए सतत विकास के सिद्धांतों का पालन करते हैं।
ऐसे में 'विकसित भारत' का सपना कई चुनौतियों से भरा है। विकसित भारत के लिए जिन-जिन सुविधाओं की आवश्यकता है, वह अभी भी सबकी पहुंचे से परे है। सुविधाओं का वितरण भी असमान है। आज भी देश में गरीबी, बेरोजगारी और शिक्षा की कमी जैसी समस्याएँ बनी हुई हैं। देश में आबादी का एक बड़ा हिस्सा अभी भी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहा है। भारत की जनसंख्या विश्व में सबसे अधिक हो चुकी है, और इस विशाल आबादी के लिए बुनियादी सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना चुनौतीपूर्ण है। देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के लिए उद्योग, कृषि, और सेवा क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता है।
इन कठिनाइयों और चुनौतियों के बावजूद भारत ने विकसित राष्ट्र बनने का लक्ष्य रखा है, तो हमारी जिम्मेदारी भी महत्वपूर्ण हो जाती है। हम अपने छोटे-छोटे योगदान से देश को इस लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं। प्रत्येक नागरिक को शिक्षा और कौशल विकास को प्राथमिकता देनी चाहिए, जिससे वे अपने ज्ञान और दक्षता का उपयोग देश की आर्थिक और सामाजिक उन्नति में कर सकें। स्वास्थ्य सेवाओं का प्रभावी उपयोग और स्वास्थ्य के प्रति सतर्कता, न केवल व्यक्तिगत बल्कि सामुदायिक स्वास्थ्य को भी सुदृढ़ बनाती है। नागरिकों को देश के बुनियादी ढांचे का उपयोग सम्मानपूर्वक और सावधानीपूर्वक यह सुनिश्चित करते हुए करना चाहिए कि उनकी गतिविधियाँ इन संसाधनों की दीर्घकालिक टिकाऊपन में योगदान दें। इसके अलावा, हमारा यह भी दायित्व है कि हम तकनीकी नवाचार और वैज्ञानिक सोच को अपनाएँ, जिससे देश प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अग्रणी बना रहे। समानता और न्याय को बनाए रखना प्रत्येक नागरिक का नैतिक कर्तव्य है, जो समाज में बिना किसी भेदभाव के व्यवहार और निष्पक्षता को सुनिश्चित करता है। इसके साथ ही, पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए, नागरिकों को सतत विकास के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए, पर्यावरण के अनुकूल गतिविधियों को अपनाना चाहिए और प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करना चाहिए। एक विकसित भारत का निर्माण तभी संभव है जब हर नागरिक अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से निभाए और राष्ट्र की प्रगति में सक्रिय रूप से योगदान दे।
विकसित भारत' का सपना केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक वास्तविकता बनाने की प्रक्रिया है जिसमें हर नागरिक की सक्रिय भागीदारी अनिवार्य है। हमें अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करना होगा और देश के विकास में योगदान देना होगा। सरकार द्वारा निर्धारित योजनाओं का समर्थन करते हुए हमें अपने समाज को एक बेहतर, समृद्ध, और विकसित राष्ट्र में परिवर्तित करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए। भारत के 100 वर्षों के स्वतंत्रता के अवसर पर, 2047 में एक विकसित भारत का सपना तभी साकार हो सकता है जब हम सभी अपनी जिम्मेदारियों को समझें और उस दिशा में लगातार प्रयास करें।