लक्ज़री

लक्ज़री क्या है ? लक्ज़री जिसे हिंदी में विलासिता कहते हैं परन्तु आम जीवन में कुछ खास किस्म के लोग विलासिता का कुछ और ही अर्थ निकालते हैं, इस वजह से यहाँ लक्ज़री का अंग्रेजी उच्चारण ही किया जा रहा है।
हाँ, तो आगे बढ़ते हैं ...... उम्र के हर पड़ाव में या यूँ कह लें कि समय के साथ लक्ज़री के मतलब बदलते रहते हैं। बचपन में सबसे अलग दिखने वाली पेंसिल, लाइट वाली कलम का होना लक्ज़री सा लगता था। घर पर कॉर्डलेस फ़ोन, कलर टी.वी. का होना लक्ज़री की श्रेणी में आता था। फिर आया उम्र का वह पड़ाव जब घर पर ए.सी., मोबाइल, चार चक्का गाड़ी होने पर ऐसा लगता था कि हमारी लाइफ बड़ी ही लक्जूरियस अर्थात बड़े ही शान-ओ-शौकत वाली है। मतलब, जो आम इंसान को आसानी से न मिले वह लक्ज़री कहलाता था शायद, जब कि आज इन सब वस्तुओं का मोल लक्ज़री से हटकर आवश्यक जरूरतों से जुड़ गया है। इसी सोच की वजह से विश्वास हो गया कि असलियत में जो दुर्लभ है, वही लक्ज़री है।
परन्तु, विचार करें तो यह सब लक्ज़री या आवश्यकताएं क्या केवल वस्तुओं तक सीमित हैं या बस मन बहलाने के लिए हैं या फिर इन सबसे हटकर कुछ और है। आज यह वस्तुएं तो दुर्लभ नहीं हैं और अगर हैं तो लक्ज़री तो कतई नहीं हैं। पर, अब प्रश्न यह उठता है कि आखिर लक्ज़री का वास्तविक अर्थ है क्या, विचारणीय है। व्यापक तौर पर यदि देखें तो लक्ज़री हर वह छोटी बड़ी चीज़ है जिसकी अहमियत शायद हम नहीं समझते हैं और जिसकी वजह से प्राथमिकता भी नहीं देते हैं। असल में जिस चीज़ का महत्व उसके चले जाने के बाद समझते हैं और फिर हम उस वस्तु के लिए रोते हैं, उसे पाने की चाह रखते हैं वही लक्ज़री है - जैसे हमारा स्वास्थ्य, अपनों के साथ बिताये छोटे-छोटे पल, हमारा अपने लिए निकाला गया समय इत्यादि।
मेरे विचार से लक्ज़री है खुली हवा में सांस लेना, बाजार में बगैर मास्क लगाए घूमना, इलाज के लिए डॉक्टर के द्वार पर न जाना, अपनों के साथ हंसना, खेलना, घूमना। लक्ज़री है सागर किनारे घंटों बैठना और लहरों को निहारते रहना। बचपन के दोस्तों के साथ बिताये पल लक्ज़री हैं। लक्ज़री है खुद के प्रयास से अपनों के चेहरे पर लायी गयी ख़ुशी के पल, वो जादू की झप्पी, बच्चों का प्यार, बड़ों का आशीर्वाद, माता-पिता का सम्मान, उनके मुख पर मुस्कान और ऐसे कई लम्हे जो आज वाकई में विलुप्त होते प्रतीत होते हैं।
आज के दौर में, जब स्वार्थ से रिश्ते या फिर रिश्तों से स्वार्थ सिद्ध हो रहे हैं, यदि हम इनमें से कुछ भी हासिल करने में सक्षम हैं और उन्हें पाकर सुख की अनुभूति करते हैं तो वह दुनियां की सबसे अहम् वस्तु है और वही ज़िन्दगी असल में लक्जूरियस है।
