नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने बर्फीले ग्रह यूरेनस की अदृश्य रिंग एकदम साफ दिख रही है। इसके अलावा उसके अब तक ज्ञात 27 चंद्रमा में से भी कई नजर आ रहे हैं। 10 अरब डॉलर की लागत से बना यह टेलीस्कोप उन चीजों को देखने में भी सक्षम हैं, जो सामान्य आंखों से नहीं दिखते। ग्रह के 13 में से 11 छल्ले भी दिख रहे हैं। यूरेनस के 9 छल्लों को पहली बार 1986 में नासा के वॉयजर-2 ने खोजा था। वहीं बाकी 4 को 2003 में हबल टेलीस्कोप के जरिए खोजा गया था। यह धूल भरे छल्ले हैं। इस ग्रह के प्रमुख छल्ले बर्फ के टुकड़ों से बने हैं जो कई फीट के बराबर होते हैं। शनि की तुलना में इस ग्रह की रिंग पतली, संकरी और डार्क है। जेम्स वेब ने यूरेनस के 27 ज्ञात चंद्रमाओं में से भी कई की तस्वीर खींची है। कई इतने हल्के हैं, जिन्हें यहां से देखना भी संभव नहीं है। हालांकि 12 मिनट के एक्सपोजर में जेम्स वेब ने छह चमकदार चंद्रमाओं को खोज लिया है। यूरेनस अपने मोटे वातावरण के कारण नीला दिखाई देता है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के नेतृत्व वाले शोधकर्ताओं ने इसे एरोसोल-2 परत नाम दिया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह कुछ हद तक सफेद दिखाई देता है। जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप के नियर इनफ्रारेड कैमरा के जरिए इस तस्वीर को खींचा गया था। यह बेहद हल्की रोशनी को भी पकड़ लेता है। जेम्स वेब ने हमारे सामने उन तस्वीरों को भी रखा है, जो पहले सौरमंडल में कभी नहीं देखी गईं। पिछले साल जुलाई से ही काम कर रहे जेम्स वेब ने अंतरिक्ष की सबसे दूर की फोटो खींची थी। यूरोपीय स्पेस एजेंसी के मुताबिक जब वॉयजर 2 स्पेसक्राफ्ट यूरेनस के करीब से गुजरा था तो यह हल्की नीली गेंद जैसा दिखा था। लेकिन अब इन्फ्रारेड के जरिए जेम्स वेब बेहद संवेदनशील चीजों को भी देख पा रहा है। नासा वैज्ञानिकों ने हाल ही में 2030 के दशक तक यूरेनस और नेप्च्यून की जांच शुरू करने का लक्ष्य रखा है। इन दोनों ही ग्रहों के बारे में हमें बेहद कम जानकारी है।
आठ साल के सफर पर जाएगा अंतरिक्षयान
वैज्ञानिक हमेशा से इस सवाल का जवाब खोज रहे हैं कि क्या इस संसार में हम अकेले हैं या पृथ्वी से बाहर कहीं और भी जीवन है? हमारे सौर मंडल में अगर जीवन खोजने की बात कहें तो वैज्ञानिकों का सबसे पहला टार्गेट मंगल ग्रह है। वहीं, दूसरे नंबर पर वैज्ञानिक बृहस्पति और शनि के बर्फीले चंद्रमाओं को जीवन के लिए सबसे उपयुक्त मानते हैं। जीवन की खोज के लिए ही वैज्ञानिक एक नया अंतरिक्ष यान लॉन्च कर रहे हैं। ये अंतरिक्ष यान बृहस्पति ग्रह के चंद्रमा के लिए आठ साल की कठिन यात्रा करेगा। इस स्पेसक्राफ्ट का नाम जूस है। जूस सैटेलाइट का लॉन्च यूरोप के सबसे बड़े मिशन में से एक है। यह अंतरिक्ष
यान बृहस्पति और इसके तीन बड़े महासागर
वाले चंद्रमाओं कैलिस्टो, गेनीमेड और
यूरोपा के करीब से गुजरेगा। जब
यह रहस्यमयी दुनिया के करीब
पहुंचेगा तो बृहस्पति की
भी अपने उपकरण से
जांच करेगा। इसके
अलावा यह
बृहस्पति के
चंद्रमाओं
पर जीवन होने की संभावना का भी पता लगाएगा। इसके बाद यह स्पेसक्राफ्ट साढ़े आठ साल का समय अपने गंतव्य तक पहुंचने में लगाएगा। यह स्पेसक्राफ्ट 6.6 अरब किमी की यात्रा करेगा और 2031 तक बृहस्पति के करीब पहुंचेगा। आम लोग इस स्पेसक्राफ्ट का लॉन्च अंतरिक्ष एजेंसी के यूट्यूब चैनल के माध्यम से भी देख सकते हैं। यह सैटेलाइट 2034 के अंतर में चंद्रमा गेनीमेड की स्थाई कक्षा में प्रवेश करने से पहले तीन चंद्रमाओं के करीब से 35 बार गुजरेगा। यह एक हेयर ड्रायर के बराबर ऊर्जा पर भी चल सकेगा। अपने इलेक्ट्रॉनिक उपरकण को सुरक्षित रखने के लिए इसके पास परमाणु बंकर है। जूस में 10 उपकरण लगे हैं। इनमें से एक उपकरण को ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने बनाया है। यूके स्पेस एजेंसी में अंतरिक्ष विज्ञान की प्रमुख डॉ कैरोलिन हार्पर ने कहा, 'जूस हमें सौर मंडल के उस हिस्से में ले जाएगा, जिसके बारे में हम अभी बेहद कम जानते हैं। बृहस्पति के बर्फीले चंद्रमाओं पर पानी हो सकता है'। बृहस्पति के चंद्रमाओं में यूरोपा ही ऐसा है, जिस पर जीवन होने की सबसे ज्यादा संभावना है। हालांकि जूस इसकी सिर्फ छोटी सी झलक पा सकेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि चंद्रमा के चारों ओर का वातावरण इतना कठोर है कि वह अंतरिक्ष यान को कुछ ही महीनो बर्बाद कर देगा।
विश्व का रहस्यमय मंदिर
दुनिया में कई अजीबोगरीब जगहें मौजूद हैं। इनमें कुछ जगहें बेहद रहस्मयी और अनोखी हैं, जिनके बारे में जानकर लोगों को यकीन नहीं होता है। इनसे जुड़ी कई कहानियां प्रचलित होती हैं। आज हम आपको एक ऐसी ही जगह के बारे में बताने वाले हैं, जो तुर्की में स्थित है। बताया जाता है कि यहां एक ऐसा मंदिर है, जहां पर जाने वाले कभी लौटकर वापस नहीं आए। इस जगह पर कई लोगों की रहस्मयी मौत हो चुकी है, जिसकी वजह से यहां पर किसी को जाने नहीं दिया जाता है। यह रहस्यमयी मंदिर तुर्की के प्राचीन शहर हेरापॉलिस में स्थित है। इस जगह के बारे में अधिक जानकारी नहीं है, लेकिन यहां रहने वाले लोग बताते हैं कि यहां स्थित मंदिर के बाहर एक दरवाजा है, जो असल में नरक का दरवाजा है। इसके पास जाते ही इंसान की मौत हो जाती है। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इस दरवाजे के पास जाने पर इंसान ही नहीं, बल्कि जानवारों की भी मौत हो जाती है। रहस्यमयी मंदिर के दरवाजे को द गेट ऑफ हेल यानी नर्क का दरवाजा कहा जाता है। यहां के लोगों के बीच मान्यता है कि ग्रीको-रोमन काल के दौरान इस मंदिर में एक शख्स रहता था, जिसका सिर कलम कर दिया गया था। इसकी वजह का आज तक पता नहीं चला और वह इस मंदिर में अभी भी मौजूद है। इसकी वजह से वह यहां वाले लोगों को मार देता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस मंदिर में ग्रीक देवता रहते हैं। जब वह सांस छोड़ते हैं, तो दरवाजे के पास खड़े लोगों की मौत हो जाती है। इसके अलावा यहां पर कई झरने भी मौजूद हैं जिसमें नहाने से इंसान को रोगों से छुटकारा मिल जाता है। वैज्ञानिकों की मान्यताओं से अलग राय है। उनका कहना है कि इस मंदिर के नीचे कार्बन डायऑक्साइड समेत कई जहरीली गैस हैं, जो भारी मात्रा में बाहर निकलती रहती हैं। इसकी वजह से इसके आसपास रहने वाले लोगों की मौत हो जाती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि किसी के लिए 10 प्रतिशत कार्बन डायऑक्साइड हानिकारक होता है। इस जगह पर गैस की मात्रा 91 फीसदी तक है। इसकी वजह से इंसान और पशु-पक्षी भी दम घुटने से मर जाते हैं।