कृत्रिम बुद्धि मतदाताओं कोकैसे भ्रमित कर सकती है

एक जीवंत लोकतंत्र, प्रतिबद्ध मतदाताओं पर निर्भर करता है जो विश्वसनीय जानकारी और सुरक्षित बुनियादी ढांचे का उपयोग करके अपने प्रतिनिधियों को सोच समझ कर चुनते हैं। लोकतंत्र को बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण और निरंतर प्रयास की आवश्यकता होती है और चुनाव उसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता को बढ़ावा देना, डेटा प्रबंधन और सत्यापन के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग पहले से ही विभिन्न तरीकों से किया जा रहा है लेकिन एआई उस उस्ताद खिलाड़ी की मानिंद है जो मैदान में उतरते ही पासा पलटने में निर्णायक भूमिका निभा सकता है। इस खेल में पक्ष और विपक्ष दोनों ही तरफ से कृत्रिम बुद्धि द्वारा निर्मित सत्य प्रतीत होती गलत जानकारी, नकली वीडियो, अफवाह बम, नकली आडियो आदि की भरमार होने वाली है। देश के पाँच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनावों के समय चिंता का विषय यह है कि मतदाता कभी भी निश्चित नहीं हो सकेंगे कि चुनाव अभियान में जो कुछ भी उनको सुनाया और दिखाया जा रहा है वह वास्तविक और सत्य है या नहीं। राजनीतीक दल भी घबराए हुए हैं कि कृत्रिम बुद्धि के ये अनूठे कारनामे उनके परंपरागत वोट बैंक में भी सेंध मार सकते हैं।

लंबे समय से युद्ध और राजनीतिक अभियानों में वास्तविकता को छुपाने के लिए सत्य पर हमले होते रहे हैं और अब चैट जीपीटी जैसे जेनरेटिव एआई टूल्स राजनीतिक दुष्प्रचार के इस जंगल में एक विध्वंसकारी हथियार के रूप में उभरकर सामने आए हैं। जो अपनी असीमीत क्षमताओं के चलते एआई शोधकर्ताओं के लिए संदिग्ध सामग्री का पता लगाना कठिन बना सकते हैं। इस तकनीक का उपयोग कर एक उम्मीदवार की आवाज़ की नकल कर सच लगने वाला झूठा भाषण बनाया जा सकता है, भ्रामक कथानक पैदा किया जा सकता है जो विपक्ष के अभियान की हवा निकाल सकता है यहाँ तक कि बगैर वास्तविक पात्रों की उपलबद्धता के एक पूरी फिल्म भी बनाई जा सकती है। और तो और ये शक्तिशाली टूल्स भ्रामक रूप से पाठकों की एक विस्तृत श्रृंखला को आकर्षित करने वाली सनसनीखेज सामग्री भी बना सकता है।

पूर्व हैकर और अब ताइवान के डिजिटल मामलों के मंत्री ऑड्रे टैंग बताते हैं कि अब तक, विशेषज्ञता या परिष्कृत उपकरणों तक पहुंच नहीं होने के कारण शरारत करने का इरादा रखने वाले लोगों की संख्या और उनकी कलात्मकता दोनों ही सीमीत थे। लेकिन जेनरेटिव एआई, जो मौजूदा मीडिया के पैटर्न की नकल करके पाठ, छवि और वीडियो बनाता है, इसे अधिक विश्वसनीयता के साथ सरल, सुगम, प्रभावी और सस्ता बनाकर भ्रामक जानकारियों का लोकतंत्रीकरण कर रहा है। यदि बुरी नियत वाले लोगों की क्षमताओं को आंशिक स्वचालन के माध्यम से बढ़ाया जा सकता है, तो लोकतंत्र के लिए यह एक नया खतरा होगा।

मासूम विशेषकर ग्रामीण मतदाता हैकरों की इस दुर्जेय सेना का निशाना बन सकते हैं। यह ध्यान में रखते हुए कि 75 प्रतिशत लोग सोशल मीडिया के माध्यम से समाचार और जानकारी प्राप्त करते हैं, ऑनलाइन क्षेत्र एक प्रमुख युद्ध का मैदान है। इस चुनाव में एआई एक बल गुणक (फोर्स मल्टीप्लायर) के रूप में कार्य कर सकता है, जिसका अर्थ है कि विभाजनकारी और पराजयवादी प्रचार की अंतहीन बमबारी पहले की तुलना में अधिक कहर बरपा सकती है। दरअसल चिंता का प्रमुख मुद्दा है सांस्कृतिक और भाषा संबंधी बाधाओं को दूर करने की एआई की क्षमता जो आमतौर पर हेरफेर को जितना आसान बनाती हैं उसका पता लगाना उतना ही मुश्किल भी बनाती है। हेरफेर कर बनाई गई यह मिथ्या सामग्री लोगों की भावनाओं को इस कदर भड़का सकती है कि वे इन बहकाऊ संदेशों को बगैर सोचे समझे फॉरवर्ड कर वायरल बना दें और मतदाताओं के एक बड़े समूह के वोटिंग पैटर्न को बदलने में कामयाब हो जाये।

2020 के अमेरिकी चुनावों में, धुर दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं ने मिडवेस्ट के अल्पसंख्यक निवासियों को मतदान से हतोत्साहित करने के लिए हजारों रोबोकॉल की व्यवस्था की थी। अफवाह बम के रूप में उन पर फर्जी सोशल मीडिया संदेशों की बौछार की गई, जैसे कि 'वोटिंग बूथ पर गोलीबारी हो रही है इसलिए सड़कें बंद हैं' या 'लाइनें छह घंटे से अधिक लंबी हैं इसलिए मत आएं। चिंता यह है कि एआई तकनीक न केवल अधिक लोगों तक पहुंच सकती है, बल्कि भ्रामक संदेशों को और अधिक विश्वसनीय बनाने के लिए रोबोकॉल पर विश्वसनीय राजनेताओं या सार्वजनिक हस्तियों के नकली ऑडियो भी जोड़ सकती है। लोगों को सिंथेटिक मीडिया और प्रामाणिक आवाज़ों के बीच

हालांकि यह मापना मुश्किल है कि ये रणनीति कितनी प्रभावी है, लेकिन एआई के उपयोग से असीमित संख्या में अलग-अलग संदेशों का निर्माण कर स्विंग वोटर, जो आमतौर पर प्रचार के अंतिम दिनों में अपना मन बनाते हैं, को लक्षित कर प्रभावित किया जा सकता है। जिनकी वे परवाह करते हैं उन मुद्दों को निर्धारित करने के लिए अब स्विंग मतदाताओं के व्यक्तिगत डेटा तक पहुंचा जा सकता है। जैसे कि वो क्या पढ़ते हैं से लेकर वे कौन से टीवी शो देखते हैं। और फिर उनकी सोच और पसंद को अपने पक्ष में बदलने के लिए निहायत चतुराई से गढ़े गए कैलिब्रेटेड संदेश भेजे जा सकते हैं जो उन्हें विशेष नीतियों के बारे में पक्षपातपूर्ण ढंग से राय कायम करने के लिए उकसाते हैं।

नैतिकता के पैरोकार हेरफेर के एक और अधिक घातक और कपटी रूप के बारे में भी चिंतित हैं। ऐसे संदेश जो मित्रों द्वारा प्रेषित प्रतीत होते हैं और रिश्तेदारी और अपनेपन की भावना का शोषण करते हैं। यदि बुरे लोग समाज के एक विशेष रूप से चिन्हित वर्ग को लक्षित करना चाहते हैं, तो वे एक अच्छी ऑनलाइन बैकस्टोरी के साथ एआई-जनित नकली व्यक्तित्व बनाएंगे और फिर अपने शिकार तक पहुंच जाएंगे। चैट बॉट के साथ आंशिक रूप से एआई-मध्यस्थता वाली चर्चा में हजारों समानांतर बातचीत करना संभव है। इस चर्चा में धीरे-धीरे वो उस प्रकार की जानकारी डालना शुरू कर देंगे जो वे चाहते हैं कि लोग हानिरहित प्रतीत होने वाले लिंक के माध्यम से देखें। एक बार जो सामग्री वे देख रहे हैं वह नियंत्रित हो जाती है, तो वे एक उग्र राजनीतिक बिंदु बनाने के लिए कुछ भी तैयार कर सकते हैं। वो वर्ग विशेष को धार्मिक उन्माद, जातीय हिंसा, भाषा, आरक्षण जैसे विभाजनकारी विषयों के बारे में आंदोलन का हिस्सा बनने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। और ए आई के माध्यम से वो तब तक विभिन्न युक्तियों का उपयोग कर सकते हैं जब तक उन्हें ऐसा कोई मुद्दा नहीं मिल जाता जिससे उनका स्वार्थ सिद्ध होता हो।

फिर भी इस तरह के उपायों के साथ भी, गलत सूचना के हमलों के प्रभाव को निर्धारित करना मुश्किल है, उनकी अप्रत्यक्षतात्मक (इंटेजिबल) प्रकृति को देखते हुए, यह कहना जल्दबाजी होगी कि एआई वास्तव में चुनावों में कितनी बड़ी भूमिका निभाएगा, या इसका मुकाबला करने का सबसे प्रभावी तरीका क्या है। लेकिन अगर आप शांति चाहते हैं, तो आपको युद्ध के लिए तैयार रहना होगा। लगातार विकसित होने वाले एआई के खतरों से सब परेशान है। यह एक अलग प्रकार का हमला है जो अज्ञात है, जिसके बारे में हमें चिंतित होना चाहिए। जब भी एआई की लोकतंत्र के साथ मिलन की बात आती है, तो हम पर्याप्त सावधानी नहीं बरत सकते, लेकिन पर्याप्त सावधानियों के बिना, चुनाव अराजकता में बदल सकते हैं। वर्तमान युग में कृत्रिम बुद्धिमत्ता राजनीति का अभिन्न अंग है। अब यह सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है कि हम इसका उपयोग नागरिकों के कल्याण के लिए करें और भारत में लोकतंत्र की अखंडता को बनाए रखें।

राजकुमार जैन