कृत्रिम बुद्धि मतदाताओं कोकैसे भ्रमित कर सकती है

एक जीवंत लोकतंत्र, प्रतिबद्ध मतदाताओं पर निर्भर करता है जो विश्वसनीय जानकारी और सुरक्षित बुनियादी ढांचे का उपयोग करके अपने प्रतिनिधियों को सोच समझ कर चुनते हैं। लोकतंत्र को बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण और निरंतर प्रयास की आवश्यकता होती है और चुनाव उसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता को बढ़ावा देना, डेटा प्रबंधन और सत्यापन के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग पहले से ही विभिन्न तरीकों से किया जा रहा है लेकिन एआई उस उस्ताद खिलाड़ी की मानिंद है जो मैदान में उतरते ही पासा पलटने में निर्णायक भूमिका निभा सकता है। इस खेल में पक्ष और विपक्ष दोनों ही तरफ से कृत्रिम बुद्धि द्वारा निर्मित सत्य प्रतीत होती गलत जानकारी, नकली वीडियो, अफवाह बम, नकली आडियो आदि की भरमार होने वाली है। देश के पाँच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनावों के समय चिंता का विषय यह है कि मतदाता कभी भी निश्चित नहीं हो सकेंगे कि चुनाव अभियान में जो कुछ भी उनको सुनाया और दिखाया जा रहा है वह वास्तविक और सत्य है या नहीं। राजनीतीक दल भी घबराए हुए हैं कि कृत्रिम बुद्धि के ये अनूठे कारनामे उनके परंपरागत वोट बैंक में भी सेंध मार सकते हैं।
लंबे समय से युद्ध और राजनीतिक अभियानों में वास्तविकता को छुपाने के लिए सत्य पर हमले होते रहे हैं और अब चैट जीपीटी जैसे जेनरेटिव एआई टूल्स राजनीतिक दुष्प्रचार के इस जंगल में एक विध्वंसकारी हथियार के रूप में उभरकर सामने आए हैं। जो अपनी असीमीत क्षमताओं के चलते एआई शोधकर्ताओं के लिए संदिग्ध सामग्री का पता लगाना कठिन बना सकते हैं। इस तकनीक का उपयोग कर एक उम्मीदवार की आवाज़ की नकल कर सच लगने वाला झूठा भाषण बनाया जा सकता है, भ्रामक कथानक पैदा किया जा सकता है जो विपक्ष के अभियान की हवा निकाल सकता है यहाँ तक कि बगैर वास्तविक पात्रों की उपलबद्धता के एक पूरी फिल्म भी बनाई जा सकती है। और तो और ये शक्तिशाली टूल्स भ्रामक रूप से पाठकों की एक विस्तृत श्रृंखला को आकर्षित करने वाली सनसनीखेज सामग्री भी बना सकता है।
पूर्व हैकर और अब ताइवान के डिजिटल मामलों के मंत्री ऑड्रे टैंग बताते हैं कि अब तक, विशेषज्ञता या परिष्कृत उपकरणों तक पहुंच नहीं होने के कारण शरारत करने का इरादा रखने वाले लोगों की संख्या और उनकी कलात्मकता दोनों ही सीमीत थे। लेकिन जेनरेटिव एआई, जो मौजूदा मीडिया के पैटर्न की नकल करके पाठ, छवि और वीडियो बनाता है, इसे अधिक विश्वसनीयता के साथ सरल, सुगम, प्रभावी और सस्ता बनाकर भ्रामक जानकारियों का लोकतंत्रीकरण कर रहा है। यदि बुरी नियत वाले लोगों की क्षमताओं को आंशिक स्वचालन के माध्यम से बढ़ाया जा सकता है, तो लोकतंत्र के लिए यह एक नया खतरा होगा।
