अति चिंतन जब परेशानी बन जाये

लेखिका हूँ! चिंतन और मनन मेरी प्रवृत्ति रही है। एक व्यक्ति के रूप में विकसित होने और जीवन में आगे बढ़ने के बारे में हम सब सोचते हैं और सोचना रोज के जीवन में सामान्य व्यवहार का हिस्सा है परंतु यही सोच जब ओवरथिंकिंग में बदल जाती है, तब हमारे विचार मददगार होने के बजाय हमें परेशान करने लगते हैं। ओवरथिंकिंग साइकोसोमैटिक डिजीज को बुलावा देने की शुरुआत है दोस्तों ! मैं जानती हूँ ये कैसा महसूस होता है क्योंकि मैं भी एक ओवरथिंकर रह चुकी हूँ। अपनी सेल्फ स्कैनिंग मेडिटेशन प्रक्रिया के दौरान जब मैंने अपने आप में इन निम्न लिखित संकेतों को पहचाना, तो मैंने अपने विचार पैटर्न को बदलना शुरू किया। कुछ चीजें हमेशा आपके नियंत्रण से बाहर रहेंगी- इस समझ ने मुझे बहुत अधिक मानसिक शांति प्रदान की।

1) अपने मन में पिछली गलतियों को बार-बार दोहराना

2) कठिन या असुविधाजनक वार्तालापों के बारे में कई-कई बार सोचते रहना

3) अतीत की सोच में ही खोए रहना

4) निर्णय लेने या कार्रवाई करने में बहुत अधिक समय लगाना

5) अपने हर निर्णय को सेकंड गेस करना

6) उन चीजों के बारे में सोच-सोच कर परेशान रहना जिन्हें आप नियंत्रित नहीं कर सकते

आदि आदि आदि......

अब जब आप पहचान गए हैं कि ओवरथिंकिंग के लक्षण कैसे हो सकते हैं तो आईए बात करते हैं इससे उबरने के बारे में। ये मेरे आजमाये हुए नुस्के हैं, जिन्होंने मुझे काफी मदद की, आशा करती हूं उनमें से कुछ आपके लिए भी कारगर सिद्ध होंगी।

1) स्टेप बैक करें और ध्यान दें कि आप अपने विचारों पर कैसी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। दोहराव वाली सोच अक्सर नकारात्मक परिणाम पैदा कर सकती है। जब आप खुद को लगातार नेगेटिव सोचता हुआ पाएं, तो ध्यान दें कि यह आपके मूड को कैसे प्रभावित करता है। क्या आप चिढ़े, घबराए, हारे हुए या दोषी महसूस करते हैं ? आपके विचारों के पीछे प्राथमिक भावना क्या है ? अपनी मानसिकता को बदलने के लिए आत्म-जागरूकता होना महत्वपूर्ण है।

2) जिस गतिविधि में आपको आनंद आता है, उसमें खुद को शामिल करके ज्यादा सोचना बंद किया जा सकता है। अपने लिए एक डिस्ट्रेक्सन खोजें। जैसे कि रसोई के कुछ नए कौशल सीखें, कोई नया शौक अपनाए, किसी स्थानीय संगठन में वालंटियर बन सकते हैं। मेरे पिछले लेख में मैंने बताया था कैसे ये क्रियाएं हमें वर्तमान में माइंडफुल रखती हैं और हम बेवजह की ओवरथिंकिंग से बच जाते हैं।

3) स्वचालित नकारात्मक विचारों को पहचानें जिनमें आमतौर पर गुस्सा, हताशा, भय या क्रोध शामिल होता है। एक नोटबुक का उपयोग करके उस स्थिति पर नज़र रखें जो आपको चिंता, आपकी मनोदशा और आपके मन में अपने आप आने वाले पहले विचार देती है। आप जिन भावनाओं का अनुभव कर रहे हैं उन्हें तोड़ दें और पहचानने की कोशिश करें कि आप स्थिति के बारे में खुद को क्या बता रहे हैं। अपने मूल नकारात्मक विचार का सकारात्मक विकल्प खोजें।

4) अपनी सफलताओं को स्वीकार करें। जब आप अत्यधिक सोच रहे हों, रुकें और अपनी नोटबुक पर पिछले तीन दिनों के दौरान हुई पांच चीजें और उनमें आपकी भूमिका को लिखें। बेहतर सोच ओवरथिंकिंग के पैटर्न को तोड़ने में मदद करती है।

5) अन्य दृष्टिकोणों पर विचार करें। कभी-कभी, अपने विचारों को शांत करने के लिए अपने सामान्य दृष्टिकोण से बाहर निकलने की आवश्यकता होती है। आप दुनिया को कैसे देखते हैं, यह आपके जीवन के अनुभवों, मूल्यों और धारणाओं से तय होता है। एक अलग दृष्टिकोण से बेहतर महसूस करने में मदद मिल सकती है।

6) टेक एक्शन -- कभी-कभी, आप एक ही विचार पर बार-बार जा सकते हैं क्योंकि आप किसी निश्चित स्थिति के बारे में कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। अभी मैं तैयार नहीं हूं - मैं इसी ओवरथिंकिंग में रह जाती, पर मैंने अपने ओवरथिंकिंग के पैटर्न को तोड़ा और मार्च 2020 में मेरा यूट्यूब चैनल शुरू कर दिया। आज जब दोस्तों के संदेश आते हैं कि आपका वो वाला वीडियो काफी मददगार है तो मैं खुश होती हूं कि मैंने ओवरथिंकिंग के बजाय एक्शन को चुना।

7) ग्लानि, लज्जा, क्रोध या दर्द - इन भावनाओं को छोड़ना बहुत कठिन होता है, जो यादों को आपके दिमाग में सबसे ऊपर रखते हैं।

इसका कोई त्वरित या आसान शॉर्टकट समाधान नहीं है। आपको बस खुद पर काम करना है और अपने अतीत के साथ सामंजस्य बिठाना है। गहरी सांस लें - यह काम करता है। अगली बार जब आप खुद को अपने विचारों को टॉस और टर्न करते हुए पाएं, तो अपनी आंखें बंद कर लें और गहरी सांस लें। एक नियमित ध्यान अभ्यास विकसित करना एक साक्ष्य-समर्थित तरीका है जो आपके मन की घबराहट को दूर करने में मदद करता है। बड़ी तस्वीर देखें, क्या आज का यह उलझाव कल को प्रभावित करने वाला है ? छोटी-छोटी बातों को बड़ी बाधा न बनने दें। आपको अकेले झूझने की जरूरत नहीं है। लाइफ़मंत्र बाई पर्ल से जुड़ें। एक्सपर्ट्स की मदद हीलिंग आसान कर देती है। आप समझदार हैं। सोचे समझें और विचार करें। थिंक करे ओवरथिंक नहीं। मिलते हैं अगले अंक में एक नए विचार के साथ।

नीलिमा झुनझुनवाला, कोलकाता