आकर्षक व्यक्तित्व के निर्माण में आहार की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण है। जैसा कि हम सभी जानते हैं आहार के दो प्रकार हैं, एक शाकाहार और दूसरा मांसाहार। जैसा आहार लिया जाता है वैसे ही भाव, आचार - विचार हमारे शरीर में उत्पन्न होते हैं। भारत संसार में एकमात्र ऐसा देश है जहां पर सबसे अधिक शाकाहार भोजन करने वाले लोग पाए जाते हैं, इसका प्रमुख कारण यह है कि हमारी संस्कृति और हमारा धर्म मांसाहार की अनुमति नहीं देता। महाभारत में भी उल्लेख है कि आजीवन मांसाहार भोजन न करना 100 अश्वमेघ यज्ञ के समान है। सिर्फ धर्म ही नहीं बहुत से वैज्ञानिक और चिकित्सक भी मांसाहार को मानव शरीर के लिए नुकसानदायक मानते हैं। मांसाहार करने वाले व्यक्ति शाकाहार व्यक्ति की तुलना में अधिक चिड़चिड़े एवं उग्र स्वभाव के होते हैं। शाकाहारी व्यक्ति की तुलना में मांसाहारी व्यक्ति ज्यादा बीमार होते हैं, उनमें गठिया, अल्सर, हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर, कैंसर जैसी घातक रोगों की प्रबल संभावना रहती है। जब कि शाकाहारी व्यति अधिकांशतः दीर्घायु, निरोग और तंदरुस्त होते हैं। बर्ड फ्लू और स्वाइन फ्लू नामक घातक बीमारियां इंसानों में बहुत जल्द फैलती हैं और इस बीमारी का कारण इस रोग से त्रस्त जीव को खाना ही है। एक सर्वे के अनुसार अभी तक लाखों लोग इस बीमारी की चपेट में आ चुके हैं। वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन के दौरान यह भी पाया कि शाकाहारी भोजन करने वाले लोग मांसाहारी व्यक्ति की तुलना में कम डिप्रेशन का शिकार होते हैं।
हैरानी इस बात की है कि भारतीय भी मांसाहार के मोह में बंधते जा रहे हैं और अपनी इस प्रवृत्ति को वे आधुनिकता, सम्पन्नता और अपने आहार चुनने की स्वतंत्रता का नाम दे रहे हैं। यहां तक कि गौमाता के मांस - भक्षण में भी उन्हें कोई दोष नजर नहीं आता। आलोचक चाहे कुछ भी कहें भारत में मांसाहार के प्रति बढ़ता मोह देख कर यह प्रतीत होने लगा है कि लोगों की सम्पन्नता में इजाफा हुआ है। सर्वे के फलस्वरूप प्राप्त आंकड़े यह बताते हैं कि पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में लगभग 98 प्रतिशत व्यक्ति मांसाहारी हैं। वहीं राजस्थान और हरियाणा में लगभग 70 प्रतिशत व्यक्ति शाकाहारी हैं। जहां पश्चिमी देशों में शाकाहार की ओर लोगों का झुकाव हो रहा है वहीं शाकाहारी देश कहे जाने वाले देश में उल्टी गंगा बह रही है। फिल्मी सितारों के लोग दीवाने हैं अपनी खूबसूरती बरकरार रखने के लिए अमिताभ बच्चन, रेखा, मल्लिका शेरावत, आलिया भट्ट,जैकलीन फर्नांडीज जैसे कई सितारे शाकाहार पर ही निर्भर हैं। दो बार ओलम्पिक पदक विजेता सुशील कुमार भी शाकाहारी हैं।
जर्मनी के एक विश्वविद्यालय, परमाणु शोध संस्थान और जर्मन स्वास्थ्य कार्यालय ने काफी वर्षों पहले शाकाहार से होने वाले लाभ - हानि से जुड़े अध्ययन किए और अचंभित हुए कि शाकाहारियों का शारीरिक वजन और रक्तचाप बहुत अनुकूल था और उनके दीर्घजीवी होने की संभावना उतनी ही अधिक। लंदन में भी 11 हजार शाकाहारियों के साथ वर्षों तक ऐसा ही अध्ययन किया गया और उनकी तुलना मांसाहारियों से की गई उनका रहन सहन भी एक जैसा ही था, परन्तु परिणाम बिल्कुल वैसे ही निकले जैसा कि ऊपर बताया गया है। शोधकर्ताओं ने पाया कि शाकाहारियों में कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर और यूरिक एसिड का स्तर मांसाहारियों से बेहतर निकला। उन शाकाहारियों में प्रोटीन, विटामिन और अन्य खनिज तत्त्वों का अभाव नहीं था और उनका स्वास्थ्य भी बेहतर था।
क्या स्वस्थ और दीर्घजीवी होने के लिए शाकाहारी होना ही पर्याप्त है ? आहार विशेषज्ञों का कहना है कि अच्छे स्वास्थ्य के लिए शाकाहारी भोजन का संतुलित होना भी आवश्यक है। अर्थात् भोजन में चावल, दाल, रोटी, सब्जी ही नहीं दूध, दही, फल, फूल, ड्राई फ्रूट का भी होना आवश्यक है। जितने प्रोटीन की दैनिक आवश्यकता होती है वह दाल से ही पूरी की जा सकती है। विचार करें आज विश्व में प्रति वर्ष लगभग तीस करोड़ टन मांस लोग खा जाते हैं, आशंका यह है कि अगले बीस वर्षों में यही आंकड़ा पचास करोड़ टन तक जा सकता है। पहले पशुओं को पाला जायेगा फिर उन्हें काटा जायेगा। आखिर, जीवों की हत्या कर के उन्हें खाने का सिलसिला कैसे रुकेगा ?
प्रयास हम सभी को करना होगा, लोगों को शाकाहार के गुणों से अवगत कराएं और गली कूचे में गन्दगी खाने वाले जानवरों, तरह - तरह के हार्मोन्स के इंजेक्शन से तैयार किए जा रहे जानवरों के मांस खाने वालों को सही राह दिखाएं।