वर्तमान शिक्षा प्रणाली का समाज पर प्रभाव

शिक्षा जीवन का आधार है। अन्न, जल, वस्त्र और हवा के अतिरिक्त शिक्षा ही वह मूलभूत आवश्यकता है, जो मनुष्य को अन्य प्राणियों से श्रेष्ठ बनाती है। शिक्षा बिना मानव का जीवन अधूरा है अर्थहीन है।

जैसा कि कहा जाता है-

"तप् येषां वै विद्या न तपो न दानं ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः।
ते मर्त्यलोके भुवि भूवि भारभूता : मनुष्यरूपेण मृगाश्चरान्त"

शिक्षण का अर्थ है जीवन जीने की कला जो मनुष्य को आर्थिक, सामाजिक, मानसिक व भावनात्मक रूप से सामर्थ्यशाली बनाती है। जैसा कि हम जानते हैं, प्राचीन काल में हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा अनौपचारिक शिक्षा का चलन था। जो व्यक्ति जिस क्षेत्र में निपुण होता था उसकी शिक्षा उसी क्षेत्र में शुरू हो जाती थी। शिक्षा का मुख्य उद्देश्य है एक बेहतर कल का निर्माण करना। धीरे-धीरे काल बदला, परिस्थितियाँ बदलीं और साथ ही बदली शिक्षा प्रणाली और शिक्षा स्वरूप में बदलाव आया। गुरुकुल बड़ी-बड़ी इमारतों में परिवर्तित हो गए। और यहीं से वर्तमान शिक्षा प्रणाली का शुभारंभ हुआ निश्चित व नियोजनबद्ध पाठ्यक्रम व उसे पूर्ण करने के लिए एक निश्चित व नियोजनबद्ध पद्धति का निर्माण किया जाने लगा। इस औपचारिक शिक्षा के कारण जगत में क्रांति का आना तय था। Well begun is half done - यदि  किसी  काम की शुरुआत सही तरीके से की जाए तो आधी सफलता वहीं प्राप्त हो जाती है। औपचारिक शिक्षा ने भी यही काम किया। लोगों ने जीविका के साधन के रूप में शिक्षा को स्वीकार करना शुरू किया, किन्तु धीरे-धीरे इसका क्षेत्र सीमित होता चला गया। आज शिक्षा का उद्देश्य केवल डॉक्टर अथवा इंजीनियर बनना ही रह गया है।

लेकिन आज की वर्तमान शिक्षा प्रणाली ने उस परिभाषा को धीरे-धीरे बदल दिया है। आज वैश्वीकरण व आधुनिक संचार के माध्यमों के प्रभाव से शिक्षा जगत को एक नयी दिशा मिली है। संचार माध्यमों की सहायता से ज्ञानार्जन के बेहतर विकल्प मिलना संभव हो सका है। आज की शिक्षा प्रणाली एक अथाह सागर के समान है जिसमें जो जितनी गहरी डुबकी लगाएगा वह उतना ही मूल्यवान मोती पाएगा। आज प्रत्येक बच्चे को उसकी क्षमता के अनुसार रोजगार पाने का अवसर है। सोशल मिडिया, YouTube और Google जैसे साधनों का उपयोग करके लोग अपने ज्ञान को बेहतर से बेहतर कर सकते हैं। शिक्षा का क्षेत्र इतना व्यापक है कि हम अपनी मनपसंद राह चुन कर अपना और अपने समाज का विकास कर सकते हैं।

बच्चों का बौद्धिक स्तर तो इतना बढ़ गया है कि प्रौढ़ वर्ग उनके सामने स्वयं को बौना महसूस करने लगे हैं। बच्चों के ज्ञान का स्तर हमें रियालिटी प्रोग्रामों में देखने को मिलता है। उनके भीतर ऐसी-ऐसी प्रतिभाएं छिपी हैं जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। आज की शिक्षा व्यक्ति को स्वतंत्र व आत्मनिर्भर बनाती है। व्यक्ति अपना भविष्य अपनी रूचि के अनुसार स्वयं संवार सकता है। पुराने घिसे-पिटे जर्जर ढर्रे से हटकर एक तेज रफ़्तार बेहतर भविष्य देने की क्षमता आज की वर्तमान शिक्षा प्रणाली में है।

मीरा अशोक कुमार मौर्य, मुंबई