डॉ. प्रकृति पारीख, मुंबई (होमियोपैथ, डाइटीशियन, न्यूट्रिशनिस्ट)
उच्च रक्तचाप जिसे हाई ब्लड प्रेशर के नाम से भी जाना जाता है, जो आजकल की भाग दौड़ भरी जिंदगी में सबसे गंभीर और आम स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। यह समस्या न केवल व्यक्ति के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है बल्कि गंभीर बीमारियों का कारण भी बन सकती है। उच्च रक्तचाप एक सामान्य स्थिति है जो शरीर की धमनियों (arteries) को प्रभावित करती है। प्रत्येक व्यक्ति में रक्तचाप (blood pressure) होता है जो धमनियों (arteries) के माध्यम से रक्त को परिवहन करने और शरीर की कोशिकाओं (cells) को आक्सीजन प्रदान करने के लिए आवश्यक क्या होता है। उच्च रक्तचाप में धमनियों में रक्त (blood) का दबाव समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ जाता है। दबाव की इस वृद्धि के कारण रक्त की धमनियों में रक्त का प्रभाव बनाए रखने के लिए दिल (heart) को सामान्य से अधिक काम करने की आवश्यकता पड़ती है, जिसके कारण शरीर में स्वास्थ्य समस्याएं होने लगती है। उच्च रक्तचाप को “साइलेंट किलर” के नाम से भी जाना जाता है। यह बिना किसी स्पष्ट लक्षण के चुपचाप बढ़ सकता है। आज की प्रतिस्पर्धी दुनिया में यह मध्यम आयु वर्ग के वयस्कों में बहुत प्रचलित है। रक्तचाप को मिली मीटर पारे (mmHg) में मापा जाता है। सामान्य तौर पर रक्तचाप 120/80 mmhg या उससे अधिक हो तो उसे उच्च रक्तचाप के रूप में परिभाषित किया जाता है। रक्तचाप को दो मानो द्वारा दर्शाया जाता है सिस्टोलिक (ऊपरी मान) और डायस्टोलिक (निचला मान)। सिस्टोलिक ध्वनि तब होती है जब हृदय सिकुड़ता है और रक्त को शरीर के विभिन्न भागों में धकेलता है। यह दबाव की उच्च श्रेणी को दर्शाता है, जिसे सिस्टोलिक रक्तचाप कहा जाता है।
सामान्य अवस्था में सिस्टोलिक रक्तचाप 110 – 140 mmhg के बीच होता है। डायस्टोलिक ध्वनि हृदय के विश्राम की अवधि है जब रक्त हृदय कक्षा में प्रवेश करता है। यह डायस्टोलिक रक्तचाप है और निम्न रक्तचाप को दर्शाता है। सामान्य अवस्था में डायस्टोलिक रक्तचाप 75 – 80 mmhg के बीच होता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन द्वारा रक्तचाप को चार सामान्य श्रेणियां में विभाजित किया है – सामान्य रक्तचाप – रक्तचाप 120/ 80 mmhg से कम हो तो उसे सामान्य (normal) रक्तचाप कहा जाता है। पूर्व रक्तचाप – पूर्व रक्तचाप में ऊपर की संख्या 120-139 mmhg तक होती है और नीचे की संख्या 80-89 mmhg तक होती है।
स्टेज 1 उच्च रक्तचाप — ऊपर की संख्या 140-159 mmhg के बीच और नीचे की संख्या 90-99 mmhg के बीच होती है।
स्टेज 2 उच्च रक्तचाप — ऊपर की संख्या 160 mmhg या अधिक और निचली संख्या 100 mmhg या अधिक होती है।
180/120 mmhg या उससे अधिक रक्तचाप होने पर एक चिकित्सीय आपातकालीन स्थिति मानी जाती है।
उच्च रक्तचाप के दो मुख्य प्रकार है:
प्राथमिक उच्च रक्तचाप — यह उच्च रक्तचाप का सबसे आम प्रकार है, जो लगभग 90 से 95% लोगों में होता है। यह आमतौर पर उम्र बढ़ने के साथ-साथ विकसित होता है और उसका कोई खास कारण नहीं होता है।
द्वितीयक उच्च रक्तचाप — यह रक्तचाप वह है जो शरीर में किसी रोग के कारण या किसी स्थिति के कारण हो जाता है जैसे – किडनी का कोई रोग, थायराइड की समस्या, एड्रेनल ग्लैंड टयूमर, हार्मोनल असंतुलन, हार्ट की समस्या, अवरोधक निद्रा अश्वसन, रक्तवाहिका संबंधी समस्याएं, लंबे समय तक दवाइयों का सेवन आदि।
कभी-कभी सिर्फ स्वास्थ्य जांच करवाने से भी रक्तचाप बढ़ जाता है, इसे व्हाइट कोट उच्च रक्तचाप कहते हैं। जिसके लिए कोई दवा की आवश्यकता नहीं होती है।
उच्च रक्तचाप की समस्या के लिए कई कारण जवाबदार हैं, जैसे मोटापा या अधिक वजन होना, तनाव, अनुवांशिकता, अव्यवस्थित जीवन शैली, सिगरेट और शराब का सेवन, चर्बी युक्त और ज्यादा सोडियम (salt) से भरपूर आहार, स्लिप ऐपनिया, पारिवारिक इतिहास, व्यायाम की कमी, गर्भावस्था आदि।
उच्च रक्तचाप से पीड़ित अधिकांश लोगों को उच्च रक्तचाप के कोई लक्षण महसूस नहीं होते हैं। लेकिन आम तौर पर उच्च रक्तचाप से पीड़ित कुछ लोगों में कई लक्षण दिखाई देते हैं जैसे सर दर्द खासतौर पर सर के पिछले हिस्से में दर्द होना, थकान और सुस्ती लगना, सांस लेने में तकलीफ होना, धुंधला दिखना, चक्कर आना, उल्टी आना, नाक से खून आना, दिल की धड़कन बढ़ना आदि। अगर इनमें से कोई भी लक्षण बार बार दिखाई दे तो बिना विलंब किए डॉक्टर का संपर्क करना चाहिए।
अनियंत्रित उच्च रक्तचाप से शरीर में कई जटिलताएं (complications) हो सकती हैं जैसे दिल का दौरा (हार्ट अटैक) या स्टॉक, एन्यूरिज्म, हार्ट फेल्योर, आंखों की समस्याएं, किडनी की समस्याएं, मेटाबॉलिक सिंड्रोम, हेमरेज, याददाश्त या समझ में बदलाव आदि।
उच्च रक्तचाप का निदान सबसे पहले स्फेगमोमैनोमीटर (bp instrument) और स्टेथोस्कोप नामक चिकित्सा उपकरण का उपयोग करके किया जाता है। आमतौर पर उच्च रक्तचाप की सीमा और कारणों को समझने के लिए तीन अलग-अलग रीडिंग ली जाती है। लंबे समय से चले आ रहे उच्च रक्तचाप से होने वाले नुकसान की सीमा को समझने के लिए डॉक्टर इस. सी. जी.(ECG), यूरिन की जांच, खून की जांच, किडनी अल्ट्रासाउंड इमेजिंग जैसे टेस्ट करने की भी सलाह देते हैं।
रक्तचाप की जांच सामान्य स्वास्थ्य देखभाल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। 18 वर्ष की आयु के व्यक्ति को कम से कम साल में एक बार और 40 वर्ष या उससे अधिक आयु वाले व्यक्ति को कम से कम 6 महीने में एक बार जांच कराना आवश्यक है।
उच्च रक्तचाप के उपचार में जीवनशैली में बदलाव और दवाइयां शामिल हैं। उच्च रक्तचाप का उपचार व्यक्ति की रक्तचाप की रीडिंग, उच्च रक्तचाप के कारण और उसकी अंतर्निहित स्थितियों के आधार पर किया जाता है। WHO के अनुसार लगभग 1.13 अरब लोग उच्च रक्तचाप से प्रभावित है। यह संख्या हर साल बढ़ रही है और उच्च रक्तचाप के कारण कई देशों में मृत्यु दर में वृद्धि भी हो रही है। उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करना और इसके प्रभाव को कम करना अत्यंत आवश्यक है। यदि हमें उच्च रक्तचाप जैसे गंभीर बीमारी से बचना है तो कई आवश्यक बातें जीवन में उतारना जरूरी है।