योग प्राचीनकाल से ही भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है, जो हमें हमारी भारतीय परम्परा से विरासत में मिला है। योग न केवल एक अमूल्य धरोहर, अपितु स्वस्थ रहने के लिए एक अनमोल उपहार भी है, जो मनुष्य को जीवन जीने की कला सिखाता है। यह केवल व्यायाम नहीं, बल्कि जीवन शैली को आनंदमय बनाने की कला भी है। प्राचीनकाल से ही हमारे ऋषि मुनि यौगिक जीवन का अनुसरण करते आ रहे हैं।
समाधि योग और स्वास्थ्य का अत्यंत गहरा और पुरातन सम्बन्ध रहा है जिसे आज के युग में आम जनमानस द्वारा सहजता से समझा भी जा रहा है। सम्पूर्ण विश्व में 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय विश्व योग दिवस के रूप में मनाया जाना इसका प्रमाण है। योग से किस प्रकार शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य को पाया जा सकता है, इस पर बहुत कुछ लिखा जा रहा है।
चूँकि योग आंशिक नहीं अपितु पूर्ण रूप से स्वस्थ जीवन शैली का द्योतक है इसलिए वह शारीरिक, मानसिक और आत्मिक तीनों स्तर पर मनुष्य को स्वस्थ रखने में सक्षम है। योग के आठ अंगों के अनुष्ठान से हम यह सम्पूर्ण स्वास्थ्य प्राप्त कर सकते हैं। कोई भी चिकित्सा पद्धति इन आठ अंगों के प्रायोगिक प्रयोग के बिना मानव को सम्पूर्ण स्वास्थ्य प्रदान करने में सर्वथा असमर्थ है।
यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि ये योग के आठ अंग हैं। अष्टांग योग का अनुष्ठान समग्र स्वास्थ्य का साधन है। अष्टांग योग के अनुष्ठान या अभ्यास से व्यक्ति पूर्णतः रोग मुक्त रह सकता है। आज विभिन्न रोगों के अनुसार योगासनों एवं प्राणायामों पर अनुसन्धान हो रहा है, जिसे आज वैज्ञानिक जन भी स्वीकार कर रहे हैं। मधुमेह, उच्च रक्तचाप, अवसाद के लिए प्रमुख रूप से योग का सहारा लिया जा रहा है। प्रतिदिन के नियमित योगाभ्यास से आज कोई भी व्यक्ति सभी प्रकार की जीवन शैली से सम्बंधित रोगों से बच सकता है।
शरीरिक स्वास्थ्य रक्षण के लिए जहाँ एक ओर आसनों का प्रचलन बढ़ रहा है वहीं प्राणायाम के माध्यम से भी शरीर को स्वस्थ बनाये रखने के लिए प्रयास हो रहे हैं। योग के माध्यम से लोगों की दिनचर्या भी एक नूतन स्वरुप ले रही है जिसमें ब्रह्ममुहूर्त में जागरण प्रमुख है। प्रातःकाल उठने की अच्छी आदत से लाखों लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन देखा गया है। इसका सबसे बड़ा श्रेय परम पूज्य स्वामी रामदेव जी के सात्विक संकल्प को जाता है, जिन्होंने इस तरह से युग परिवर्तन की ओर अपना सम्पूर्ण सामर्थ्य लगा दिया और आज उसके सार्थक परिणाम हम सबके सामने हैं। एक ओर जहाँ योग को गुफाओं, कंदराओं तक सीमित कर दिया गया था, ब्रह्ममुहूर्त में उठने को साधू सन्यासियों का कार्य समझकर उनके भरोसे ही छोड़ दिया था, आज आम जनमानस भी योग और दिनचर्या को लेकर अत्यंत सजग दिखाई देता है। योग का यही आन्दोलन अंतर्राष्ट्रीय विश्व योग दिवस के लिए भी नींव बना।
स्वस्थ रहने के लिए नियमित रूप से इन पांच योग आसनों का अभ्यास अवश्य करें :
बालासन :
इस आसन को नियमित रूप से करने से कंधों और कमर के दर्द से राहत मिलती है। बालासन की क्रिया रोजाना करने से सांस की समस्या से तो निजात मिलती ही है साथ ही पाचन की क्रिया भी सही रहती है।
सुखासन :
मानसिक शांति और थकान दूर करने के लिए नियमित रूप से कम से कम पांच मिनट तक सुखासन का अभ्यास करना चाहिए। इस आसन को करने से रीढ़ की हड्डी को मजबूती मिलती है।
अधोमुख सर्वासन :
रोजाना कम से कम तीन से चार मिनट इस आसन का अभ्यास करने से हाथ, पैर, कंधा और सीने की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है। अधोमुख सर्वासन का अभ्यास करने से फेफड़े मजबूत होते हैं।
ताड़ासन :
ताड़ासन योग की क्रिया को करने से पैरों में मजबूती आती है। इस मुद्रा में कम से कम 12 सेकेंड तक रहते हुए रोजाना कम से कम दस बार इस आसन का अभ्यास करना चाहिए।
त्रिकोणासन :
कमर और जांघों के पास का मोटापा कम करने के लिए यह एक बढ़िया आसन है। त्रिकोणासन करने से पाचन की समस्या दूर होती है। रोजाना कम से कम दो से तीन मिनट तक इस आसन का अभ्यास करना चाहिए।