मोटापा ( Obesity )

डॉ. प्रकृति पारीख, मुंबई होमियोपैथ, डाइटीशियन, न्यूट्रिशनिस्ट

‘क्या आप अपने वजन से संतुष्ट हैं ? “मोटापे की पहचान और समाधान” – एक आवश्यक प्रक्रिया

आज के आधुनिक युग में मोटापा (obesity) एक गंभीर और तेजी से बढ़ती स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है। यह समस्या न केवल युवाओं बल्कि बच्चों में भी बढ़ती जा रही है, जो न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में चिंता का कारण बन चुका है। यह एक चिकित्सीय स्थिति है, जिसे कभी-कभी बीमारी माना जाता है। मोटापा एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर में अत्यधिक वसा (fat) जमा हो जाता है, जो व्यक्ति के सामान्य वजन से कहीं अधिक होता है। मोटापा और शरीर का वजन बढ़ना आमतौर पर एक ही बात समझा जाता है लेकिन वह दोनों अलग-अलग स्थितियां है। यदि किसी व्यक्ति का वजन उसकी उम्र और लंबाई के अनुसार ज्यादा हो तो उसे ओवरवेट कहा जाता है, हालांकि मांसपेशियां, हड्डियां, वसा (fat) और शरीर में मौजूद पानी व्यक्ति के शरीर के वजन को निर्धारित करता है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में मोटापे का स्तर नियमित रूप से बढ़ रहा है और इस समय भारत में लगभग 13.5 करोड़ लोग मोटापे का शिकार हैं। 

शरीर के वजन को मापने का एक महत्वपूर्ण तरीका बीएमआई (body mass index) है। यह शरीर के वजन और ऊंचाई के आधार पर व्यक्ति के शरीर के सामान्य वजन का आंकलन करने का सामान्य तरीका है। यह एक गणना है, जो बताती है कि व्यक्ति का वजन उसकी ऊंचाई के हिसाब से कितना होना चाहिए। 

बीएमआई के विभिन्न स्तरों को ध्यान में रखते हुए उसे निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया जाता है जैसे – 1)18.5 से कम (underweight)-अगर आपका बीएमआई 18.5 से कम है तो इसका मतलब है कि आपका वजन सामान्य से कम है। 2) 18.5 से 24.9 (normal weight) – यह बीएमआई श्रेणी सामान्य और स्वस्थ वजन दर्शाती है। 3) 25 से 29.9 (overweight)- इस श्रेणी में व्यक्ति का वजन सामान्य से अधिक होता है। 4) 30 या उससे अधिक (obesity) – यदि आपका बीएमआई 30 या उससे अधिक है तो इसका मतलब है कि आप मोटापे की श्रेणी में आते हैं।

 मोटापा एक ऐसी स्थिति है, जिसके लिए कई कारण जवाबदार हैं, जैसे —- अत्यधिक भोजन करना, विशेषकर हाई कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों का सेवन मोटापे का प्रमुख कारण है। उच्च कैलोरी वाले खाद्य पदार्थ, तला हुआ भोजन, फास्ट फूड, मिठाइयां, बाहर का खाना शरीर में अतिरिक्त वसा (fat) जमा कर सकते हैं। यदि किसी व्यक्ति की जीवन शैली में शारीरिक श्रम और व्यायाम की कमी हो तो अतिरिक्त कैलोरी जल नहीं पाती और फैट के रूप में शरीर में जमा हो जाती है । तनाव, चिंता और अवसाद के कारण कुछ लोग अधिक खाना शुरू कर देते हैं जिसे ‘स्ट्रेस ईटिंग’ कहा जाता है। यह भी मोटापे का कारण बन सकता है। यदि परिवार में किसी को मोटापा है तो यह गुण बच्चों में भी आ सकता है। 

अनुवांशिक कारण मोटापे का एक महत्वपूर्ण पहलू है। स्वास्थ्य संबंधित कुछ समस्याएं जैसे – हाइपरथाइरॉयडिज़्म, कशिंग सिंड्रोम, इंसुलिन और अन्य हार्मोन में असंतुलन जैसी स्थितियां व्यक्ति के मेटाबॉलिज्म को प्रभावित कर देती हैं और इस कारण से व्यक्ति को मोटापा हो सकता है। पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS) जैसे स्थिति महिलाओं में वजन बढ़ाने का कारण हो सकती है। अपर्याप्त नींद से शरीर में हार्मोनल असंतुलन हो सकता है, जिससे भूख को नियंत्रित करने वाले हार्मोन प्रभावित होते हैं और अधिक खाने की इच्छा होती है। एंटी डिप्रेशन और स्टेरॉयड जैसी कुछ प्रकार की दवाइयां भी साइड इफेक्ट्स के रूप में मोटापे का कारण बन सकती हैं। 

आमतौर पर माना जाता है कि वजन बढ़ना मोटापे का एक मात्र लक्षण नहीं है। मोटापा के लक्षण शारीरिक बदलावों के रूप में भी महसूस हो सकते हैं जैसे – नींद में परेशानी, घुटनों और जोड़ों में दर्द, सांस फूलना, थकावट होना आदि। मोटापा शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डालता है। मोटे व्यक्तियों में आत्मसम्मान की कमी, डिप्रेशन और अन्य मानसिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। मोटापा एक ऐसी स्वास्थ्य स्थिति है, जिसके कारण शरीर में अनेक प्रकार की समस्याएं जन्म ले लेती हैं। यदि मोटापे की समस्या की रोकथाम समय पर ना की जाए तो कई बीमारियां हो सकती हैं जैसे – उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह, स्ट्रोक, कैंसर, स्लीप एप्निया, स्टियोआर्थराइटिस, फैटी लिवर, अत्यधिक कोलेस्ट्रॉल, हार्मोनल असंतुलन आदि। 

मोटापा एक जीवन शैली से जुड़ी बीमारी है। जीवन शैली की अच्छी आदतों को अपना कर हम मोटापा जैसी बीमारी से बच सकते हैं। मोटापे का बचाव और इलाज दोनों ही महत्वपूर्ण है। मोटापे को नियंत्रित करने के लिए उचित उपाय की आवश्यकता होती है जैसे – ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज, दाल, प्रोटीन स्तोत्र, अधिक फाइबर वाले आहार, कम वसा वाले आहार को अपनी डाइट में शामिल करें। ज्यादा कैलोरी वाले खाने जैसे शक्कर, तला हुआ खाना, जंक फूड, बाहर का खाना कम से कम खाएं। छोटे-छोटे और नियमित भोजन करें ताकि मेटाबॉलिज्म बना रहे। कम से कम 30 मिनट रोजाना शारीरिक व्यायाम करें जैसे चलना, दौड़ना, योग आदि। शारीरिक सक्रियता से कैलोरी की खपत होती है, जिससे वजन नियंत्रण में रहता है। पर्याप्त पानी पीने से मेटाबॉलिज्म में सुधार आता आता है और शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं। पर्याप्त नींद लेना भी वजन नियंत्रण के लिए जरूरी है। आहार में बदलाव और कैलोरी की मात्रा जानने के लिए किसी डाइटिशियन और न्यूट्रीशनिस्ट की मदद भी ले सकते हैं जो एक व्यक्तिगत डाइट प्लान दे सकें।

 हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी ने भारत में बढ़ते हुए मोटापे की समस्या के प्रति जागरूकता लाने के लिए ‘फिट इंडिया मूवमेंट’ शुरू किया है, जिसमें उन्होंने एक्सरसाइज, हेल्दी लाइफ़स्टाइल, बैलेंस डाइट के बारे में बताया है। मोटापा ना केवल व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित करता है बल्कि पूरे समाज पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। इसे नियंत्रित करने के लिए जागृत होना जरूरी है। अगर सही समय पर इसे रोका जाए तो इसके खतरनाक प्रभावों से बचा जा सकता है। एक स्वस्थ तन ही एक स्वस्थ मन और एक स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण कर सकता है।