मिर्जापुर जल प्रपातों की नगरी

मिर्जापुर उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में स्थित है। मिर्जापुर पर्यटन और धार्मिक स्थलों दोनों के लिये प्रसिद्ध है। माँ विन्धयवासिनी का मन्दिर यहीं पर स्थापित है, जो कि देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक है। वहीं घूमने के लिए चुनार किला और अनेक खूबसूरत जल प्रपात भी हैं। इसीलिये इसे “जल प्रपातों की नगरी” भी कहते हैं, जो कि मन मोह लेने का अद्भुत काम करते हैं। मिर्जापुर अपने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के लिए भी जाना जाता है।
मिर्जापुर में कई ऐसे जलप्रपात हैं जो देश और दुनिया में बहुत लोकप्रिय हैं। यहाँ पर दूर दूर से लोग पर्यटन के लिए आते हैं। फिर भी कुछ ऐसे जलप्रपात हैं जिनके बारे में लोगों को कम जानकारी है। इन जल प्रपातों का नज़ारा अद्भुत, अकल्पनीय और अद्वितीय लगता है।
बरसात के मौसम में अगर मिर्जापुर जा रहे हैं तो यहाँ के इन वॉटर फॉल पर अवश्य घूमने जाइयेगा। जलक्रीड़ा के साथ ही पिकनिक के लिए भी बहुत अच्छी व्यवस्था है। बिना किसी असुविधा के परिवार और मित्रों के साथ पहाड़ों के बीच प्रकृति का आनंद ले सकते हैं।
विन्ध्याचल मन्दिर विन्ध्याचल, देवी माँ दुर्गा को समर्पित माँ विन्ध्यवासिनी मन्दिर के लिये प्रसिद्ध है। इस शहर को 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है, जो कि एक पवित्र पूजा स्थल है, जहाँ यह माना जाता है कि यह मन्दिर वह स्थान है जहां देवी के अंग गिरे थे। यहाँ पर देवी माँ के पूरे विग्रह के दर्शन होते हैं। यह मन्दिर वह स्थान है जहां देवी के अंग गिरे थे। यहाँ पर देवी माँ के पूरे विग्रह के दर्शन होते हैं। विन्ध्याचल धाम पर माता अपने तीनों रूप में विराजमान हैं – महालक्ष्मी जी के रूप में माँ विन्ध्यवासिनी देवी, महाकाली के रूप में माँ कालीखोह की देवी और महासरस्वती के रूप में माँ अष्टभुजा देवी विराजमान हैं। यही कारण है कि इस स्थली को महाशक्तियों का त्रिकोण भी कहा जाता है।
विन्ध्याचल मन्दिर अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी जाना जाता है क्योंकि यह मंदिर पवित्र गंगा नदी के तट पर स्थित है और पहाड़ियों और जंगलों से घिरा हुआ है। यह धाम अपने धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है और हर वर्ष लाखों श्रद्धालु देवी के दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विन्ध्यवासिनी देवी मंदिर आते हैं।
अष्टभुजा मन्दिर- विन्ध्य पर्वत के ऊपर स्थित माँ अष्टभुजा देवी का मन्दिर एक प्रसिद्ध और ऐतिहासिक मन्दिर है। यह मन्दिर एक गुफा के अंदर स्थित है, जो कि इसे और अधिक पवित्र और खास बनाता है क्योंकि वहाँ अखंड ज्योति जल रही है। यह मन्दिर अपने शांत वातावरण के कारण भक्तों, श्रद्धालुओं और आगंतुकों को समान रूप से आकर्षित करता है। मन्दिर तक पहुँचने के लिए 160 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं. पार्किंग एरिया से मन्दिर तक जाने के लिये रोपवे की भी व्यवस्था है, जो कि भक्तों के लिये देवी के दर्शन को और भी सुविधाजनक बनाती है।
माँ अष्टभुजा जी की पूजा महामाया के रूप में भी की जाती है जो कि माँ यशोदा जी की बेटी हैं, क्योंकि वह भगवान श्री कृष्ण की बहन थीं। महामाया ने कंस को चेतावनी दी थी “तुम्हारे जैसा दृष्ट मेरा क्या बिगाड़ लेगा” तुम्हें मारने वाला तो पहले ही पैदा हो चुका है – ऐसा कहकर देवी आकाश की ओर उड़ गई और विंध्य पर्वत पर विराजमान हो गयीं। जिसका वर्णन मार्कण्डेय ऋषि ने “दुर्गा सप्तशती” में किया है।
कालीखोह मन्दिर – कालीखोह मन्दिर, वन क्षेत्र में स्थित है, जो कि काफ़ी एकांत और भीड़भाड़ से मुक्त है। विन्ध्याचल धाम में विंध्य पर्वत पर स्थित इस महाकाली मन्दिर का तंत्र साधना के लिए विशेष महत्व है।

लखनिया दरी – लखनिया दरी उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में स्थित एक अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर जलप्रपात है। हरियाली के बीच स्थित यह मनोरम जलप्रपात, शहर के कोलाहल से दूर एक शांत और ताजगी से परिपूर्ण स्थल है। जैसे ही आप लखनिया दरी झरने के पास पहुंचेंगे, घने जंगलों से घिरे झरनों की मधुर ध्वनि आपका स्वागत करेगी, जो कि इसके प्राकृतिक सौंदर्य को और अधिक बढ़ा देती है।
सिद्धनाथ दरी – मिर्जापुर से लगभग 45 किमी दूर बाबा सिद्धनाथ की दरी स्थित है। दिव्य स्थल के कारण दूर दूर से लोग यहाँ पिकनिक मनाने आते हैं। पहाड़ों से टकराकर गिरते हुए पानी की आवाज़ सुनकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता है। यह जगह इतनी खूबसूरत है कि लोग यहाँ से वापस लौटना नहीं चाहते हैं। इस जलप्रपात पर मिर्जापुर वेब सीरीज़ समेत कई अन्य फ़िल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है। मॉनसून के दिनों में यहाँ का नजारा दिव्य और भव्य दिखाई देता है।
अलोपी दरी – अलोपी दरी एक छोटा लेकिन खूबसूरत अनछुआ जलप्रपात है, जो कि मिर्जापुर से लगभग 24 किमी की दूरी पर स्थित है। यह दरी बारिश में ही दिखाई देता है। बरसात के बाद यहाँ पर पानी कम हो जाता है। अलोपी दरी में पहाड़ों के अंदर से पानी आता है। मॉनसून के मौसम में यहाँ का नज़ारा स्वर्ग जैसा हो जाता है।
चुनार किला – देवकी नंदन खत्री के चर्चित उपन्यास “चंद्रकांता संतति” में पहली बार इस किले का नाम पढ़ा था, तब से यह नाम मनमस्तिष्क में बसा था, और इसकी छवि एक रहस्मयी स्थान की तरह अंकित थी। यहाँ जाने पर इसके विषय में जो धारणा बनी थी, इसका इतिहास उससे बिल्कुल अलग मिला। चुनार किले के इतिहास में ऐतिहासिकता के साथ साथ आध्यात्मिकता एवं पौराणिकता भी सम्मिलित है। पौराणिक इस संदर्भ में कि वामन अवतार में जब प्रभु विष्णु भगवान ने राजा बलि से तीन पग भूमि मांगी थी तब उस समय उनका पहला पग यहीं पर पड़ा था, इससे इसका प्राचीन नाम चरणाद्रि दुर्ग हुआ। इस किले की ज़मीन की आकृति पैर के पंजे जैसी है। यहाँ से सूर्यास्त का दृश्य बहुत मनोहारी प्रतीत होता है। किले में “सोनवा मंडप” सूर्य घड़ी और एक विशाल कुआँ भी है।
चूना दरी – चूना दरी देखने में जितना आकर्षक है, लेकिन पानी उतना ही ख़तरनाक है। यहाँ पर स्नान करने वाले अक्सर काल के गाल में समा जाते हैं। मॉनसून के दिनों में यहाँ पर सुरक्षाकर्मियों की ड्यूटी लगाई जाती है ताकि लोग चूना दरी न जा सकें।
सिरसी बाँध – सिरसी बाँध या सिरसी जलप्रपात मिर्जापुर से 45 किमी दूर स्थित है। अगर आप मिर्जापुर घूमने जा रहे हैं तो सिरसी वॉटर फॉल अवश्य जायें। सिरसी बाँध के पीछे एक झरना है, ये झरना आपको यह अनुभव कराता है कि प्रकृति कितनी खूबसूरत हो सकती है। सिरसी डैम को देखकर ऐसा प्रतीत होगा कि आप समुद्र के किनारे पहुंच गये हैं। इस डैम का दूसरा छोर दिखाई नहीं देता है।
पिपरी बाँध – पिपरी बाँध जिसे “गोविन्द बल्लभ पंत” और “रिहन्द बाँध” के नाम से भी जाना जाता है। यह बाँध यू पी के सोनभद्र जिले के पिपरी में मिर्जापुर से 40 किमी दूरी परस्थित है।
विंढम फॉल – मिर्जापुर से 20 किमी दूर प्रसिद्ध पर्यटन स्थल विंढम फॉल है। प्राकृतिक संपदाओं से परिपूर्ण मिर्जापुर जिले में कई ऐसे जलप्रपात हैं जो बरसात के मौसम में स्वर्ग के समान दिखाई देते हैं। पहाड़ों से टकराते हुए झरने से गिरते पानी की आवाज़ पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देती है। मनोरम और रमणीय दृश्य देखने के लिए दूर दूर से पर्यटक यहाँ पहुँचते हैं। वीकेंड पर पर्यटकोंकी भीड़ जलक्रीड़ा के लिए उमड़ पड़ती है। बच्चों के लिए यहाँ चिल्ड्रेन पार्क भी बनाया गया है। अंग्रेज कलेक्टर पी. विंढम के नाम पर इस फॉल का नाम विंढम फॉल रखा गया है।
कोटार नाथ- का शिव मन्दिर कोटार नाथ का शिव मन्दिर मिर्जापुर से 45 किमी दूर स्थित है। यह मन्दिर अदवा नदी के मध्य टीले पर स्थित है, यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण होने की मान्यता है। कहा जाता है कि भगवान शिव यहाँ पर स्वयंभू शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे।
रामगया घाट – विन्ध्य पर्वत और पतित पावनी गंगा के तट पर बसे शिवपुर स्थित “रामगया घाट” भक्तों के लिए आस्था का केन्द्र है। वेदों और पुराणों में इस स्थान की महिमा का वर्णन है, नेता युग में रावण वध के बाद मुनि वशिष्ठ जी के निर्देश पर भगवान राम ने सीता और लक्ष्मण जी के साथ आकर अपने पिता राजा दशरथ का पिंडदान किया था। तब से यहाँ पर पिंडदान करने की परम्परा चली आ रही है।
सीता कुण्ड – जैसा कि नाम से पता चलता है कि सीता कुण्ड का देवी सीता जी, भगवान राम और लक्ष्मण से गहरा सम्बन्ध है। किंवदंती है कि लंका से लौटते समय सीता जी को बहुत प्यास लगी और आसपास कोई जलाशय भी नहीं था, तब लक्ष्मण जी ने धरती पर एक बाण मारा, जहाँ से पानी का एक झरना बह निकला। इसी कुण्ड को अब सीता कुण्ड कहा जाता है।
भंडारी देवी मन्दिर- भंडारी देवी मन्दिर मिर्जापुर से 20 किमी की दूरी पर स्थित है। मान्यता है कि इइस मन्दिर का निर्माण सम्राट अशोक के शासनकाल में हुआ था। यह मन्दिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केन्द्र है, इसलिए यहाँ पर हर समय भक्तों की भीड़ रहती है। मन्दिर के सामने एक कुण्ड है, कहते हैं कि शहर में कितनी भी तेज गर्मी हो, फिर भी कुण्ड का पानी सूखता नहीं है।
लाल भैरव मन्दिर- यह मन्दिर विन्ध्यवासिनी मन्दिर से लगभग एक किमी की दूरी पर स्थित है। यहाँ लाल भैरव बाबा की विशाल प्रतिमा स्थापित है। इस मूर्ति के बारे में मान्यता है कि यह मूर्ति एक वर्ष में एक तिल के समान बढ़ती जाती है। विन्ध्यवासिनी देवी के दर्शन के साथ लाल भैरव के दर्शन से मन अत्यंत प्रसन्न होता है। मन्दिर में भैरव जी के अन्य रूपों की भी मूर्तियां हैं। इस मन्दिर के सामने एक प्राचीन जलस्रोत नागकुण्ड भी है।

रामेश्वर महादेव मन्दिर रामेश्वर महादेव मन्दिर विन्ध्यवासिनी देवी मन्दिर से एक किमी दूर रामगया घाट पर स्थित है। किंवदंती के अनुसार भगवान राम ने अपने पूर्वजों की स्मृति में तर्पण के बाद यहाँ पर एक शिवलिंग स्थापित किया था।
तारा देवी मन्दिर- तारा देवी मन्दिर, विन्ध्यवासिनी देवी मन्दिर से दो किमी दूर एक श्मशान घाट के पास स्थित है। यहाँ की प्रमुख देवी, तारा देवी हैं, जो कि शांति और सुरक्षा की देवी मानी जाती हैं।
पक्का घाट – गंगा नदी के किनारे पक्का घाट बना हुआ है। घाट के किनारे कई मन्दिर हैं, जिनकी वास्तुकला अद्वितीय है। यहाँ पर आप नौकायन भी कर सकते हैं।
खड़ंजा फॉल – खड़ंजा फॉल मिर्जापुर से 14 किमी की दूरी पर स्थित है। खड़ंजा फॉल भी बरसात में बहुत खूबसूरत लगता है। यहाँ की खूबसूरती देखकर आप भी कायल हो जायेंगे। यह बहुत ही सुरक्षित वॉटर फॉल है, और यहाँ पर दूर दूर से लोग पिकनिक मनाने आते हैं।
जोगिया दरी – मिर्जापुर के मड़िहान के जंगलों में सबसे खूबसूरत जोगिया दरी है। इस सुप्रसिद्ध दरी में पानी पहाड़ों से कलरव करते हुए जब नीचे उतरता है तब यह नजारा बेहद खूबसूरत दिखाई देता है।
टांडा जलप्रपात – टांडा वॉटर फॉल उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध झरनों में से एक है। मिर्जापुर से 7 किमी जाने पर बहुत ही मनमोहक टांडा जलप्रपात है। यहाँ मॉनसून के मौसम में प्रकृति और वनस्पति अपने चरम सौंदर्य को प्राप्त होती है। यहाँ कल कल बहता पानी आस पास के वातावरण को बहुत ठंडा कर देता है।
आसपास –
मुक्खा वॉटर फॉल- मिर्जापुर से आगे बसा सोनभद्र अपने बेहतरीन मन्दिरों के लिए जाना जाता है। यहाँ का बिड़ला मन्दिर पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। लेकिन इसके अलावा यहाँ पर एक ऐसा झरना है जो प्रकृति की गोद में बैठा हुआ है। यह झरना मॉनसून के समय अपने पूरे शबाब पर रहता है। यहाँ पर जल का विकराल रूप देखकर लोगों को एक बार तो डर अवश्य लगता है। मुक्खा फॉल पर गर्मियों में भारी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं। परिवार और दोस्तों के साथ अच्छा समय बिताने के लिए यह एक शानदार और मनोरम स्थान है।
अड़गड़ानन्द आश्रम – इस विशाल और दिव्य आश्रम की स्थापना शक्तेशगढ़ मिर्जापुर, में स्वामी अड़गड़ानन्द जी महाराज ने की है आपने “यथार्थ गीता” नामक एक अत्यंत लोकप्रिय और महत्वपूर्ण ग्रन्थ की रचना की है। इस ग्रंथ में उन्होंने “श्रीमद्भागवत गीता” के ज्ञान को सरल शब्दों में प्रस्तुत किया है, जो कि सभी के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में स्थापित हुआ है।
मिर्जापुर में कहाँ ठहरें शक्तिपीठ और जलप्रपातों की नगरी के नाम से प्रतिष्ठित मिर्जापुर में पर्यटकों के लिए आवासीय सुविधा का विस्तार हुआ है। मिर्जापुर में बजट होटल से लेकर लक्ज़री होटल तक आसानी से उपलब्ध हैं।
सुझाव –
1) आरामदायक जूते साथ रखें क्योंकि झरने तक पहुँचने के लिए आपको थोड़ा पैदल चलना पड़ सकता है।
2) यदि आप तैरने और भीगने की योजना बना रहे हैं तो उचित कपड़े पहनना और अतिरिक्त कपड़े साथ रखना बहुत आवश्यक है।
3) प्रकृति के बीच पिकनिक के लिए, लंच और कुछ स्नैक्स अवश्य पैक करके रखें।
4) सनस्क्रीन, कीटनाशक और पानी साथ रखना न भूलें।
मिर्जापुर /विन्ध्याचल कैसे पहुँचे ?
वायुमार्ग द्वारा – निकटतम एयरपोर्ट ” लाल बहादुर शास्त्री ” एयरपोर्ट वाराणसी है, जो कि मिर्जापुर से लगभग 60 किमी की दूरी पर है, जहाँ के लिए प्रमुख शहरों से नियमित उड़ानें संचालित होती हैं।
रेलमार्ग द्वारा – निकटतम रेलवे स्टेशन मिर्जापुर, विन्ध्याचल और वाराणसी हैं। वहां से आप बस, टैक्सी या ऑटो से पहुँच सकते हैं। सड़क मार्ग द्वारा आप अपने वाहन, कैब या बस जैसे सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करके मिर्जापुर / विन्ध्याचल पहुँच सकते हैं।
