सनातन धर्म की समृद्ध संस्कृति का महान और विशाल उत्सव है
महाकुंभ

कंचन झुनझुनवाला वाराणसी

परमार्थ प्रकृति का मूल स्वर है। धरती, अम्बर, जल, पवन, प्रकाश आदि के रूप में परमात्मा स्वयं भी परमार्थिक कार्यों में संलग्न है। समुन्द्र मंथन अर्थात मनो-मंथन माने हम जब भी अपना मंथन करते है तो निश्चित रूप से कोई संकल्प लेते है। यदि संकल्प शुद्ध व परमार्थिक हो तो नियंता, नियति, परमात्मा, प्रकृति व सकल देव सक्ता अभिसिप्त की संप्राप्ति में सहायक बनने लगते है। यहां कथा में गुरुदेव ने बताया वेदों में लिखा है – जो मनोजयी हैं वे अमृत के अधिकारी हैं। निराभिमानता, ईश अनुग्रह और समस्त लौकिक – पारलौकिक अनुकूलताओं का मूल है। समुंद्र मंथन में निकला अमृत शर्म की ही निस्पति थी देव और दानव संग्राम में अमृत घट से छलकी बूंदो से महिमा मंडित चार स्थानों में कुंभ राग गूंजता है। इस पर्व के मध्य पवित्र सलिलाओं का जल अमृत तुल्य हो जाता है, तभी तो लाखों की संख्या में लोगों ने इस पवित्र संक्रान्ति काल में सुरसरि जाह्नवी माँ गंगा के तट पर पहुंच कर पुण्य की डुबकी लगाई है।

भारत की कालनयी मृत्युंजयी संस्कृति की दिव्य अभिव्यक्ति कुंभ पर्व में गिरी कंदरा, मठ-मन्दिर और आश्रमों में रहने वाले लाखों सन्यासी और संतो का दर्शन व सानिध्य त्रिविधि तापों का शमन करने वाला होता है।

“पूर्णता का प्रतीक है कुम्भ” – कुम्भ एक ऐसा विचित्र मेला है जहां वे संत मिलते हैं जिन्हे कुछ नहीं चाहिये और इस महासंगम में तपस्वी अपने अर्जित पुण्य सब पर बिखेरते हैं।

यह भी अद्भुत है कि मेले में करोड़ों लोगों के मिलने पर भी एक दूसरे के प्रति करुणा, सेवा और परहित का मनोभाव और शुद्ध आचरण झलकता है। काश सम्पूर्ण विश्व सदा ही कुम्भ महोत्स्व की भावना बनाये रखे तब न तो कोई चोरी होगी न हिंसा न युद्ध। हम सब एक ही आत्मा में परिमार्जित हैं।

व्योम से विमान की पुष्प वर्षा, ओह ! यह तो अद्भुत, अद्वितीय,अप्रतिम है। कुम्भ मेला भारतीय संस्कृति की धरोहर है जो प्रत्येक पीढ़ी को अपने साथ जुड़ने का अवसर प्रदान करती है। यहां संत-महात्मा और ऋषि-मुनि अपनी गुफा और कंदराओं से निकल कर समाज का मार्ग दर्शन और समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करते हैं।

सनातन धर्म एक ऐसी दिव्य परम्परा है, जो कालंतर में आस्था और मानवता के सर्वोत्तम आदर्शों को संगठित करती आ रही है। कुंभ मेला न केवल व्यक्ति को बल्कि समाज और राष्ट्र को भी दिशा प्रदान करता है। यह सनातन धर्म का अभिन्न अंग है। यह मेला मानवता के उच्चतम आदर्शों का प्रतीक है जो बताता है की सच्ची पूजा और धर्म वही है जो दूसरों के कल्याण के लिए काम करे।

इस बार का कुंभ तो अद्भुत, अलौकिक और अवर्णनीय होता जा रहा है। वस्तुतः भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाया है, उन्होंने पूरी शक्ति लगा दी कि सनातन का यह पर्व समरसत्ता एवं एकता का पर्व बने और संगम के तट से संगम का संदेश प्रसारित हो। ऐसे महान नेताओं के आगे हम सब नतमस्तक हैं हम सभी भारतीय आप के ऋणी रहेंगे। मैं करबद्ध ईश्वर से प्रार्थना करती हूँ कि भगवान इन्हे दीर्घ आयु दे ताकि शासन के साथ-साथ हमारे सनातन धर्म का जयकारा भी ऐसे ही गूंजे।

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