प्रशांत त्रिपाठी
लखनऊ
अगर आप चाहते हैं कि आपका बेटा बड़ा होकर महिलाओं के साथ जिम्मेदारी से पेश आए तो उसे आप बचपन से ही इस बारे में शिक्षित करें।
आज के समय में लड़कियों के लिए बढ़ता असुरक्षा का माहौल हर किसी के लिए चिंता का विषय है। लड़कियां बाहर खेलें या फिर सामान लाने या किसी और काम से बाहर जाएं तो हमेशा उनकी सुरक्षा की चिंता लगी रहती है। इस तरह के माहौल में हम महिलाओं की प्रगति सुनिश्चित नहीं कर सकते, लेकिन अगर हम अपनी तरफ से प्रयास करें तो अहम सकारात्मक बदलाव लाने में अपनी भूमिका निभा सकते हैं।
एक मां बाप होने के नाते अगर बचपन से ही लड़कों को यह सिखाया जाए कि उन्हें महिलाओं के साथ किस तरह से पेश आना है, बच्चियों के साथ किस तरह से व्यवहार करना है तो चीजें काफी हद तक बदल सकती हैं। आपका बेटा घर में जिस तरह का माहौल देखेगा, उसके मन में महिलाओं के लिए उसी तरह की छवि बनेगी। इसीलिए बेटे को अगर घर से पहली सीख मिले तो समाज को बदलने की दिशा में सकारात्मक पहल हो सकती है। आइए जानें कि आप अपने बेटों को किस तरह से बेटियों और महिलाओं के प्रति संवेदनशील बनाकर उन्हें अच्छा व्यवहार करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
अगर महिलाओं से पूछा जाए कि उन्हें अपने घर में कैसा माहौल मिला, तो हर महिला उससे असंतुष्ट नजर आती है। पहले के समय में देखने में आता था कि घर में बेटियों की तुलना में बेटों को तरजीह दी जाती थी। बेटों को घर के कामों से लेकर बाहर घूमने तक हर चीज के लिए आजादी थी, वहीं बेटियों को ज्यादातर चीजों के लिए रोकटोक, बाहर जाने पर पाबंदी और घर के काम सिखाने के लिए जोर दिया जाता था। इन चीजों में बदलाव लाने की जरूरत है। घर में अगर बेटा और बेटी दोनों हैं तो दोनों के साथ समान व्यवहार करें। इससे बेटियों में समानता की भावना बढ़ेगी और आपका बेटा बड़ा होकर महिलाओं के प्रति अपने व्यवहार को लेकर ज्यादा संजीदा होगा।
भाषा पर दें ध्यान
अपने घर-परिवार और आस-पड़ोस की बेटियों और महिलाओं से बातचीत करते हुए अगर आप उन्हें आदर और सम्मान देते हैं तो वही चीज आपका बेटा भी सीखेगा। बेटे के सामने लड़कियों के लिए किसी भी नेगेटिव एटीट्यूड या दकियानूसी सोच वाली बातें कहने से बचें जैसे कि ‘लड़कियों को ज्यादा पढ़ाने-लिखाने की जरूरत क्या है’, ‘लड़कियों को ज्यादा ढील नहीं देनी चाहिए’, ‘लड़कियों को पढ़ने के लिए बाहर भेजने की क्या जरूरत है’ इत्यादि।
बेटे के व्यवहार पर रखें नजर
अगर किसी वजह से आपका बेटा किसी लड़की या महिला से किसी बात को लेकर नाराज है तो मामले को संजीदगी से हैंडल करें। समस्या को सुलझाने पर काम करें, लेकिन उनकी गरिमा में किसी तरह की कमी न आने दें। अगर बेटे कुछ गलत बोलें तो उन्हें प्यार से समझाएं।
वीरांगनाओं की कहानियां सुनाएं
हमारे देश में रजिया सुल्तान, रानी लक्ष्मी बाई, जोधाबाई जैसी कितनी ही प्रेरक महिलाएं हुई हैं, जिन्होंने अपनी वीरता और साहस से लोगों को प्रेरित करने का काम किया। इन वीरांगनाओं के बारे में बताने से आपके बच्चे के मन में महिलाओं के लिए स्वाभाविक रूप से आदर और सम्मान की भावना विकसित होगी।
हम सब प्राचीन काल से ही ये पंक्तियां पढ़ते और सुनते आए हैं – “यत्र नार्यस्तु पूज्यनते, रमन्ते तत्र देवता” अर्थात जहां नारियों की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। हमें इन पंक्तियों को चरितार्थ करने पर जोर देना चाहिए –
“नारी शक्ति है, सम्मान है, नारी गौरव है, अभिमान है, नारी ने ही ये, रचा विधान है, मेरा नत-मस्तक इनको प्रणाम है।”
मर्यादा का उलंघन यदि न हो तो निश्चित ही हम बेहतर कल की कल्पना को साकार कर सकते हैं।