अपने इष्ट देव भगवान श्री राम जी के नाम पत्र
अभी कुछ दिन पूर्व भगवान के स्थान की सफाई करने का अवसर प्राप्त हुआ। सफाई तो अनेकों बार की गई, भगवान के पास जो कागज रखे हुआ करते थे, उन्हें झाड़ – पोंछकर वैसे ही रख दिया जाता था। किन्तु इस बार उन कागजों में क्या है, इस बात की उत्सुकता जाग्रत हुई। एक कागज जो मुड़ा हुआ सिंहासन के सबसे नीचे रखा हुआ था, उसे खोलकर पढ़ने का मन किया। उसे पढ़ने के बाद आँखों में आँसू भर आए। इस कागज के टुकड़े में भगवान श्री राम के नाम पूज्य कक्कू (पिताजी) ने पत्र लिखा था। और इस पत्र में पूजनीय अम्मा के स्वास्थ्य में सुधार के लिए निवेदन किया था। अम्मा का स्वास्थ्य वर्ष 2004 में अत्यधिक खराब था। पीजीआई, लखनऊ से आने के बाद स्वास्थ्य में सुधार नहीं दिखाई पड़ रहा था। यह पत्र शायद उसी समय का है, जिसके बारे में हम सब लोगों को अभी पता चला है। अम्मा उस लम्बी बीमारी के बाद स्वस्थ हुईं फिर अंत तक स्वस्थ रहीं सिवाय छोटी मोटी बीमारियों के।
पूनम त्रिपाठी
कानपुर
हमने बहुत लोगों को भगवत भक्ति में लीन देखा है। किन्तु इतनी अगाध आस्था, श्रद्धा और विश्वास विरले लोगों में देखने को मिला है जितनी आस्था, श्रद्धा और विश्वास अपने पूज्य कक्कू में देखी है। श्री राम जी के प्रति अगाध समर्पण का भाव, विश्वास की चरम – “सब अच्छा होगा”, भगवान बैठे हैं, यही मनोभाव सदैव उनमें पाया है। बाधाओं और मुसीबतों के पहाड़ आए और चले गए, किन्तु आस्था को नहीं डिगा सके और सब कुछ वैसा ही चलता रहा जै
यह पत्र हूबहू आप सभी के समक्ष प्रस्तुत है इस आशा के साथ हमें भी अपने जीवन में अपने इष्ट देव के प्रति एक अगाध श्रद्धा और विश्वास उत्पन्न कर सके ।