ऋतु डागा कोलकाता
भारत – विविधताओं से भरा देश है, यहां विभिन्न भाषाएँ, धर्म, परंपराएँ और संस्कृतियाँ मिलकर एक सुंदर समागम का निर्माण करती हैं। यह देश अपनी प्राचीन सभ्यता और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर के लिए विश्व प्रसिद्ध है। भारतीय संस्कृति की पहचान उसके त्यौहारों से भी होती है , जो न केवल धार्मिक महत्व रखते हैं, बल्कि समाज में एकजुटता, प्रेम और सौहार्द का संदेश भी फैलाते हैं। भारतीय त्यौहार हमारी जीवनशैली और विचारधारा में गहराई से जुड़े हुए हैं और ये हमारी धार्मिक आस्थाओं, विभिन्न ऋतुओं और कृषि पर आधारित हैं।
भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता इसकी विविधता में एकता है। यहाँ हर धर्म और संप्रदाय को समान आदर और महत्वदिया जाता है। प्राचीन वैदिक परंपराओं से लेकर आधुनिक जीवनशैली तक – भारतीय संस्कृति में अध्यात्म, साधना, परिवार और सामाजिक ताने-बाने का महत्वपूर्ण स्थान है। यहाँ गुरु-शिष्य परंपरा, माता-पिता और बुजुर्गों का सम्मान और परिवार के प्रति समर्पण भारतीय संस्कृति के मूलभूत तत्व हैं।
भारतीय संस्कृति में प्रकृति और मानव के बीच संतुलन बनाए रखने की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। यही कारण है कि यहाँ वर्षा, फसल, और मौसम से जुड़े त्यौहारों का भी विशेष महत्व है। इन त्यौहारों के माध्यम से मानव जीवन और प्रकृति के बीच के संबंधों को समझा और मनाया जाता है।
भारत के त्यौहार उसकी संस्कृति के आइने की तरह हैं, जो उसके समृद्ध इतिहास और परंपराओं को दर्शाते हैं। हर धर्म और संप्रदाय के अपने-अपने त्यौहार हैं, लेकिन इनमें निहित मूल भावना एक ही होती है – समाज में भाईचारा, एकता और प्रेम को बढ़ावा देना। भारतीय त्यौहारों का एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि वे सामाजिक, धार्मिक, और सांस्कृतिक मूल्यों को सहेजते हैं।भारत में विभिन्न धर्मों के मानने वाले लोग रहते हैं और हर धर्म के अपने महत्वपूर्ण त्यौहार होते हैं। इन त्यौहारों के माध्यम से धार्मिक आस्थाओं और परंपराओं को प्रदर्शित किया जाता है। प्रमुख धार्मिक त्यौहारों में हिंदुओं का दीपावली, होली, दुर्गा पूजा, और मकर संक्रांति आदि हैं।
मुसलमानों की ईद, मोहम्मद साहब का जन्मदिवस और बकरीद, सिखों का बैसाखी और गुरुपर्व तथा ईसाइयों का क्रिसमस और ईस्टर जैसे त्यौहार धार्मिक भावना और सद्भावना के प्रतीक हैं।
हिन्दू धर्म तथा भारतीय संस्कृति का मुख्य त्यौहार है — दीपावली। इसे ‘रोशनी का त्यौहार’ भी कहा जाता है, अंधकार पर प्रकाश की, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इसे भगवान राम के अयोध्या आगमन की खुशी में मनाया जाता है। दीपावली का त्यौहार भारतीय संस्कृति के मूल्यों और उसकी समृद्ध विरासत का प्रतीक है, जो धर्म, अध्यात्म, और जीवन की सकारात्मकता को प्रकट करता है। दीपावली का मुख्य रूप से संबंध भगवान राम के अयोध्या लौटने से जुड़ा है। रामायण के अनुसार जब भगवान राम 14 वर्षों के वनवास और रावण पर विजय
भारत में विभिन्न धर्मों के मानने वाले लोग रहते हैं और हर धर्म के अपने महत्वपूर्ण त्यौहार होते हैं। इन त्यौहारों के माध्यम से धार्मिक आस्थाओं और परंपराओं को प्रदर्शित किया जाता है। प्रमुख धार्मिक त्यौहारों में हिंदुओं का दीपावली, होली, दुर्गा पूजा, और मकर संक्रांति आदि हैं। मुसलमानों की ईद, मोहम्मद साहब का जन्मदिवस और बकरीद, सिखों का बैसाखी और गुरुपर्व तथा ईसाइयों का क्रिसमस और ईस्टर जैसे त्यौहार धार्मिक भावना और सद्भावना के प्रतीक हैं। हिन्दू धर्म तथा भारतीय संस्कृति का मुख्य त्यौहार है — दीपावली। इसे ‘रोशनी का त्यौहार’ भी कहा जाता है, अंधकार पर प्रकाश की, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इसे भगवान राम के अयोध्या आगमन की खुशी में मनाया जाता है। दीपावली का त्यौहार भारतीय संस्कृति के मूल्यों और उसकी समृद्ध विरासत का प्रतीक है, जो धर्म, अध्यात्म, और जीवन की सकारात्मकता को प्रकट करता है। दीपावली का मुख्य रूप से संबंध भगवान राम के अयोध्या लौटने से जुड़ा है। रामायण के अनुसार जब भगवान राम 14 वर्षों के वनवास और रावण पर विजय प्राप्त कर अयोध्या लौटे, तो नगरवासियों ने उनके स्वागत में घरों और रास्तों को दीपों से सजाया। तभी से यह पर्व अंधकार पर प्रकाश की, बुराई पर अच्छाई की, और अज्ञान पर ज्ञान की जीत का प्रतीक बन गया।
दीपावली का पर्व सिर्फ भगवान राम से ही नहीं, बल्कि अन्य धार्मिक कथाओं से भी जुड़ा है। इसमें भगवान विष्णु द्वारा देवी लक्ष्मी को समुद्र मंथन से निकाले जाने और उनके साथ विवाह होने की कथा भी शामिल है। इसी कारण से दीपावली के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है, जो धन, समृद्धि और सुख-शांति की देवी मानी जाती हैं।
महाभारत के अनुसार इसी दिन पांडवों ने 12 वर्षों के वनवास के बाद अपने राज्य में वापसी की थी, जिसे दीप जलाकर मनाया गया था। जैन धर्म में भी दीपावली का विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन भगवान महावीर को निर्वाण प्राप्त हुआ था। दीपावली न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में मेलजोल, आपसी सद्भाव, और एकता का भी प्रतीक है। भारतीय संस्कृति में त्यौहार केवल धार्मिक अनुष्ठान तक सीमित नहीं होते, बल्कि सामाजिक समरसता और संबंधों को प्रगाढ़ करने का अवसर भी होते हैं। दीपावली के दौरान लोग एक-दूसरे से मिलते हैं, घरों में दीप जलाते हैं, मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं और मिलजुल कर खुशियाँ मनाते हैं। दीपावली से पहले घरों की साफ-सफाई और सजावट का विशेष महत्व है। यह सिर्फ भौतिक सफाई नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धता का प्रतीक भी है। भारतीय संस्कृति में सफाई को समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश द्वार माना जाता है। दीपक भारतीय संस्कृति में ज्ञान, आशा, और प्रकाश का प्रतीक है। दीप जलाना अज्ञान के अंधकार को दूर करने और ज्ञान का प्रकाश फैलाने का प्रतीकात्मक अर्थ रखता है। वहीं होली रंगों का त्यौहार है, यह सामाजिक एकता का प्रतीक है। इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में ही मनाया जाता है। होली के रंग समाज के विभिन्न वर्गों को एक साथ मिलाने का प्रतीक है।
भारत एक कृषि प्रधान देश है, इसलिए यहाँ के त्यौहार मौसम और फसल से भी जुड़े हुए हैं। ये त्यौहार प्रकृति की महत्ता और कृषि के प्रति लोगों की श्रद्धा को प्रकट करते हैं। मकर संक्रांति – यह पर्व सूर्य देव की पूजा और फसलों की कटाई के बाद मनाया जाता है। इसे अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे पंजाब में लोहड़ी, तमिलनाडु में पोंगल और असम में बिहू।
बैसाखी – यह फसल कटाई का पर्व है, खासकर पंजाब और हरियाणा में इसे बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन खेतों में नई फसल की पूजा की जाती है और किसानों की कड़ी मेहनत का उत्सव मनाया जाता है। भारत में कई सांस्कृतिक और राष्ट्रीय त्यौहार भी हैं – जो हमारी ऐतिहासिक धरोहर, स्वतंत्रता संग्राम और सांस्कृतिक विविधता को स्पष्ट करते हैं।
स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस – ये राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक हैं। 15 अगस्त और 26 जनवरी को देश भर में तिरंगा फहराया जाता है और राष्ट्र की स्वतंत्रता तथा लोकतंत्र के लिए किए गए बलिदानों को याद किया जाता है।
रक्षाबंधन – भाई-बहन के रिश्ते का यह पर्व प्रेम, सुरक्षा और जिम्मेदारी की भावना का प्रतीक है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और भाई उसकी सुरक्षा का वचन देता है।
भारत में त्यौहार सामाजिक एकजुटता और सामुदायिक सहभागिता का अवसर होते हैं। इनमें समाज के सभी वर्ग के लोग मिलकर त्यौहारों को मनाते हैं और आपसी भिन्नताओं को भूलकर एक साथ आनंद लेते हैं।
गणेश चतुर्थी – महाराष्ट्र में खासतौर पर मनाया जाने वाला यह पर्व भगवान गणेश के स्वागत और उनके आशीर्वाद के लिए आयोजित किया जाता है। इसमें समाज के हर वर्ग के लोग एकत्र होते हैं और सामूहिक रूप से पूजा करते हैं।
दुर्गा पूजा – बंगाल में धूमधाम से मनाया जाने वाला यह पर्व शक्ति की देवी दुर्गा के सम्मान में मनाया जाता है। इस दौरान पंडाल सजाए जाते हैं और सामुदायिक पूजा-अर्चना की जाती है।
भारतीय त्यौहार केवल धार्मिक या सांस्कृतिक महत्व तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये समाज में अनेक सकारात्मक प्रभाव भी डालते हैं। त्यौहार आपसी मेलजोल, सामुदायिक एकता और सामाजिक सहयोग का माध्यम बनते हैं। परिवार और समाज के लोग मिलकर त्यौहारों को मनाते हैं, जिससे आपसी संबंध मजबूत होते हैं। त्यौहार समाज में समानता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देते हैं। इन दिनों में समाज के सभी वर्गों के लोग एक साथ मिलकर उत्सव मनाते हैं, भले ही उनकी आर्थिक, सामाजिक स्थिति भिन्न क्यों न हो। हमारे देश में मनाये जाने वाले सभी त्यौहार भारतीय सभ्यता तथा संस्कृति का अभिन्न अंग हैं।
जैसे —
– नियमित संतुलित आहार का सेवन करना चाहिए। आहार में ताजे फल, हरी सब्जियां, साबुत अनाज और कम वसा वाले डेरी उत्पादकों को शामिल करना चाहिए। ज्यादा तला हुआ खाना, जंक फूड, ज्यादा नमक और चीनी वाला खाना कम करना चाहिए।
– आहार में नमक की मात्रा कम करनी चाहिए ।
– सप्ताह में कम से कम 150 मिनट का मध्यम व्यायाम करना चाहिए जैसे चलना, तैरना, दौड़ना।
– मोटापा और ज्यादा वजन को नियंत्रित करना जरूरी है। स्वस्थ वजन उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में भी मदद करता है।
– मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए और तनाव को कम करने के लिए योग, मेडिटेशन, सकारात्मक सोच जैसी तकनीकों को अपनाना चाहिए।
– शराब, धूम्रपान, तंबाकू जैसी आदतों से दूर रहना चाहिए।
– कम से कम 7 से 8 घंटे की पर्याप्त नींद लेनी चाहिए।
– पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए और कैफीन और कोल्ड ड्रिंक जैसे पेय का सेवन कम करना चाहिए। उच्च रक्तचाप जैसी स्थिति से बचने के लिए जागरुकता और सावधानी अति आवश्यक है। जीवन शैली में सुधार और चिकित्सकीय सलाह का पालन करके आप उच्च रक्तचाप के जोखिमों को कम कर सकते हैं और एक स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। अपनी सेहत के प्रति जागरूक रहना और समय पर कदम उठाना ही स्वस्थ जीवन का मूल मंत्र है।