ड्रग्स की बढ़ती स्वीकार्यता : क्या हम इसे रोक सकते है?

समकित जैन इंदौर

जंगल का राजा शेर, अपनी ताकत और पराक्रम के बावजूद, अपने जीवनयापन के लिए शिकार पर निर्भर है। उसका विकास इंसानों की तरह नहीं हुआ है। इंसान भी हजारों साल पहले शिकार पर निर्भर थे, लेकिन समय के साथ उन्होंने कृषि का विकास किया और अपने जीविकोपार्जन के नए साधन खोजे। यह प्रगति का प्रतीक है। प्रगति जीवन का अहम हिस्सा है, लेकिन इसके लिए सही शिक्षा और जागरूकता होना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

आज हम 2024 में जी रहे हैं और अगर हम 50 साल पीछे देखें तो पाते हैं कि तब शराब पीना सामान्य नहीं था। जो लोग शराब पीते थे, वे इसे छिपाने की कोशिश करते थे। लेकिन जैसे-जैसे समय बीता, शराब पीने को सामान्य बना दिया गया, मीडिया, फिल्मों और समाजिक परिवेश ने इसे बढ़ावा दिया। अब ऐसा लगता है कि वही स्थिति ड्रग्स के साथ भी हो रही है। 

 

 
आज हर रोज़ अखबारों में हम एक खबर जरूर देखते हैं कि इतने किलो ड्रग्स पकड़े गए, या स्कूल के छात्र ड्रग्स की लत में फंस रहे हैं, या किसी क्लब में लोग ड्रग्स लेते हुए पकड़े गए। जिस तरह शराब का सामान्यीकरण हुआ, उसी तरह ड्रग्स का होना भी एक गंभीर चिंता का विषय है।

बेहद जरूरी है। जैसे चोरी करना, हत्या करना गलत माना जाता है, क्योंकि हमें जन्म से ही इसकी बुनियादी शिक्षा दी जाती है। ठीक उसी तरह, अगर बचपन से ही बच्चों को ड्रग्स के खतरों के बारे में सही तरीके से सिखाया जाए, तो इसका सामान्यीकरण रुक सकता है।

इस बदलाव की शुरुआत हमें अपने घर से करनी होगी। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम अपने बच्चों को सही शिक्षा दें, उन्हें अच्छे और बुरे के बीच का अंतर समझाएं। यह हमारे समाज को एक स्वस्थ दिशा में ले जाने के लिए बेहद जरूरी है। 

ड्रग्स का सामान्यीकरण हमारे समाज के लिए एक बड़ा खतरा बनता जा रहा है, लेकिन सही समय पर जागरूकता और शिक्षा इस समस्या को रोक सकती है। हमें अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए अपने घर से इसकी शुरुआत करनी होगी। 

अगर हम एक बेहतर भविष्य की चाह रखते हैं, तो हमें ड्रग्स के खिलाफ खड़ा होना ही होगा।