मनुष्य का आध्यात्मिकता से जुड़ा रहना भी सही मायने में उसको आत्मशक्ति प्रदान करता है और साथ में स्वास्थ्य भी, जो गहन रूप से उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है और सोचने समझने की क्षमता को भी बढ़ाता है। एक स्वस्थ्य आत्मा (soul) प्रकृति से, धार्मिकता से, प्राणायाम से, एक अच्छे परवरिश से और आध्यात्मिक शिक्षा के माध्यम से प्राप्त हो सकती है, जो हमें जीवन-लक्ष्य प्रदान करती है और साथ में दूसरों को समझने की सूझ-बूझ भी। इसलिए सदैव अपनी निज़ी जिंदगी, प्रोफेशनल जिंदगी और सामाजिक जिंदगी पॉजिटिव वातावरण से ओत-प्रोत रखें इससे आपको अमूल्य ख़ुशी और मन को संतोष मिलता है। आध्यात्मिकता से जुड़े रहने के फ़ायदे कुछ इस प्रकार के हैं :
आत्मशक्ति की प्राप्ति
जागरूकता का अहसास
आत्मबोध एवं विकासशील विचारधारा
प्रकृति से ऊर्जा और खुद के जुड़ाव का आभास
इन उपलब्धियों से हमें मानसिक बल मिलने के साथ-साथ, मानसिक दुर्बलताओं जैसे अवसाद, चिंता और तनाव से छुटकारा भी मिलता है और साथ ही स्वास्थ्य रोग - हृदय आघात जैसे बीमारियों की रोकथाम करता है।
“एक स्वस्थ शरीर में एक स्वस्थ आत्मा का निवास होता है। अच्छा खान-पान भी हमारे शरीर को स्वस्थ बनाता है। इसलिए आवश्यक है कि हम अपने रोज़ के खाने पर नजर रखें। ताज़ी हरी सब्जी, ताजे फल, अंकुरित अनाज, साबुत अनाज, दालें विभिन्न तरह की बीन्स (जो प्रोटीन से भरपूर होती हैं) लाल चावल, ब्राउन राइस, ओटमील आदि का सेवन करें।
पत्ते वाली हरी सब्जियां, पालक, पत्तागोभी, एवोकाडो, खीरा, हरी-बीन्स आदि अपने खाने में शामिल करें। सूखे मेवें, बीज़, सोया, लोबिया भी अपने भोजन में शामिल करें। साबुत ताज़े फल, सूखे फल शरीर को काफ़ी ऊर्जा प्रदान करते हैं। ताजे फलों का जूस जैसे सेब, संतरा, अनानास, केला, अनार का बहुत फ़ायदेमंद है, सिर्फ पानी मिलाकर जूस बनाए बिना चीनी के।
वेजीटेबल तेल और अनसैचुरेटेड वसा भी अपने खाने में शामिल करें, जो शरीर में हदल (high-density lipo protin) - गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ातें हैं और दिल की बीमारी को कम करतें हैं। ओलिव ऑयल और अख़रोट शरीर की शक्ति को बढ़ाते हैं, उनके पौष्टिक तत्त्व को भी अवशोषित करते हैं, संग में शरीर की आवश्यक प्रक्रिया को भी मजबूत करते हैं। मिठाइयाँ, नमकीन, स्नैक्स, फ्रेंच फ्राइज, डोनट से परहेज़ करें।
अच्छा स्वास्थ्य और उच्च कोटि जीवन शैली की प्राप्ति, अपने ही उच्च नज़रिए और प्रगतिशील कार्य से होती है जो हमें आतंरिक मन से जोड़ती है। उसी मन को हम दूसरे शब्दों में soul कहते हैं।